नई दिल्ली (7 दिसंबर 2024): संसद के शीतकालीन सत्र के नौवें दिन राज्यसभा में उस समय हलचल मच गई जब सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन को बताया कि सीट नंबर 222 पर 500 रुपये के नोटों की गड्डी मिली है। यह सीट कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है। सभापति ने कहा कि सुरक्षा जांच के दौरान गड्डी का पता चला, लेकिन अभी तक कोई भी इस नकदी पर दावा नहीं कर रहा है। उन्होंने बताया कि मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं।
कैश पर किसी का दावा नहीं, सभापति का सवाल
धनखड़ ने कहा कि सदन में यह एक असामान्य घटना है। उन्होंने सवाल किया कि क्या कोई व्यक्ति 50,000 रुपये की गड्डी गलती से छोड़ सकता है। सभापति ने सदन को यह भी बताया कि यह पता लगाना अभी बाकी है कि नोट असली हैं या नकली।
विपक्ष और सत्ता पक्ष में टकराव
इस घटना के बाद सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आपत्ति जताई कि जांच पूरी होने से पहले किसी सदस्य का नाम लेना गलत है। वहीं, केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू और पीयूष गोयल ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए विपक्ष पर सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।
सिंघवी ने दी सफाई, जांच की मांग की
कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने सफाई देते हुए कहा कि नोटों की गड्डी से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने बताया कि, ‘मैं गुरुवार को सिर्फ तीन मिनट के लिए सदन में मौजूद था, दोपहर 12 बजकर 57 मिनट पर सदन में दाखिल हुआ और एक बजे भोजनावकाश हो गया। सिर्फ तीन मिनट सदन में रहा और फिर डेढ़ बजे तक सांसद अयोध्या प्रसाद रेड्डी के साथ कैंटीन में भोजन किया।’ उन्होंने मांग की कि सुरक्षा चूक की गहन जांच होनी चाहिए। सिंघवी ने यह भी सुझाव दिया कि संसद में सीटों पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए लॉक सिस्टम लगाया जाए।
कैसे पहुंची गड्डी? फुटेज की जांच जारी
राज्यसभा सचिवालय ने बताया कि सदन में रोजाना की तरह एंटी-सैबोटाज जांच हुई, जिसमें नोटों की गड्डी मिली। यह नकदी 50,000 रुपये के करीब थी। मामले की जांच के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाली जा रही है। जांच समिति में सुरक्षा एजेंसियों और वरिष्ठ सांसदों को शामिल किया जा सकता है।
पहले भी हो चुका है ऐसा मामला
यह पहली बार नहीं है जब संसद में नकदी का मामला सामने आया हो। इससे पहले यूपीए सरकार के दौरान विश्वास मत के समय बीजेपी सांसदों ने सदन में नोटों की गड्डियां लहराई थीं और इसे रिश्वत बताया था। वर्तमान घटना संसद की सुरक्षा व्यवस्था और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।।
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