दिल्ली की वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सेवाओं की खुली पोल: CAG रिपोर्ट में खुलासा
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (27 फरवरी 2025): दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा ‘वर्ल्ड क्लास’ स्वास्थ्य सेवाओं के दावों पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नई सरकार के गठन के साथ ही CAG की लंबित 14 रिपोर्टों को विधानसभा में पेश करने का सिलसिला शुरू हुआ, जिसमें स्वास्थ्य सेवाओं पर जारी रिपोर्ट ने राजधानी के सरकारी अस्पतालों की बदहाल स्थिति उजागर कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दवाओं और इलाज के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी है और बुनियादी ढांचे में सुधार की गति बेहद धीमी है।
जरूरी दवाओं की आपूर्ति में लापरवाही
CAG रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार के अस्पतालों में मरीजों को दी जाने वाली आवश्यक दवाओं की सूची (EDL) हर साल तैयार की जानी चाहिए, लेकिन पिछले 10 वर्षों में यह लिस्ट सिर्फ तीन बार ही बनाई गई। सरकारी अस्पतालों के लिए जरूरी दवाएं और उपकरण खरीदने की जिम्मेदारी सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी (CPA) को दी गई थी, लेकिन 2016-17 से 2021-22 के बीच CPA द्वारा समय पर आपूर्ति न किए जाने के कारण अस्पतालों को 33 से 47 प्रतिशत दवाएं खुद ही बाजार से खरीदनी पड़ीं। स्थिति इतनी गंभीर थी कि कई सरकारी अस्पतालों को अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए लोकल केमिस्टों से दवाएं खरीदनी पड़ीं। खासकर, रैबीज और हीमोफीलिया जैसी घातक बीमारियों के लिए आवश्यक इंजेक्शनों की भारी कमी पाई गई। इतना ही नहीं, उपकरणों की खरीद के लिए जारी किए गए 86 टेंडरों में से केवल 24 को ही CPA द्वारा मंजूरी दी गई।
बेड और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से जूझते अस्पताल
दिल्ली सरकार ने 2016-17 के बजट में अस्पतालों में 10,000 नए बेड जोड़ने का वादा किया था, लेकिन 2020-21 तक केवल 1,357 नए बेड ही जोड़े जा सके। CAG रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि जून 2007 से दिसंबर 2025 के बीच 15 प्लॉट नए अस्पताल और डिस्पेंसरी बनाने के लिए खरीदे गए थे, जिन पर 648.05 करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन पजेशन मिलने के बाद भी इनका इस्तेमाल नहीं किया गया।CAG रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 8 नए अस्पतालों का निर्माण होना था, लेकिन अब तक केवल 3 का ही निर्माण पूरा हो सका है, जबकि इस परियोजना में पहले ही 6 साल की देरी हो चुकी है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि बजट उपलब्ध होने के बावजूद अस्पतालों के निर्माण कार्य में देरी होती रही, जिससे मरीजों को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ा।
स्टाफ की भारी कमी, स्वास्थ्य सेवाओं पर असर
CAG रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के 28 बड़े अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में स्टाफ की भारी कमी उजागर हुई है। रिपोर्ट के अनुसार अस्पतालों में टीचिंग स्पेशलिस्ट 30%, नॉन-टीचिंग स्पेशलिस्ट 28%, और मेडिकल ऑफिसर 9% कम थे। नर्सिंग स्टाफ 21% और पैरामेडिकल स्टाफ 38% कम पाया गया। नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) की योजनाओं को लागू करने वाले कर्मचारियों की 36% कमी थी। CAG रिपोर्ट में LNJP अस्पताल के मेडिसिन और गायनी विभाग का विश्लेषण किया गया, जहां पाया गया कि प्रत्येक मरीज को डॉक्टर के साथ औसतन केवल 5 मिनट का समय मिल रहा था। ICU और इमरजेंसी वार्ड में भी आवश्यक दवाओं और उपकरणों की भारी कमी पाई गई।
सर्जरी के लिए लंबा इंतजार, ऑपरेशन थिएटर खाली पड़े
LNJP अस्पताल में बड़ी सर्जरी के लिए 2-3 महीने की वेटिंग थी, जबकि बर्न और प्लास्टिक सर्जरी विभाग में मरीजों को 6-8 महीने तक इंतजार करना पड़ रहा था। इसी दौरान, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के 12 में से 6 और जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सभी 7 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर स्टाफ की कमी के कारण खाली पड़े थे।लोकनायक हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में 24 घंटे आपातकालीन सेवाओं के लिए कोई स्थायी विशेषज्ञ डॉक्टर और वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर उपलब्ध नहीं थे। रेप पीड़ितों के लिए बनाए गए वन-स्टॉप सेंटर में भी कोई डेडिकेटेड स्टाफ नहीं था, जिससे पीड़ितों को भारी परेशानी हो रही थी।
कैट्स एंबुलेंस सेवा भी लचर हालत में
दिल्ली सरकार द्वारा संचालित कैट्स एंबुलेंस सेवा भी गंभीर लापरवाही से ग्रस्त मिली। कई एंबुलेंस बिना जरूरी उपकरणों और सुविधाओं के ही संचालित की जा रही थीं, जिससे मरीजों की जान को खतरा हो सकता है। LNJP को छोड़कर बाकी तीनों बड़े अस्पतालों जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी और चाचा नेहरू अस्पताल में ब्लड प्रोसेसिंग और स्टोरेज की सुविधा तो थी, लेकिन स्टाफ की भारी कमी के कारण इनका पूरा उपयोग नहीं हो रहा था। वहीं, LNJP अस्पताल में रेडियोलॉजिकल डायग्नोस्टिक सेवाओं के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा था।
अस्पतालों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी
CAG रिपोर्ट में बताया गया कि स्टाफ और मरीजों की सुरक्षा के लिए एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड की गाइडलाइंस का पालन तक नहीं किया जा रहा है। जनकपुरी और राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में डायटिशियन तक उपलब्ध नहीं थे, जिससे मरीजों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता की जांच नहीं हो रही थी।
दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने की जरूरत
CAG की इस रिपोर्ट से साफ है कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की स्थिति बेहद दयनीय है। स्टाफ की भारी कमी, दवाओं और उपकरणों की अनुपलब्धता, और बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की अनदेखी के कारण मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार को चाहिए कि वह स्वास्थ्य बजट का सही इस्तेमाल करे, अस्पतालों में स्टाफ की नियुक्ति करे और अधूरे पड़े निर्माण कार्यों को जल्द पूरा करे, ताकि राजधानी में स्वास्थ्य सेवाओं को वास्तव में ‘वर्ल्ड क्लास’ बनाया जा सके।
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