शिक्षकों और विद्यार्थियों के शोषण पर सरकार की चुप्पी चिंताजनक:डॉ. कुलदीप मलिक

टेन न्यूज नेटवर्क

लखनऊ (25 फरवरी 2025): उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) द्वारा आयोजित परीक्षाओं को लेकर शिक्षक नेता एवं ‘शिक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम के संस्थापक डॉ. कुलदीप मलिक ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि परीक्षा संचालन के नाम पर सरकार विद्यार्थियों और शिक्षकों का शोषण कर रही है। बागपत, शामली और मुजफ्फरनगर के विभिन्न परीक्षा केंद्रों का दौरा करने के बाद डॉ. मलिक ने अपने अनुभव साझा किए और परीक्षा केंद्रों की अव्यवस्थाओं पर सरकार को कठघरे में खड़ा किया।

व्यवस्थाओं के बड़े-बड़े वादे, पर हकीकत कुछ और

डॉ. मलिक के अनुसार, यूपी बोर्ड पूरे विश्व में सबसे बड़े पैमाने पर परीक्षाएं आयोजित करने वाली संस्था है। इस बार परीक्षा में 54 से 55 लाख विद्यार्थी शामिल हो रहे हैं, लेकिन सरकार द्वारा किए गए तमाम दावों के बावजूद परीक्षा केंद्रों पर अव्यवस्थाओं की भरमार है। उन्होंने बताया कि कई परीक्षा केंद्र ग्रामीण इलाकों में बनाए गए हैं, जहां यातायात, बिजली और सुरक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। इसके चलते न केवल विद्यार्थी बल्कि शिक्षक और अन्य परीक्षा संचालक भी भारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं।

परीक्षा केंद्रों पर घड़ी तक नहीं, कैसे होगी परीक्षा?

सरकार द्वारा परीक्षा केंद्रों को सुरक्षित बनाने के लिए हर कक्षा में दो सीसीटीवी कैमरे लगाने की घोषणा की गई थी, लेकिन हकीकत यह है कि कई परीक्षा केंद्रों में समय देखने के लिए एक साधारण घड़ी तक उपलब्ध नहीं है। डॉ. मलिक ने सवाल उठाया कि आखिर जब समय की पाबंदी परीक्षा का अहम हिस्सा है तो फिर परीक्षा कक्षों में घड़ी न होना सरकार की लापरवाही को उजागर नहीं करता?

शिक्षकों के मानदेय का मुद्दा – ₹50 में कैसे होगी ईमानदारी से ड्यूटी?

डॉ. कुलदीप मलिक ने शिक्षकों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित ₹50 के मानदेय को अपमानजनक करार दिया और इसकी ₹1000 किए जाने की मांग उठाई। उन्होंने बताया कि परीक्षा केंद्रों पर शिक्षकों से एक दिन में दो-दो ड्यूटी करवाई जा रही है, जिससे उनकी परेशानी और बढ़ गई है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि शिक्षकों की मेहनत और जिम्मेदारी को समझते हुए उनके मानदेय में उचित बढ़ोतरी की जाए।

वित्तविहीन शिक्षकों को ड्यूटी से वंचित करना अन्याय

डॉ. मलिक ने बागपत जिले में वित्तविहीन शिक्षकों को परीक्षा ड्यूटी से बाहर रखने के फैसले की कड़ी आलोचना की। उन्होंने सवाल किया कि यदि प्रदेश के 25,000 वित्तविहीन स्कूलों में कार्यरत साढ़े 3 लाख शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ा सकते हैं और परीक्षा के बाद उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कर सकते हैं, तो फिर उन्हें परीक्षा ड्यूटी से वंचित करना पक्षपातपूर्ण रवैया नहीं तो क्या है? उन्होंने इस विषय पर बागपत के जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) से भी बात करने की कोशिश की।

परीक्षा केंद्रों पर चिकित्सकों की तैनाती – सरकार की असफलता उजागर

सरकार द्वारा परीक्षा केंद्रों पर चिकित्सकों की नियुक्ति को लेकर भी डॉ. मलिक ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यदि देश और प्रदेश के 80% से अधिक विद्यार्थी बीमार हैं, तभी सरकार को यह कदम उठाने की जरूरत पड़ी। उन्होंने इसे सरकार की विफलता का संकेत बताया और कहा कि यह किसी उपलब्धि का नहीं बल्कि चिंता का विषय है कि आखिर देश में विद्यार्थी इतने अस्वस्थ क्यों हो रहे हैं?

सरकार से तत्काल समाधान की मांग

डॉ. कुलदीप मलिक ने सरकार से अपील की कि परीक्षा से जुड़े इन सभी मुद्दों पर तुरंत संज्ञान लिया जाए और आवश्यक सुधार किए जाएं, ताकि न केवल विद्यार्थियों बल्कि शिक्षकों को भी एक उचित और सम्मानजनक वातावरण में काम करने का अवसर मिले। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इन समस्याओं का समाधान जल्द नहीं निकला तो शिक्षक और शिक्षा से जुड़े लोग आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।


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