गलगोटियास विश्वविद्यालय में SIH 2025 के चौथे दिन नवाचार अपने चरम पर, ओरोबोनिक्स टीम का ‘KRITRIM’ रोबोट बना आकर्षण का केंद्र
ग्रेटर नोएडा। स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन (एसआईएच) 2025 के चौथे दिन गलगोटियास विश्वविद्यालय का परिसर नवाचार, तकनीकी कौशल और निरंतर प्रगति का केंद्र बना रहा। जैसे-जैसे टीमें अपने प्रोटोटाइप को अंतिम रूप देने की ओर बढ़ रही हैं, टीमें अपने समाधान को और बेहतर, व्यावहारिक और सटीक बनाने में जुटी हुई हैं।
चौथे दिन विश्वविद्यालय के अपने विद्यार्थियों की नवाचार क्षमता भी पूरे देश का ध्यान खींच रही है। विशेष रूप से विश्वविद्यालय की ओरोबोनिक्स टीम द्वारा विकसित मानवरूपी रोबोट ‘KRITRIM’ पूरे आयोजन का आकर्षण बना हुआ है। यह रोबोट हॉस्पिटैलिटी, मेडिकल सहायता, ड्रोन ऑपरेशंस और कई अन्य तकनीकी कार्यों में उपयोग किए जाने की क्षमता रखता है।
KRITRIM की विशेषता यह है कि इसे उन स्थानों पर भी उपयोग किया जा सकता है जहाँ मनुष्यों या पारंपरिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए काम करना कठिन या जोखिमपूर्ण होता है। उदाहरण के तौर पर एमआरआई कक्ष, जहाँ अत्यधिक चुंबकीय क्षेत्र के कारण मानव हस्तक्षेप सीमित होता है। ऐसी स्थिति में KRITRIM सुरक्षित रूप से अपॉइंटमेंट चेक, वेरिफिकेशन और आवश्यक सूचनाओं के आदान-प्रदान जैसे कार्य कर सकता है। रोबोट पूरी तरह मॉड्यूलर डिज़ाइन पर आधारित है, जिससे इसके पार्ट्स को आसानी से बदला या रिपेयर किया जा सकता है।
इसी दौरान एसआईएच के चौथे दिन विभिन्न टीमों द्वारा अपने प्रोटोटाइप को बेहतर बनाने का सिलसिला जारी रहा। छात्र समस्याओं का समाधान ढूँढने के साथ-साथ इंटरफेस में सुधार, नए फीचर्स का समावेश और अंतिम आउटपुट की गुणवत्ता को मजबूत करने में लगे रहे। तकनीकी चर्चाओं, रचनात्मक सोच और सटीक समाधान पर ध्यान ने वातावरण को और ऊर्जावान बना दिया।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ ध्रुव गलगोटिया ने बताया विश्वविद्यालय ने निरंतर उत्कृष्ट तकनीकी सुविधाएँ, सतत मेंटर सहयोग और एक जीवंत इनोवेशन इकोसिस्टम प्रदान किया, जिससे देशभर से आए प्रतिभागियों को अपने काम को बेहतर करने का अनुकूल वातावरण मिला। उद्योग विशेषज्ञों और फैकल्टी मेंटर्स ने छात्रों को तकनीकी सुधार, व्यावहारिकता और उपयोगकर्ता-केंद्रित समाधान तैयार करने में महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से आई टीमों ने अपनी समस्या-समाधान क्षमता का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। जैसे-जैसे टीमें अंतिम मूल्यांकन के करीब पहुँच रही हैं, यह स्पष्ट हो रहा है कि भारत का युवा न केवल नवाचार में अग्रणी है, बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी, टिकाऊ और प्रभावी तकनीकी समाधान देने में सक्षम है।
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