CAG रिपोर्ट में क्या हुआ खुलासा, 10 प्वाइंट्स में जानिए पूरा मामला

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (28 फरवरी 2025): भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की हालिया रिपोर्ट में दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविक स्थिति को उजागर किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के स्वास्थ्य सुधारों के दावों और जमीनी हकीकत में भारी अंतर है। कोरोना महामारी के दौरान केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए 787 करोड़ रुपये में से दिल्ली सरकार केवल 582 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई। इसी तरह, स्वास्थ्यकर्मियों के लिए दिए गए 52 करोड़ में से केवल 30 करोड़ रुपये ही खर्च हुए। यह दिखाता है कि सरकार को मिले बजट का पूरा उपयोग तक नहीं किया गया।

CAG रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी से निपटने के लिए दवाओं और PPE किट की खरीद के लिए 119 करोड़ रुपये जारी किए गए थे, लेकिन खर्च सिर्फ 83 करोड़ रुपये ही हुआ। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दिल्ली सरकार को 2016 से 2021 के बीच अस्पतालों में 32,000 बेड की संख्या बढ़ानी थी, लेकिन केवल 1,357 बेड ही जोड़े गए। इस वजह से कई मरीजों को एक ही बेड पर इलाज कराना पड़ा या फिर उन्हें फर्श पर लेटकर इलाज कराना पड़ा।

पूर्व की दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने का दावा किया था, लेकिन CAG रिपोर्ट के मुताबिक, केवल तीन नए अस्पताल बनाए गए या पहले से मौजूद अस्पतालों के आधारभूत ढांचे को बढ़ाया गया। इनमें इंदिरा गांधी अस्पताल, बुराड़ी अस्पताल और एमए डेंटल अस्पताल शामिल हैं। इन अस्पतालों के निर्माण में छह साल की देरी हुई, जिससे उनकी लागत भी बढ़ गई। सरकार का यह रवैया यह दिखाता है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार में गंभीरता नहीं बरती गई।

रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर खाली पदों के कारण आधारभूत ढांचा चरमरा गया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में 3,268, DGHS में 1,532, स्टेट हेल्थ मिशन में 1,036 और ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट में 75 पद खाली पड़े हैं। दिल्ली के प्रमुख अस्पतालों में भी यही स्थिति है। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में 503, लोक नायक अस्पताल में 581 और राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में 579 पद खाली हैं। इन पदों के खाली होने के कारण मरीजों के इलाज में भारी देरी हो रही है।

CAG रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के अस्पतालों में गंभीर बीमारियों के इलाज और सर्जरी के लिए लंबी वेटिंग लिस्ट है। लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल में प्लास्टिक सर्जरी और जलने वाली सर्जरी के लिए 12 महीने की वेटिंग है, जबकि चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में बच्चों की सर्जरी के लिए भी सालभर की प्रतीक्षा सूची बनी हुई है। CNBC अस्पताल में बाल चिकित्सा सर्जरी के लिए 12 महीने की वेटिंग है, जिससे गंभीर मामलों में मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

दिल्ली सरकार अपने मोहल्ला क्लीनिकों की प्रशंसा करती नहीं थकती, लेकिन CAG रिपोर्ट ने इन क्लीनिकों की सच्चाई उजागर कर दी है। रिपोर्ट के अनुसार, कई मोहल्ला क्लीनिकों में बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। 21 क्लीनिकों में शौचालय नहीं हैं, 15 में पावर बैकअप नहीं है और 6 में चेकअप के लिए जरूरी मेज तक नहीं है। इतना ही नहीं, डॉक्टर मरीजों को ठीक से देखने के बजाय महज कुछ सेकंड में जांच कर निपटा देते हैं।

CAG रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दिल्ली सरकार की एंबुलेंस सेवाएं भी मानकों पर खरी नहीं उतर रही हैं। CAT की एंबुलेंस बिना आवश्यक सुविधाओं के चल रही हैं, जिससे मरीजों की जान को खतरा हो सकता है। वहीं, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में 6 मॉड्यूलर और सेमी-मॉड्यूलर ओटी, स्टोन सेंटर, ट्रांसप्लांट ICU और वार्ड, किचन, 77 प्राइवेट विशेष कमरे, 16 ICU बेड, 154 सामान्य बेड और रेजिडेंट डॉक्टर्स हॉस्टल जैसी सुविधाएं उपलब्ध तो हैं लेकिन काम नहीं कर रही हैं।

CAG की रिपोर्ट पूर्व की दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जहां सरकार खुद को स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार करने वाली बताती थी, वहीं रिपोर्ट ने साफ कर दिया कि अस्पतालों में बेड, स्टाफ, सर्जरी और दवाओं तक की भारी कमी है। कोरोना महामारी के दौरान भी आवंटित बजट का पूरा उपयोग नहीं किया गया, जिससे पूर्व की सरकार की लापरवाही उजागर होती है।

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या आम आदमी पार्टी इस रिपोर्ट पर कोई जवाब देगी या फिर इसे नजरअंदाज करेगी? क्या स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए वर्तमान सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी या फिर केवल दावों और प्रचार तक सीमित रहेगी? CAG रिपोर्ट ने जो चौंकाने वाले खुलासे किए हैं, वे दिल्ली की जनता के लिए बेहद गंभीर चिंता का विषय हैं।।


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