पं. जवाहर लाल नेहरू पर क्या बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मच गया सियासी बवाल!
टेन न्यूज़ नेटवर्क
New Delhi News (04 December 2025): देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान ने संसद से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हलचल मचा दी है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार को सीधी चुनौती देते हुए कहा कि यदि उनके पास नेहरू पर लगाए गए आरोपों के पुख्ता सबूत हैं, तो उन्हें सार्वजनिक किया जाए और पूरे देश में प्रचारित किया जाए। उनका कहना था कि इतिहास से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए और सरकार को पारदर्शिता दिखानी चाहिए। इस बयान ने सियासी तापमान को और बढ़ा दिया है और संसद में बहस तेज हो गई है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे और कच्चे तेल की खरीद को लेकर भी खड़गे ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि भारत को किसी भी वैश्विक दबाव में आकर निर्णय नहीं लेना चाहिए और ऊर्जा नीति पूरी तरह देश के हित को ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए। खरगे का कहना था कि भारत की आर्थिक और रणनीतिक आवश्यकताएँ सर्वोपरि हैं, इसलिए तेल खरीद का फैसला केवल हमारी सुविधा और फायदे के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक दबावों के बीच भारत को अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करना चाहिए।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में निरंतर गिरावट को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार की आर्थिक नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यदि मौजूदा सरकार की नीतियाँ मजबूत और दूरदर्शी होतीं, तो रुपये की वैल्यू बढ़ सकती थी, लेकिन इसके उलट लगातार गिरावट देश की अर्थव्यवस्था की कमजोर स्थिति को उजागर करती है। खड़गे ने चेतावनी दी कि रुपये की गिरावट आम लोगों की जेब, महंगाई, आयात लागत और देश की वित्तीय छवि पर गहरा असर डालती है, इसलिए सरकार को इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए और तत्काल ठोस कदम उठाने चाहिए।
संसद में बढ़ते राजनीतिक तनाव के बीच यह स्पष्ट है कि विपक्ष नेहरू पर दिए गए बयान से लेकर विदेशी नीति और आर्थिक मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए आक्रामक रुख अपनाए हुए है। सरकार की ओर से अभी तक विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सत्तापक्ष का कहना है कि विपक्ष बेवजह विवाद खड़ा कर रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जैसे-जैसे सत्र आगे बढ़ेगा, यह टकराव और तीखा हो सकता है, क्योंकि विपक्ष जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग पर अडिग है।
गौरतलब है कि, बीते मंगलवार को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर बड़ोदरा के पास साधली गांव में आयोजित ‘एकता मार्च’ के दौरान एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि “पंडित जवाहरलाल नेहरू सरकारी पैसे से बाबरी मस्जिद अयोध्या में बनाना चाहते थे। अगर किसी ने इस प्रस्ताव का विरोध किया तो वह गुजराती मां के बेटे सरदार वल्लभ भाई पटेल थे। उन्होंने सरकारी पैसे से बाबरी मस्जिद नहीं बनने दी। इस दौरान जब नेहरू ने गुजरात में सोमनाथ मंदिर को ठीक करने का मुद्दा उठाया तो पटेल ने साफ कहा कि मंदिर एक अलग मामला है क्योंकि इसके सुधार के लिए जरूरी 30 लख रुपए आम लोगों ने दान दिए थे।”
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