शिक्षा प्रणाली में डिजिटल क्रांति: अपार आईडी से छात्रों को मिलेगी यूनिक पहचान.

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (13 मार्च 2025) : भारत में शिक्षा प्रणाली को अधिक पारदर्शी और डिजिटल बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने “ऑटोमेटिक परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री” (अपार आईडी) की शुरुआत की है। इसे “वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी” योजना के तहत लागू किया जा रहा है, जिससे छात्रों की पूरी शैक्षणिक यात्रा को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर संग्रहीत किया जाएगा। बिहार, राजस्थान समेत कई राज्यों में इस योजना पर तेजी से कार्य किया जा रहा है, ताकि सरकारी और निजी स्कूलों के छात्रों को एक यूनिक आईडी नंबर प्रदान किया जा सके।

क्या है अपार आईडी और इसमें क्या जानकारी होगी?

अपार आईडी एक 12 अंकों की यूनिक पहचान संख्या होगी, जिसमें छात्रों की शिक्षा संबंधी सभी जानकारियां संकलित रहेंगी। इसमें छात्र का नाम, जन्मतिथि, लिंग, पता, माता-पिता के नाम के साथ-साथ उसकी शैक्षणिक उपलब्धियों का पूरा रिकॉर्ड दर्ज होगा। इसमें स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट, कैरेक्टर सर्टिफिकेट, मार्कशीट, डिग्री, डिप्लोमा और अन्य प्रमाणपत्रों को भी जोड़ा जाएगा। इसके अलावा, छात्रों द्वारा प्राप्त छात्रवृत्तियों, खेल प्रतियोगिताओं में भागीदारी, ओलंपियाड, विशेष कौशल या ट्रेनिंग कार्यक्रमों की जानकारी भी इस आईडी में दर्ज की जाएगी।

अपार आईडी और आधार कार्ड में क्या है अंतर?

हालांकि अपार आईडी को आधार कार्ड से जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन दोनों में मूलभूत अंतर है। आधार कार्ड एक नागरिक पहचान पत्र है, जिसमें बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय जानकारी दर्ज होती है, जबकि अपार आईडी विशेष रूप से छात्रों की शैक्षिक यात्रा को ट्रैक करने के लिए बनाई गई है। आधार कार्ड का उपयोग सरकारी योजनाओं और पहचान सत्यापन के लिए किया जाता है, जबकि अपार आईडी का मुख्य उद्देश्य छात्रों की शिक्षा से संबंधित सभी जानकारियों को एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एकत्रित करना है।

फर्जी शैक्षणिक दस्तावेजों पर लगेगी रोक

यह योजना शिक्षा प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाएगी और फर्जी शैक्षणिक दस्तावेजों और जाली डिग्रियों के मामलों को रोकने में मददगार साबित होगी। वर्तमान में कई लोग नौकरी पाने के लिए फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग करते हैं, जिससे योग्य उम्मीदवारों को नुकसान उठाना पड़ता है। अपार आईडी के जरिए नियोक्ता किसी भी छात्र की शिक्षा से संबंधित सभी जानकारियों को एक क्लिक में सत्यापित कर सकेंगे, जिससे भर्ती प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और प्रभावी हो जाएगी।

एडमिशन और छात्रवृत्ति प्रक्रिया होगी आसान

अपार आईडी से छात्रों को स्कूल और कॉलेज में प्रवेश लेने में भी सहूलियत होगी। वर्तमान में विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं और सरकारी छात्रवृत्ति योजनाओं में छात्रों को अपनी शिक्षा संबंधी जानकारी को बार-बार प्रमाणित कराना पड़ता है, लेकिन अपार आईडी के माध्यम से यह प्रक्रिया सरल हो जाएगी। इससे क्रेडिट ट्रांसफर, स्कॉलरशिप आवेदन और इंटर्नशिप में भी काफी सुविधा होगी।

