अमेरिकी टैरिफ से बढ़ी चिंता, लेकिन ‘आपदा में अवसर’ की संभावना | HHEWA
टेन न्यूज नेटवर्क
नोएडा (5 अप्रैल 2025): अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत समेत कुछ देशों पर 26% रिसिप्रोकल टैरिफ लागू किए जाने के फैसले के बाद नोएडा के निर्यातकों के बीच चिंता और उम्मीद दोनों देखने को मिली। टेन न्यूज ने इस विषय पर HHEWA (Handloom and Handicrafts Associations) के विभिन्न निर्यातकों से बातचीत की।

HHEWA अध्यक्ष सी.पी. शर्मा ने कहा, “डोनाल्ड ट्रंप अभी नए-नए राष्ट्रपति बने हैं। इस टैरिफ से लोगों के व्यापार पर अवश्य प्रभाव पड़ेगा, लेकिन अमेरिका के उपभोक्ताओं पर भी इसका बहुत असर पड़ेगा क्योंकि टैरिफ का भार अंततः उपभोक्ताओं पर ही आता है। हां, यहां के निर्यातकों का एक्सपोर्ट कम हो जाएगा क्योंकि अमेरिका के उपभोक्ता सामान ज्यादा नहीं खरीद पाएंगे। हमने अपनी चिंता उद्योग मंत्रालय को बता दी है और सरकार इस बारे में गंभीरता से विचार कर रही है। चीन पर 54% टैरिफ लगा है, इसलिए चीन का माल और ज्यादा महंगा हो जाएगा। ऐसे में भारत के उत्पाद ज्यादा बिक सकते हैं।”
मोहन कपूर, उपाध्यक्ष, HHEWA ने कहा, “हम इस टैरिफ को एक अवसर के रूप में भी देख सकते हैं। अगर हम अपने सप्लायर्स के साथ मिलकर उत्पादन लागत को 5 से 7 प्रतिशत तक घटा लें और केंद्र व राज्य सरकार से 5 से 7 प्रतिशत की सब्सिडी मिल जाए, तो हम 20 से 25 प्रतिशत के अतिरिक्त शुल्क को आसानी से कवर कर सकते हैं। इससे हमारे स्थायी बाजारों पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। यदि सरकार से हमें सरल और सहयोगपूर्ण समर्थन मिलता है, जिसमें ज्यादा औपचारिकताएं न हों, तो हमारी इंडस्ट्री न केवल सुचारु रूप से चल सकती है बल्कि चीन से बेहतर मुकाबला करते हुए अधिक और सस्ता माल अमेरिका जैसे बाजारों में भेज सकती है।”

नंदे साद ने कहा, “टैरिफ का प्रभाव तो ज़रूर पड़ेगा क्योंकि भारत का काफी सामान अमेरिका जाता है। हमने भी अपनी बात सरकार तक पहुंचाई है और हमें उम्मीद है कि कोई समाधान निकलेगा। हां, हमारी मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट ज्यादा आती है, लेकिन फिर भी हम चीन से मुकाबला कर सकते हैं। हमारी गुणवत्ता अच्छी है और यह हमारी ताकत है।”
विपिन उत्तरण ने बताया, “हम तो अपना काम कर ही रहे हैं, लेकिन सरकार इस बारे में क्या कदम उठाती है, ये देखने वाली बात होगी। अगर सरकार सही दिशा में काम करे तो इस चुनौती को भी अवसर में बदला जा सकता है।”
बलराम जिंदल ने अपनी चिंता जताते हुए कहा, “अगर ये टैरिफ कम नहीं हुई तो चिंता वाली बात होगी। हम अपनी एसोसिएशन के माध्यम से सरकार तक अपनी बात पहुंचाएंगे ताकि हमें इस टैरिफ के प्रभाव से राहत मिल सके। इस वक्त एकजुट होकर नीति स्तर पर बात रखना जरूरी है।”
भारत बढ़ेरा ने मौके को पहचानते हुए कहा, “हमें अपनी ‘कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन’ को घटाना होगा क्योंकि चीन पर टैरिफ ज्यादा लगा है। इसलिए इस अवसर को हमें भुनाना चाहिए क्योंकि चीन का सामान अमेरिका में हमसे भी ज्यादा महंगा हो जाएगा। ऐसे में हम अपना सामान ज्यादा एक्सपोर्ट कर पाएंगे। हमें अपनी क्वालिटी बेहतर करनी होगी और लॉन्ग टर्म में हमें इसका बहुत लाभ हो सकता है।”
निर्यातकों का मानना है कि अगर सरकार सही रणनीति अपनाए और उद्योग जगत को साथ लेकर चले, तो यह संकट एक सुनहरे अवसर में बदला जा सकता है।।
Discover more from टेन न्यूज हिंदी
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
टिप्पणियाँ बंद हैं।