दिल्ली में शराब नीति पर सियासी घमासान, दिल्ली कांग्रेस ने की बड़ी मांग!

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (26 फरवरी 2025): दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर शराब नीति को लेकर घमासान मच गया है। दिल्ली विधानसभा में CAG (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट पेश होने के बाद दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने इसे लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मांग की है कि इस रिपोर्ट की जांच Public Accounts Committee (PAC) से कराई जाए और दोषियों को सजा दी जाए।

 

PAC जांच की मांग, सरकार पर उठाए सवाल

देवेंद्र यादव ने कहा, “हम सरकार से मांग करते हैं कि PAC का गठन जल्द से जल्द किया जाए ताकि इस रिपोर्ट की निष्पक्ष जांच हो सके। वैसे तो PAC का अध्यक्ष विपक्ष का नेता होता है, लेकिन दिल्ली में सरकार ही इसे लीड करती आई है। हमारी मांग है कि इन रिपोर्ट्स को सार्वजनिक तौर पर चर्चा के लिए लाया जाए।” कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार ने विधानसभा में केवल शराब नीति से जुड़ी CAG की 14 में से एक रिपोर्ट ही पेश की, जबकि बाकी रिपोर्ट्स को सार्वजनिक नहीं किया गया। उन्होंने कहा, “हमें पहले से ही संदेह था कि इस नीति में गड़बड़ियां हैं और यह सरकार के राजस्व पर असर डालेगी। कांग्रेस ने जांच एजेंसियों को शराब नीति से जुड़ी लिखित शिकायत भी दी थी, जिसमें BJP की संलिप्तता के भी सबूत थे। ऐसे में सवाल उठता है कि सभी 14 रिपोर्ट्स को पेश क्यों नहीं किया गया?”

यादव ने आगे कहा कि CAG रिपोर्ट को लूट, झूठ और फूट इन तीन शब्दों में बयां किया जा सकता है। CAG रिपोर्ट में सामने आया है कि दिल्ली की जनता के पैसों को लुटाया गया। AAP सरकार कहती रही कि हम सरकार के राजस्व को बढ़ा रहे हैं, लेकिन सच यह है कि 2002 करोड़ की लूट को अंजाम दिया गया। इसके अलावा, एक्सपर्ट्स कमेटी की सलाह को भी नजरअंदाज किया गया। इस रिपोर्ट से यह भी खुलासा हो गया है कि कैसे AAP के लोग इस लूट को लेकर जो झूठ बोल रहे थे। AAP और BJP की आपसी फूट का ही नतीजा है, जिसके चलते CAG रिपोर्ट पर विधानसभा में चर्चा नहीं हो पा रही है। हमारी मांग है कि शराब घोटाले की जांच का दायरा व्यापक किया जाना चाहिए। BJP के खिलाफ कांग्रेस द्वारा दी गई लिखित शिकायत पर जांच होना चाहिए । शराब घोटाले पर बोले जा रहे झूठ पर सार्वजनिक मंच चर्चा होना चाहिए।

अवैध शराब बिक्री पर कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने दिल्ली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि दिल्ली में 30% से 40% शराब अवैध रूप से बिक रही है, जिससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा, “सरकार कहती है कि वे प्रति बोतल एक्साइज़ (Excise) नहीं लगाएगी, बल्कि एक निश्चित राशि तय कर हर साल 5%-10% की बढ़ोतरी करेगी। सवाल यह है कि अगर दिल्ली में 10,000 बोतलें बिक रही थीं, तो अब 13,000-14,000 बोतलें कैसे बिक रही हैं? इससे साफ है कि सरकार ने 3,000-4,000 बोतलों की अवैध बिक्री को कानूनी स्वीकृति दे दी है।”

संदीप दीक्षित ने यह भी कहा कि CAG रिपोर्ट में कई अहम बिंदुओं को कवर ही नहीं किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि शराब नीति बार-बार बदली गई और इसका फायदा कुछ खास ठेकेदारों को दिया गया। CAG रिपोर्ट में यह सामने आया कि सरकार ने शराब नीति में कई बदलाव किए, जिससे कुछ चुनिंदा ठेकेदारों को फायदा मिला। रिपोर्ट के अनुसार, नीति लागू होने से पहले इसमें 77 कंपनियों की भागीदारी थी, लेकिन बाद में इसे घटाकर सिर्फ 14 कर दिया गया।

संदीप दीक्षित ने आरोप लगाया कि “ये 14 कंपनियां आपस में किसी न किसी तरह से जुड़ी हुई थीं। इनमें से कुछ कंपनियां ऐसे राज्यों से आई थीं, जहां के राजनेता AAP सरकार के साथ नजदीकी संबंध रखते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि “इस शराब नीति की बारीकियां इसके लागू होने के 8-9 महीने पहले ही चर्चा में आ गई थीं। कई अधिकारी पहले से ही इस नीति पर सवाल उठा रहे थे, क्योंकि यह पूरी तरह से सरकार और शराब व्यापारियों के बीच की मिलीभगत पर आधारित थी। इस मामले में अलग से जांच होनी चाहिए।”

 

CAG रिपोर्ट के बाद बढ़ी सियासी हलचल

CAG रिपोर्ट सामने आने के बाद दिल्ली की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस लगातार इसे बड़ा घोटाला बताते हुए सरकार पर हमलावर है। वहीं, AAP सरकार इस पर अभी तक कोई ठोस प्रतिक्रिया देने से बच रही है। अब सवाल यह उठता है कि क्या PAC की जांच होगी? क्या सरकार विधानसभा में बची हुई 13 रिपोर्ट्स को भी पेश करेगी? और सबसे अहम – क्या इस पूरे मामले में कोई बड़ी कार्रवाई होगी, या यह मुद्दा सिर्फ राजनीतिक बहस तक सीमित रह जाएगा?


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