दिल्ली HC के जज के घर में आग लगने से खुला राज!, CJI ने लिया बड़ा फैसला

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (21 मार्च 2025): दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना के बाद एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ। आग बुझाने के दौरान पुलिस और दमकल विभाग को बंगले के अंदर भारी मात्रा में नकदी मिली। इस घटना की सूचना जब भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना तक पहुंची, तो उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक बुलाई। बैठक में जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से हटाकर इलाहाबाद हाई कोर्ट वापस भेजने का फैसला लिया गया।

आग के बाद बंगले से मिला करोड़ों का कैश

कुछ दिन पहले, जस्टिस वर्मा के आधिकारिक निवास में अचानक आग लग गई थी। सूचना मिलते ही दमकल विभाग और पुलिस मौके पर पहुंची। जब आग बुझाई गई और नुकसान का आकलन करने के लिए पुलिस घर के अंदर दाखिल हुई, तो वहां भारी मात्रा में नकदी पाई गई। शुरुआती जांच में पता चला कि ये रकम संदिग्ध है, और इसका स्रोत स्पष्ट नहीं था। दिलचस्प बात यह रही कि घटना के समय जस्टिस वर्मा दिल्ली में नहीं थे, बल्कि शहर से बाहर गए हुए थे।

CJI ने कॉलेजियम की बैठक बुलाकर लिया सख्त निर्णय

जब इस पूरे मामले की जानकारी सीजेआई संजीव खन्ना तक पहुंची, तो उन्होंने इसे न्यायपालिका की छवि के लिए गंभीर खतरा माना। इस पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक बुलाई गई। बैठक में चर्चा के दौरान कई वरिष्ठ जजों ने यह राय रखी कि इस तरह की गंभीर घटना को सिर्फ ट्रांसफर तक सीमित रखना उचित नहीं होगा, क्योंकि इससे न्यायपालिका की साख को नुकसान पहुंच सकता है। हालांकि, तत्काल प्रभाव से जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से हटाकर इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने का फैसला लिया गया।

सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान कुछ जजों का यह भी मानना था कि जस्टिस वर्मा को केवल ट्रांसफर करने के बजाय उनसे इस्तीफा मांगा जाना चाहिए। उनका कहना था कि अगर इस तरह के गंभीर मामलों को हल्के में लिया गया, तो इससे न्यायपालिका की साख कमजोर होगी और आम जनता का विश्वास डगमगा सकता है। हालांकि, अभी इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट के उच्चतम स्तर तक पहुंच चुका है।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद देशभर में न्यायपालिका की पारदर्शिता और ईमानदारी को लेकर बहस छिड़ गई है। कोर्ट से जुड़े कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके। अगर जस्टिस वर्मा निर्दोष हैं, तो उन्हें अपनी सफाई देने का अवसर मिलना चाहिए। वहीं,5 अगर पैसों का स्रोत संदिग्ध साबित होता है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी हो सकती है। इस घटना ने पूरे न्यायिक तंत्र को झकझोर कर रख दिया है और अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।।


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