New Delhi News (03 December 2025): दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरण संकट के बीच कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार को लिखे लेख के माध्यम से अरावली की पहाड़ियों पर बढ़ रहे अवैध खनन को लेकर गहरी चिंता जताई है। सोनिया गांधी ने लिखा कि 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों पर खनन की अनुमति, अरावली के लिए मौत के वारंट पर साइन करने जैसा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की हवा, जलस्रोत और पहाड़ी पारिस्थितिकी तंत्र पहले ही संकट में हैं और सरकार की नीतियां इस खतरे को और बढ़ा रही हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकारी फैसलों ने खनन माफियाओं को खुली छूट दे दी है। पर्यावरण विशेषज्ञ भी लंबे समय से अरावली क्षेत्र में अनियंत्रित खनन के दुष्प्रभावों पर अलार्म बजा रहे हैं।
सोनिया गांधी ने अपने लेख में कहा कि अरावली रेंज, जो गुजरात से हरियाणा तक फैली है, भारतीय भूगोल और इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। उन्होंने लिखा कि यह पर्वत श्रृंखला पहले ही भारी अवैध खनन से कमजोर हो चुकी है और अब सरकार की नई नीति इसे लगभग समाप्त कर देगी। सोनिया के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा तय की गई ऊंचाई सीमा के कारण अरावली की करीब 90 प्रतिशत पहाड़ियों पर खनन का रास्ता साफ हो गया है। यह न केवल स्थानीय पर्यावरण के लिए, बल्कि पूरे उत्तर भारत की जलवायु सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय माइनिंग माफिया के हित में लिया गया प्रतीत होता है। पर्यावरणीय दृष्टिकोण से यह नीति बेहद हानिकारक साबित हो सकती है।
सोनिया गांधी ने अपने लेख में वन कानूनों में किए गए बदलावों पर भी कठोर टिप्पणी की। उन्होंने जंगलों की कटाई, वन्यजीव क्षेत्रों में सड़कें और खनन विस्तार को ‘वाइल्डलाइफ़ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 की भावना के खिलाफ’ बताया। उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदायों को जंगलों से बेदखल किया जा रहा है, जबकि वे पर्यावरण संरक्षण के प्राकृतिक सहयोगी हैं। सोनिया ने फॉरेस्ट (कंजर्वेशन) एक्ट, 1980 और फॉरेस्ट कंजर्वेशन रूल्स 2022 में किए गए बदलावों को वापस लेने की मांग की। उनका कहना है कि केंद्र सरकार की नीतियां पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने के बजाय व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रही हैं। इससे भविष्य में जल संकट और बाढ़ जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
इससे पहले 20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों की परिभाषा पर केंद्र सरकार के दृष्टिकोण को मानते हुए महत्वपूर्ण आदेश दिया था। जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियां माइनिंग के कड़े प्रतिबंधों के दायरे से बाहर होंगी। अदालत ने पर्यावरण मंत्रालय की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए अरावली क्षेत्र में सस्टेनेबल माइनिंग के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार करने के आदेश दिए। कोर्ट ने एमपीएसएम (मैनेजमेंट प्लान फॉर सस्टेनेबल माइनिंग) तैयार करने को कहा, ताकि माइनिंग के लिए प्रतिबंधित, संवेदनशील और पुनर्स्थापन-प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की स्पष्ट पहचान हो सके। यह फैसला पर्यावरणविदों में नई बहस का कारण बना है। कई विशेषज्ञों ने चेताया कि ढिलाई खनन गतिविधियों को बढ़ावा दे सकती है।
सोनिया गांधी के इस लेख के बाद राजनीतिक हलकों में नई बहस छिड़ गई है। कांग्रेस ने इसे केंद्र सरकार की पर्यावरण नीतियों की विफलता करार दिया, जबकि पार्टी ने उनके लेख का हिस्सा सोशल मीडिया पर भी साझा किया। सोनिया का कहना है कि हवा, जंगल, पहाड़ और जलस्रोतों से छेड़छाड़ सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों का नुकसान नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने केंद्र सरकार से तत्काल पर्यावरणीय नीतियों की समीक्षा की मांग की है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का भी कहना है कि अगर अरावली को बचाने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो दिल्ली-एनसीआर की पर्यावरणीय स्थिति और बिगड़ सकती है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस आलोचना और चेतावनी पर क्या प्रतिक्रिया देती है।।
प्रिय पाठकों एवं दर्शकों, प्रतिदिन भारत सरकार , दिल्ली सरकार, राष्ट्रीय एवं दिल्ली राजनीति , दिल्ली मेट्रो, दिल्ली पुलिस तथा दिल्ली नगर निगम, NDMC, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र की ताजा एवं बड़ी खबरें पढ़ने के लिए hindi.tennews.in : राष्ट्रीय न्यूज पोर्टल को विजिट करते रहे एवं अपनी ई मेल सबमिट कर सब्सक्राइब भी करे। विडियो न्यूज़ देखने के लिए TEN NEWS NATIONAL यूट्यूब चैनल को भी ज़रूर सब्सक्राइब करे।
टेन न्यूज हिंदी | Ten News English | New Delhi News | Greater Noida News | NOIDA News | Yamuna Expressway News | Jewar News | NOIDA Airport News.
Discover more from टेन न्यूज हिंदी
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
टिप्पणियाँ बंद हैं।