नई दिल्ली (2 अप्रैल 2025): 2 अप्रैल, बुधवार को संसद में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पेश किया जाएगा। इसके लिए सत्ता पक्ष और विपक्षी पार्टीयों ने अपनी तरफ से पुरजोर तैयारी शुरू कर दी है। दोनों ही खेमे ने अपने सदस्यों के लिए व्हिप जारी कर दिया है। इसका अर्थ यह है कि सदस्यों को हर हाल में सदन में उपस्थित रहना होगा। एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दलों ने अपने विचारों को इस विधेयक में शामिल किए जाने पर समर्थन देने का ऐलान किया है। तो वहीं दूसरी तरफ विपक्षी पार्टीयों ने इसे मुस्लिम विरोधी बातकर सदन में उपस्थित होकर विधायक का विरोध करने का ऐलान किया है।
लोकसभा में आज यानी बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पेश किया जाएगा। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू प्रश्नकाल के बाद दोपहर 12 बजे इसे सदन में चर्चा के लिए पेश करेंगे। स्पीकर ओम बिरला ने बिल पर चर्चा के लिए 8 घंटे का समय तय किया है। इसमें से एनडीए को 4 घंटे 40 मिनट दिए गए हैं, बाकी वक्त विपक्ष को मिला है। लेकिन विपक्षी पार्टियों ने इसके लिए 12 घंटे तक की चर्चा का समय की मांग की है। चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने बिल को समर्थन देने की घोषणा की है। दोनों पार्टियों ने अपने सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप भी जारी किया है।
वक्फ संशोधन विधेयक पर विपक्ष का विरोध
विपक्षी दलों ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम समेत इंडिया गठबंधन के नेताओं ने मंगलवार शाम बैठक कर रणनीति बनाई। उन्होंने निर्णय लिया कि संसदीय समिति में खारिज हुए प्रस्तावों को सदन में संशोधन के रूप में पेश किया जाएगा। यदि सरकार इन्हें स्वीकार नहीं करती है, तो विपक्ष विधेयक का पुरजोर विरोध करेगा। कांग्रेस और अन्य दलों ने अपने सांसदों को अगले तीन दिनों तक सदन में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए तैयार है। विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान में कहा है कि वे मोदी सरकार के विभाजनकारी एजेंडे को परास्त करने के लिए एकजुट हैं।
विपक्षी नेताओं की संयुक्त बैठक में साझा रणनीति
मंगलवार को संसद भवन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में विपक्षी दलों की बैठक हुई। इसमें लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, सपा नेता रामगोपाल यादव, तृणमूल कांग्रेस के नदीम उल हक, द्रमुक के टीआर बालू, राजद के मनोज झा, शिवसेना (यूबीटी) की प्रियंका चतुर्वेदी समेत इंडिया गठबंधन के लगभग सभी घटक दलों के नेता शामिल हुए। बैठक में तय हुआ कि वक्फ विधेयक के मौजूदा प्रारूप का विरोध किया जाएगा। खड़गे ने बैठक के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि सभी विपक्षी दल एकजुट हैं और मोदी सरकार के असंवैधानिक और विभाजनकारी एजेंडे को हराने के लिए संसद में मिलकर काम करेंगे। राहुल गांधी ने भी बैठक के बाद कहा कि वक्फ विधेयक पर विस्तृत चर्चा हुई।
जेपीसी के सुझावों को शामिल करने से राजग हुआ एकजुट
वक्फ संशोधन विधेयक में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा सुझाए गए 14 बदलावों को शामिल किया गया है। इसके परिणामस्वरूप तेदेपा, जदयू, हम, रालोद जैसे सभी सहयोगी दलों ने विधेयक के समर्थन की घोषणा की है और अपने सांसदों के लिए व्हिप भी जारी किया है। इन संशोधनों में राज्य सरकार द्वारा नामित वरिष्ठ अधिकारी को वक्फ संपत्तियों की जांच का अधिकार देना, मुस्लिम समाज से दो व्यक्तियों को वक्फ बोर्ड में शामिल करना, मुसलमानों द्वारा बनाए गए ट्रस्टों को वक्फ नहीं मानना और पारदर्शिता के लिए सभी वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन एक केंद्रीय पोर्टल के माध्यम से करना शामिल है।
विधेयक पर असमंजस में उद्धव ठाकरे की शिवसेना
वक्फ संशोधन विधेयक पर शिवसेना (यूबीटी) का रुख स्पष्ट नहीं है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि देखना है कि उद्धव ठाकरे अपने पिता बालासाहेब ठाकरे के विचारों पर चलते हैं या राहुल गांधी के बताए रास्ते पर। पिछले लोकसभा चुनाव के बाद जब वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया गया था, तब शिवसेना (यूबीटी) के सांसदों ने सदन का बहिष्कार किया था, जिससे मुस्लिम समुदाय में नाराजगी देखी गई थी। अब एक बार फिर वही स्थिति उत्पन्न हो रही है, जिससे शिवसेना (यूबीटी) के लिए निर्णय लेना कठिन हो गया है।
वक्फ विधेयक पर राजनीति, वोटों के तराजू में तेवरों की तौल
वक्फ संशोधन विधेयक पर राजनीतिक दलों की नजरें वोट बैंक पर टिकी है। भाजपा का तर्क है कि वह वक्फ कानून की विसंगतियों को दूर कर गरीब और पिछड़े मुस्लिमों का भला चाहती है। राजग सरकार के सहयोगी दल जदयू और तेदेपा सरकार का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन अपनी ‘सेक्युलर छवि’ को बनाए रखने की चिंता भी झलक रही है। विपक्षी खेमे से विधेयक के विरोध का सुर साझा है, लेकिन उनका दमखम विधेयक के बहुमत से पारित होने की राह में कोई बाधा नहीं डाल सकता। मुस्लिम वर्ग को यह संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है कि कौन कितना लड़ा, क्योंकि वोटों के तराजू में तेवरों की तौल से ही आस है।
वक्फ संशोधन विधेयक पर सरकार और विपक्ष की तैयारियां
वक्फ संशोधन विधेयक पर जारी बयानबाजी और विरोध-प्रदर्शनों के बीच सरकार जेपीसी की सिफारिशों के बाद आज लोकसभा में नए सिरे से इसे पेश करेगी। उधर, विपक्षी दल इस विधेयक का विरोध करने के लिए तैयार बैठे हैं। ऐसे में आज संसद में हंगामे के आसार दिख रहे हैं। इस विधेयक से पूरे देश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। बता दें कि वक्फ अधिनियम, 1995 में पहली बार संशोधन नहीं किया जा रहा है। इस कानून में 2013 में यूपीए की सरकार के समय भी संशोधन हुए थे।
वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य
वक्फ संशोधन विधेयक का मूल उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और संचालन संबंधी कमियों को दूर करना है। विधेयक को पिछले वर्ष अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था। बिल पर और अधिक विचार-विमर्श के लिए, भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में एक संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया गया था। समिति को लगभग 97 लाख सुझाव प्राप्त हुए थे। अब, इन सिफारिशों के आधार पर संशोधित विधेयक को संसद में पेश किया जा रहा है।।
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