RBI के रिटायर्ड अधिकारी के साथ 3.14 करोड़ की ठगी, 15 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा
टेन न्यूज नेटवर्क
नोएडा (21 मार्च 2025): नोएडा में साइबर ठगों ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में एक रिटायर्ड RBI अधिकारी और उनकी पत्नी को 15 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और उनसे 3.14 करोड़ रुपये की ठगी की। ठगों ने अधिकारियों के रूप में खुद को पेश किया। आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इस घिनौनी ठगी का शिकार हुआ दंपती 78 वर्षीय बिराज कुमार सरकार और उनकी 71 वर्षीय पत्नी हैं, जो नोएडा के सेक्टर 75 स्थित गार्डेनिया गेटवे सोसाइटी में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ साइबर ठगी का खेल
यह मामला 25 फरवरी 2025 का है, जब बिराज कुमार सरकार के पास एक अनजान नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को ट्राइ (टीआरएआई) का अधिकारी बताते हुए कहा कि उनका पुराना फोन नंबर अभी भी ट्राइ में रजिस्टर्ड है। जब बिराज कुमार ने इनकार किया, तो ठग ने दावा किया कि यह नंबर मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है, जो मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन में दर्ज है। इसके बाद वह उन्हें कोलाबा पुलिस से जोड़ते हुए खुद को आईपीएस अधिकारी विजय खन्ना बताने लगे।
ठगों ने पीड़ित से कहा कि यह मामला सीबीआई को ट्रांसफर किया जा चुका है और उनसे सीबीआई अधिकारी राहुल गुप्ता ने संपर्क किया। गुप्ता ने दावा किया कि उनके नाम का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग और निवेश धोखाधड़ी के लिए किया गया है। उन्होंने बिराज कुमार को कोलाबा पुलिस स्टेशन बुलाया, लेकिन उन्होंने बीमारी और उम्र के कारण मना किया। इस पर ठगों ने उन्हें ऑनलाइन पेशी की सलाह दी और 26 फरवरी को उन्हें एक स्काइप कॉल के जरिए भारत के मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश किया।
शरीरिक और मानसिक दबाव में आई जोड़ी
मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश होने के बाद ठगों ने बिराज कुमार को बताया कि उनके सभी बैंक खाते और फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) फ्रीज कर दिए गए हैं और उनका पैसा एक “सीक्रेट सुपर विजन अकाउंट” में डाल दिया जाएगा। इन ठगों ने मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ते हुए बिराज कुमार को धमकी दी कि यदि उन्होंने इस बारे में किसी से बात की तो उनकी गिरफ्तारी हो सकती है और उनकी जान को भी खतरा हो सकता है। इसके चलते बिराज कुमार डर के कारण उनके बताए गए खातों में लगातार पैसे ट्रांसफर करते गए।
कई दिनों तक हुआ पैसों का ट्रांसफर
ठगों ने बताया कि एक बार मौद्रिक सत्यापन (मनी वैरिफिकेशन) होने के बाद उनका पैसा वापस कर दिया जाएगा, लेकिन इसके बावजूद 15 दिनों तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आया। इस दौरान ठगों ने अपने विभिन्न परिचय और वादों से बिराज कुमार को झांसा देते हुए पैसे ट्रांसफर कराए। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 3.14 करोड़ रुपये उनके खाते से ठगों के खातों में ट्रांसफर हो गए।
ठगी का खुलासा और एफआईआर
जब 3 मार्च को ठगों ने बिराज कुमार को एक पत्र भेजा जिसमें यह बताया गया कि उनका पैसा पूरी तरह से वैध और बेदाग है और 6-7 दिनों के भीतर वापस कर दिया जाएगा, लेकिन फिर भी पैसे नहीं आए। ठगों के लगातार संपर्क बनाए रखने के बाद बिराज कुमार ने अंत में ऑनलाइन साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद 19 मार्च 2025 को नोएडा साइबर सेल ने एफआईआर दर्ज की और आरोपियों की तलाश शुरू कर दी।
डीसीपी साइबर सुरक्षा, प्रीति यादव ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए कहा कि जांच तेज़ी से चल रही है और जल्द ही आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य जुटाकर कार्रवाई की जाएगी। पुलिस इस समय उन खातों का विवरण निकालने की प्रक्रिया में है, जिनमें ठगी की गई रकम ट्रांसफर की गई थी।
यह मामला साइबर अपराधों के बढ़ते खतरे को दर्शाता है, जहां ठगों द्वारा वरिष्ठ नागरिकों और अनुभवी व्यक्तियों को लक्षित किया जा रहा है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि किस प्रकार ठग तकनीकी का इस्तेमाल करके लोगों को भ्रमित करते हैं और उन्हें धोखा देने में कामयाब होते हैं।
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