दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों की सर्वोच्च न्यायालय में हुई तीखी बहस, कस्टडी पर उठे सवाल
टेन न्यूज़ नेटवर्क
New Delhi News (05 December 2025): 2 दिसंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट में 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े UAPA मामले की अत्यंत महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। इस सुनवाई में उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा सहित कई आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर एक साथ बहस हुई। बचाव पक्ष और सरकारी पक्ष दोनों ने विस्तृत तर्क प्रस्तुत किए। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उमर खालिद का पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि “उमर बिना ट्रायल के 5 साल 3 महीने से जेल में हैं,” जो स्वयं में एक गंभीर न्यायिक चिंता है। उन्होंने कहा कि उमर खालिद पर ‘बड़ी साजिश’ का आरोप केवल उनके अमरावती में दिए गए भाषण पर आधारित है, जिसे अदालत में सुनाया भी गया।
सिब्बल ने दावा किया कि उस भाषण में न तो हिंसा भड़काने वाली भाषा थी, न ही किसी प्रकार का सांप्रदायिक उकसावा। उन्होंने कहा कि “उमर ने भाषण में स्पष्ट कहा था कि गोली चलने पर भी हम नफरत से जवाब नहीं देंगे,” और यह कथन किसी भी प्रकार से हिंसा को बढ़ावा देने वाला नहीं है। सिब्बल ने यह भी बताया कि दंगों के दौरान 23 से 25 फरवरी 2020 तक उमर दिल्ली में थे ही नहीं, बल्कि बिहार के मुंगेर में थे, जिसके लोकेशन रिकॉर्ड उपलब्ध हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि जिस व्हाट्सऐप ग्रुप को साजिश का मंच बताया जा रहा है, उमर उसके एडमिन तक नहीं थे और ना ही उन्होंने किसी संदेश के जरिए हिंसा बढ़ाने की कोशिश की।
गुलफिशा फातिमा की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस करते हुए कहा कि “गुलफिशा करीब 6 साल से जेल में हैं और उनके खिलाफ किसी बड़ी साजिश का एक भी ठोस सबूत नहीं है।” उन्होंने तर्क दिया कि पुलिस ने अपने प्रेस नोट्स में ‘सत्ता बदलने की साजिश’ कहकर कहानी बनाई, जबकि चार्जशीट में इसका उल्लेख तक नहीं है। सिंघवी ने कहा कि गुलफिशा न किसी फंडिंग मीटिंग का हिस्सा थीं, न किसी साजिशी ग्रुप की सदस्य। उनका योगदान केवल शांतिपूर्ण प्रदर्शन तक सीमित था। उन्होंने कहा कि नताशा नरवाल और देवांगना कलिता जैसे आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है, ऐसे में उनसे भी कम भूमिका वाली गुलफिशा को जेल में रखना न्यायसंगत नहीं।
शरजील इमाम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि “शरजील को तो 28 जनवरी 2020 को गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि दंगे उसके कई सप्ताह बाद हुए।” दवे ने कहा कि यह दावा कि शरजील के भाषण दंगों की प्रेरणा थे, तथ्यात्मक रूप से गलत है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने उन्हें “बौद्धिक आतंकवादी” जैसा शब्द दिया, जबकि इसके समर्थन में कोई ट्रायल या सबूत पेश नहीं किया गया। जस्टिस अरविंद कुमार ने शरजील के भाषणों पर कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए और पूछा कि क्या ऐसे भाषणों को केवल उकसावा माना जाए या उन्हें UAPA की धारा 15 के तहत आतंकी कृत्य की श्रेणी में रखा जा सकता है।
कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या ‘चार हफ्तों में कुछ बड़ा करने’ जैसे कथनों को दंगों की तैयारी का संकेत माना जा सकता है, जैसा कि पुलिस का दावा है। दवे ने जवाब में कहा कि “सिर्फ भाषण देना UAPA की धारा 15 के तहत आतंकी कृत्य नहीं बनता,” इसके लिए हिंसक योजना, फंडिंग या किसी मीटिंग का ठोस सबूत अनिवार्य है। उन्होंने यह भी कहा कि शरजील के असम को लेकर दिए गए भाषण पर पहले से अलग-अलग FIR दर्ज हैं, जिनमें उन्हें जमानत मिल चुकी है, और मौजूदा FIR में भाषण से आगे कोई हिंसक घटना साबित नहीं की गई है।
सुप्रीम कोर्ट की दो-न्यायाधीशों की पीठ—जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन.वी. अंजरिया—ने स्पष्ट संकेत दिए कि इस केस में तीन बड़े मुद्दे निर्णायक होंगे: पहला, भाषणों की कानूनी व्याख्या; दूसरा, क्या UAPA को हर विरोध प्रदर्शन या उग्र बयान पर लागू किया जा सकता है; और तीसरा, बिना ट्रायल के अनिश्चितकाल तक जेल में रखने को क्या जमानत का मजबूत आधार माना जाना चाहिए। यह मामला सिर्फ उमर खालिद, शरजील इमाम और गुलफिशा फातिमा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि UAPA के उपयोग, नागरिक अधिकारों और न्यायपालिका के भविष्य के दृष्टिकोण को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण फैसला साबित हो सकता है।।
प्रिय पाठकों एवं दर्शकों, प्रतिदिन भारत सरकार , दिल्ली सरकार, राष्ट्रीय एवं दिल्ली राजनीति , दिल्ली मेट्रो, दिल्ली पुलिस तथा दिल्ली नगर निगम, NDMC, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र की ताजा एवं बड़ी खबरें पढ़ने के लिए hindi.tennews.in : राष्ट्रीय न्यूज पोर्टल को विजिट करते रहे एवं अपनी ई मेल सबमिट कर सब्सक्राइब भी करे। विडियो न्यूज़ देखने के लिए TEN NEWS NATIONAL यूट्यूब चैनल को भी ज़रूर सब्सक्राइब करे।
टेन न्यूज हिंदी | Ten News English | New Delhi News | Greater Noida News | NOIDA News | Yamuna Expressway News | Jewar News | NOIDA Airport News.
Discover more from टेन न्यूज हिंदी
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
टिप्पणियाँ बंद हैं।