ड्रॉपआउट दर कम करने में मिलेगी मदद

अपार आईडी शिक्षा व्यवस्था में सुधार के साथ-साथ ड्रॉपआउट दर को कम करने में भी सहायक होगी। सरकार इस आईडी के जरिए उन छात्रों पर नजर रख सकेगी, जिन्होंने किसी कारणवश स्कूल छोड़ दिया है। इस डिजिटल प्रणाली की मदद से ड्रॉपआउट छात्रों को फिर से शिक्षा से जोड़ने और उनकी शैक्षणिक स्थिति को ट्रैक करने में सहायता मिलेगी। इसके अलावा, राज्य सरकारें इस आईडी के माध्यम से साक्षरता दर, ड्रॉपआउट दर और अन्य महत्वपूर्ण शैक्षणिक आंकड़ों को ट्रैक कर सकेंगी।

सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे छात्रों को मिलेगा

अपार आईडी के माध्यम से सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे छात्रों तक पहुंचेगा। वर्तमान में सरकारी योजनाओं में अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलती हैं, लेकिन अपार आईडी से यह प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और प्रभावी होगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सही छात्र को समय पर छात्रवृत्ति और अन्य सरकारी लाभ मिलें।

अपार आईडी अनिवार्य नहीं, माता-पिता की सहमति जरूरी

अपार आईडी बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह से स्वैच्छिक है और इसे अनिवार्य नहीं किया गया है। किसी भी छात्र की आईडी बनाने से पहले उसके माता-पिता की सहमति आवश्यक होगी। यदि छात्र नाबालिग है, तो माता-पिता को सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करना होगा। माता-पिता को यह सुविधा भी दी गई है कि वे किसी भी समय अपनी सहमति वापस ले सकते हैं। हालांकि, सरकार ने 2026-27 तक सभी छात्रों की अपार आईडी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

कैसे बनेगी अपार आईडी?

अपार आईडी बनाने की प्रक्रिया स्कूलों द्वारा पूरी की जा रही है। छात्र स्वयं इस आईडी के लिए आवेदन नहीं कर सकते, बल्कि उनके स्कूल इस प्रक्रिया को पूरा करेंगे। स्कूल को सरकार की आधिकारिक वेबसाइट apaar.education.gov.in पर जाकर छात्रों की जानकारी दर्ज करनी होगी। छात्रों को अपना आधार कार्ड और माता-पिता की सहमति पत्र प्रस्तुत करना होगा, जिसके बाद उन्हें 12 अंकों की यूनिक आईडी प्रदान की जाएगी। अभी तक देशभर में लगभग 34 करोड़ से अधिक छात्रों की अपार आईडी बनाई जा चुकी है।

क्या अपार आईडी सुरक्षित है?

शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि अपार आईडी छात्रों की प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए मजबूत एन्क्रिप्शन तकनीक से सुरक्षित की गई है। छात्रों की जानकारी को किसी भी तृतीय पक्ष के साथ साझा नहीं किया जाएगा, जब तक कि वे स्वयं इसकी अनुमति न दें। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि छात्रों की निजी जानकारी पूरी तरह से सुरक्षित रहे और किसी भी प्रकार के गलत उपयोग की संभावना न हो।

अपार आईडी से शिक्षा प्रणाली में होगा बड़ा बदलाव

अपार आईडी भारत में शिक्षा प्रणाली को अधिक संगठित और डिजिटल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे छात्रों की पूरी शैक्षणिक यात्रा को ट्रैक करना आसान हो जाएगा, जिससे एडमिशन, छात्रवृत्ति, क्रेडिट ट्रांसफर और नौकरी की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी बनेगी। यह आईडी फर्जी डिग्री और जाली दस्तावेजों पर भी रोक लगाने में सहायक होगी। हालांकि, यह अनिवार्य नहीं है और माता-पिता की सहमति के बिना इसे लागू नहीं किया जाएगा। सरकार ने 2026-27 तक सभी छात्रों को अपार आईडी से जोड़ने का लक्ष्य रखा है, जिससे भारतीय शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है।।


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