परंपरा, संघर्ष और साधना से बनी पहचान: कथक नृत्यांगना दुर्गेश्वरी सिंह की प्रेरक यात्रा

टेन न्यूज़ नेटवर्क

Greater Noida News (16 December 2025): जब परंपरा और मेहनत एक साथ चलती हैं, तब कला केवल प्रदर्शन नहीं रहती, बल्कि पहचान बन जाती है। ऐसी ही एक सशक्त पहचान हैं कथक नृत्यांगना और शिक्षिका दुर्गेश्वरी सिंह (Durgeshwari Singh) , जो विश्वविख्यात कथक गुरु पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज (Pandit Birju Maharaj) और उनकी सुपुत्री कथक गुरु ममता महाराज (Mamta Maharaj) की प्रिय शिष्या रही हैं। दुर्गेश्वरी सिंह न केवल एक संवेदनशील कलाकार हैं, बल्कि गुरु-शिष्य परंपरा को समर्पित एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व भी हैं।

दुर्गेश्वरी सिंह का नृत्य सफर बचपन से ही शुरू हो गया था। इंदौर में कक्षा दूसरी में पढ़ते समय ही वह अपने शहर की जानी-पहचानी डांसर बन चुकी थीं। उनके नृत्य को देखने लोग दूर-दूर से आते थे। हालांकि पारिवारिक कारणों से लखनऊ और फिर गोरखपुर स्थानांतरण के चलते उनका नृत्य अभ्यास कुछ समय के लिए रुक गया, लेकिन कला से उनका जुड़ाव कभी कमजोर नहीं पड़ा। गोरखपुर में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने डांस प्रतियोगिता में भाग लिया और प्रथम पुरस्कार जीतकर एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। इसके बाद स्कूल के लगभग हर कार्यक्रम में उनका प्रदर्शन अनिवार्य हो गया।

नेशनल लेवल की कई नृत्य प्रतियोगिताओं में भाग लेने के बावजूद दुर्गेश्वरी सिंह का औपचारिक कथक प्रशिक्षण अपेक्षाकृत देर से शुरू हुआ। परिवार की आर्थिक स्थिति और शुरुआती विरोध के चलते वह समय पर कथक की विधिवत शिक्षा नहीं ले सकीं। इसके बावजूद उन्होंने पढ़ाई को प्राथमिकता दी और बी.एड. के साथ-साथ इंग्लिश लिटरेचर व एजुकेशन में एम.ए. की डिग्री हासिल की। हालांकि 9 से 5 की नौकरी उन्हें कभी आकर्षित नहीं कर पाई, क्योंकि उनका मन हमेशा कला और साधना में ही रमा रहा।

ग्रेटर नोएडा आने के बाद दुर्गेश्वरी सिंह ने अपने सपनों को नई दिशा दी और गामा-2 क्षेत्र में “ज्ञानेश्वरी इंस्टिट्यूट” की स्थापना की। यहीं से उनके कथक सफर की सच्ची शुरुआत हुई। उन्होंने पहले जयपुर घराने के एक गुरु से कथक सीखा और बाद में पंडित बिरजू महाराज को अपना ईश्वर मानते हुए उनकी परंपरा से जुड़ गईं। मयूर विहार में कथक गुरु ममता महाराज से उन्होंने नियमित रूप से प्रशिक्षण प्राप्त किया। दुर्गेश्वरी सिंह का मानना है कि उनका लक्ष्य हमेशा मंच पर चमकने से ज्यादा सीखने और ज्ञान अर्जित करने का रहा है।

अपने सफर में उन्होंने आर्थिक कठिनाइयों, पारिवारिक विरोध और कड़ी प्रतिस्पर्धा जैसी कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। आज उनके संस्थान से जुड़े कई छात्र टीवी शो, विज्ञापन, स्कूल कार्यक्रमों और विभिन्न सांस्कृतिक मंचों पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके बावजूद दुर्गेश्वरी सिंह स्वयं को गुरु कहने से बचती हैं और खुद को आज भी एक साधक और सीखने की प्रक्रिया में मानती हैं।

टेन न्यूज़ नेटवर्क से विशेष बातचीत में दुर्गेश्वरी सिंह ने कहा कि नृत्य और संगीत केवल एक प्रोफेशन नहीं, बल्कि मन को स्थिर रखने और जीवन की चुनौतियों से लड़ने की शक्ति देता है। वह माता-पिता से अपील करती हैं कि भले ही बच्चे कला को करियर न बनाएं, लेकिन नृत्य और संगीत से जरूर जुड़ें, क्योंकि यह उन्हें मानसिक रूप से मजबूत, संतुलित और संवेदनशील बनाता है।

कथक नृत्यांगना दुर्गेश्वरी सिंह की यह यात्रा न केवल कला प्रेमियों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो संघर्षों के बीच अपने सपनों को साकार करना चाहता है। हमें उम्मीद है कि उनकी यह प्रेरणादायी कहानी आपको भी आगे बढ़ने और अपनी साधना पर विश्वास बनाए रखने की प्रेरणा देगी।

आपको यह यात्रा कैसी लगी? अपनी राय इनबॉक्स में अवश्य साझा करें।।

Gyaneshwari Institute, Greater Noida | Music | Dance | Kathak | Durgeshwari Singh | Photo Highlights


प्रिय पाठकों एवं दर्शकों, प्रतिदिन भारत सरकार , दिल्ली सरकार, राष्ट्रीय एवं दिल्ली राजनीति ,   दिल्ली मेट्रो, दिल्ली पुलिस तथा दिल्ली नगर निगम, NDMC, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र की ताजा एवं बड़ी खबरें पढ़ने के लिए hindi.tennews.in : राष्ट्रीय न्यूज पोर्टल को विजिट करते रहे एवं अपनी ई मेल सबमिट कर सब्सक्राइब भी करे। विडियो न्यूज़ देखने के लिए TEN NEWS NATIONAL यूट्यूब चैनल को भी ज़रूर सब्सक्राइब करे।

टेन न्यूज हिंदी | Ten News English | New Delhi News | Greater Noida News | NOIDA News | Yamuna Expressway News | Jewar News | NOIDA Airport News.


Discover more from टेन न्यूज हिंदी

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

टिप्पणियाँ बंद हैं।