नई दिल्ली, (10 फरवरी, 2025): वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने संसद में जनगणना में हो रही देरी पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इस देरी के कारण लगभग 14 करोड़ भारतीय राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफ़एसए) के लाभ से वंचित हो रहे हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि जनगणना जल्द से जल्द कराई जाए, ताकि सभी पात्र नागरिकों को उनका अधिकार मिल सके।
संसद में बोलते हुए कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि यूपीए सरकार ने 2013 में एनएफ़एसए कानून लागू किया था। यह कानून गरीब और जरूरतमंद परिवारों को सस्ता राशन उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम के तहत 75 प्रतिशत ग्रामीण और 50 प्रतिशत शहरी आबादी को सब्सिडी वाला अनाज मिलता है। खासकर कोविड-19 के दौरान यह गरीब परिवारों के लिए बेहद सहायक साबित हुआ।
सोनिया गांधी ने बताया कि अभी भी लाभार्थियों की संख्या 2011 की जनगणना के आधार पर तय की जा रही है, जबकि देश की आबादी बढ़ चुकी है। अगर नई जनगणना होती, तो और अधिक लोगों को खाद्य सुरक्षा का लाभ मिलता। उन्होंने कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण 14 करोड़ पात्र लोग इससे वंचित हैं।
उन्होंने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा, “स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार, दशकीय जनगणना चार साल से अधिक समय से टल रही है। सरकार ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि जनगणना कब होगी। बजट में भी इसके लिए पर्याप्त राशि आवंटित नहीं की गई है, जिससे स्पष्ट है कि यह इस साल भी नहीं होगी।”
सोनिया गांधी ने जनगणना में देरी को गरीबों के लिए बड़ा संकट बताया। उन्होंने सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द जनगणना कराई जाए, ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंद लोग एनएफ़एसए के तहत सस्ती दरों पर अनाज प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा, “खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। सरकार को तुरंत इस मामले पर कार्रवाई करनी चाहिए।”
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