भारत: आत्मनिर्भरता से वैश्विक निर्माण शक्ति बनने की ओर अग्रसर | टेन न्यूज विशेष
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (17 फरवरी 2025): 77 साल पहले विदेशी शासन से मुक्ति पाने वाला भारत आज आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास की मिसाल बन चुका है। विविध भौगोलिक और जनसांख्यिकीय संरचना के बावजूद, भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। संसाधनों की सीमित उपलब्धता के बावजूद, देश ने अपनी नीतियों, नवाचारों और युवा कार्यबल के बल पर आर्थिक रूप से मजबूत आधार तैयार किया है, जिससे न केवल घरेलू जरूरतें पूरी हो रही हैं, बल्कि वैश्विक आवश्यकताओं की पूर्ति भी हो रही है।
घरेलू उद्योगों का विकास और वैश्विक पहचान
भारत में उद्योगों ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी मजबूत पहचान बनाई है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों ने घरेलू विनिर्माण को नया बल दिया है, जिससे भारत दुनिया की अग्रणी कंपनियों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन गया है। वैश्विक कंपनियां भारतीय बाजार में अपनी संभावनाओं को लेकर आशान्वित हैं और यहां निवेश कर रही हैं। देश का मजबूत लोकतंत्र, आर्थिक स्थिरता और बढ़ती उपभोक्ता मांग इसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बना रही है।
वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका
भारत तेजी से वैश्विक निर्माण और नवाचार केंद्र के रूप में उभर रहा है। मजबूत नीतिगत समर्थन, निवेश-अनुकूल वातावरण और प्रतिस्पर्धी विनिर्माण लागत ने इसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के संचालन के लिए प्रमुख स्थल बना दिया है। वैश्विक आर्थिक संकटों का सफलतापूर्वक सामना करने की इसकी क्षमता इसे निवेशकों के लिए एक विश्वसनीय गंतव्य बनाती है। वैश्विक कंपनियां भारत में अपने संचालन का विस्तार कर रही हैं, जिससे न केवल देश की अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है, बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं।
नीतिगत समर्थन और औद्योगिक विकास
एक मजबूत निर्माण उद्योग किसी भी विकसित अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक होता है। इस संदर्भ में, 2025 का संघीय बजट भारत के निर्माण क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित ‘राष्ट्रीय निर्माण मिशन’ छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों को एकीकृत कर उनके समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस मिशन के तहत व्यापार करने की सुविधा, कुशल कार्यबल, तकनीकी नवाचार, और गुणवत्ता युक्त उत्पादों के निर्माण को प्राथमिकता दी जाएगी।
प्रौद्योगिकी और नवाचार में बढ़त
भारत के निर्माण क्षेत्र की प्रगति तकनीकी उन्नति पर निर्भर है। उद्योग 4.0, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और रोबोटिक्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के उपयोग से भारतीय उद्योग वैश्विक मानकों को पूरा कर रहे हैं। स्मार्ट विनिर्माण प्रक्रियाओं को अपनाने से दक्षता में वृद्धि हुई है और उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। इन तकनीकों का कुशल उपयोग भारत को वैश्विक निवेशकों के लिए और अधिक आकर्षक बना रहा है।
कौशल विकास और कार्यबल की मजबूती
भारत की युवा आबादी इसकी सबसे बड़ी संपत्ति है। सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कौशल विकास योजनाएं इस कार्यबल को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रशिक्षित करने में सहायक सिद्ध हो रही हैं। विदेशी कंपनियों को कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है और भारत इस मांग को पूरा करने के लिए तैयार है। कुशल और प्रशिक्षित युवा शक्ति भारत की निर्माण महत्वाकांक्षाओं को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
बुनियादी ढांचे का विकास और लॉजिस्टिक्स सुधार
सरकार बुनियादी ढांचे के विस्तार और लॉजिस्टिक्स सुधार पर विशेष ध्यान दे रही है। गतिशक्ति योजना जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी को मजबूत कर रहे हैं, जिससे निर्माताओं को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद मिल रही है। बेहतर परिवहन नेटवर्क, आधुनिक बंदरगाह और डिजिटल लॉजिस्टिक्स सिस्टम भारत को एक वैश्विक निर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।
भारत का लक्ष्य: तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
भारत ने 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है, जो जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ देगा। यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य सरकार की मजबूत आर्थिक नीतियों, वैश्विक निवेश आकर्षित करने की क्षमता और स्थानीय उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता पर निर्भर करेगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वैश्विक कंपनियों को भी अपनी रणनीतियों को सक्रिय रूप से विकसित करना होगा। भारत की निरंतर आर्थिक प्रगति इसे वैश्विक निर्माण शक्ति बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ा रही है।
भारत आज आत्मनिर्भरता की राह पर तेजी से बढ़ते हुए वैश्विक निर्माण और नवाचार केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। मजबूत नीतिगत समर्थन, तकनीकी नवाचार, कुशल कार्यबल और व्यापक बुनियादी ढांचे के विकास के साथ, देश वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति को और मजबूत कर रहा है। आने वाले वर्षों में, भारत न केवल एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभरेगा, बल्कि वैश्विक निर्माण केंद्र बनने के अपने लक्ष्य को भी साकार करेगा।।
रंजन अभिषेक (टेन न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली)
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