मयूर विहार फेज-2 में 40 साल पुराने मंदिरों पर संकट, सीएम रेखा गुप्ता का बड़ा आदेश

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (20 मार्च 2025): दिल्ली के मयूर विहार फेज-2 में स्थित तीन ऐतिहासिक मंदिरों को तोड़ने की योजना पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के हस्तक्षेप के बाद रोक लगा दी गई। हाईकोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की टीम पुलिस बल के साथ मंदिरों को ध्वस्त करने के लिए पहुंची थी। देर रात करीब 3 बजे बुलडोजर कार्रवाई शुरू होने वाली थी, लेकिन स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों के विरोध के बाद मामला तूल पकड़ गया। जैसे ही यह सूचना पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र के विधायक रविंद्र सिंह नेगी को मिली, उन्होंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, उपराज्यपाल और सांसद हर्ष मल्होत्रा से तत्काल बातचीत की। इसके बाद मुख्यमंत्री के आदेश पर तोड़फोड़ की कार्रवाई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

मंदिरों को बचाने के लिए उमड़ा जनसैलाब

मयूर विहार फेज-2 में स्थित काली मंदिर, अमरनाथ मंदिर और बद्रीनाथ मंदिर को डीडीए के हॉर्टिकल्चर विभाग ने अवैध करार दिया था। उनका दावा था कि ये मंदिर ग्रीन बेल्ट में बने हैं और इन्हें हटाया जाना चाहिए। कार्रवाई से पहले डीडीए की टीम ने नोटिस चस्पा किए थे, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि अचानक रात के अंधेरे में बिना पूर्व सूचना के पुलिस बल के साथ मंदिरों को तोड़ने की तैयारी कर ली गई। जब बुलडोजर और डीडीए टीम मौके पर पहुंची, तो स्थानीय लोगों को इसकी भनक लग गई। मंदिरों में घंटियां बजाकर लोगों को इकट्ठा किया गया, जिससे देखते ही देखते बड़ी संख्या में भीड़ जमा हो गई।

रात 3 बजे पुलिस और डीडीए का अभियान, विधायक नेगी ने रोकी कार्रवाई

विधायक रविंद्र सिंह नेगी ने मौके पर पहुंचकर अधिकारियों से सवाल किया कि बिना सूचना और नोटिस के इतनी रात को मंदिरों को गिराने की कोशिश क्यों की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि ग्रीन बेल्ट में बने अवैध निर्माण को हटाने के लिए कोई पूर्व सूचना देने की आवश्यकता नहीं होती। इस पर विधायक ने मुख्यमंत्री से बात की और तुरंत एक्शन लिया गया। विधायक नेगी ने साफ कहा कि यह मंदिर 40 साल पुराने हैं और इलाके की धार्मिक आस्था से जुड़े हुए हैं, इसलिए किसी भी कीमत पर इन्हें हटाने नहीं दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के आदेश से बचा धार्मिक स्थल

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को जैसे ही यह मामला पता चला, उन्होंने तुरंत अधिकारियों को कार्रवाई रोकने का निर्देश दिया। उनकी हस्तक्षेप के बाद पुलिस और डीडीए टीम को वापस बुला लिया गया। फिलहाल, मंदिरों को गिराने की कार्रवाई अनिश्चितकाल के लिए रोक दी गई है। स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री और विधायक का आभार व्यक्त किया और कहा कि धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए वे हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे।

मंदिरों को बचाने के लिए जनता, स्थानीय नेता और धार्मिक संगठनों ने एकजुटता दिखाई। अब यह देखना होगा कि डीडीए इस मामले में आगे क्या कदम उठाता है। क्या सरकार मंदिरों को वैध करने का कोई उपाय निकालेगी या फिर भविष्य में इस पर फिर कोई नई कार्रवाई होगी? फिलहाल, स्थानीय जनता ने राहत की सांस ली है, लेकिन मंदिरों का भविष्य अभी भी अधर में लटका हुआ है।


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