National News (23 November 2025): 56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) के चौथे दिन आज अभिनेता अनुपम खेर ने गोवा के पणजी स्थित कला मंदिर में आयोजित प्रेरणादायक मास्टरक्लास में दर्शकों को अपनी जीवन यात्रा के किस्सों से मंत्रमुग्ध कर दिया। “हार मानना कोई विकल्प नहीं है” विषय पर आधारित इस सत्र में खेर ने अपने करियर, संघर्षों और सीखों को बेहद सरल, रोचक और प्रभावी अंदाज़ में साझा किया।
सत्र की शुरुआत उन्होंने अपनी पहली बड़ी फिल्म “सारांश” के अनुभव से की। उन्होंने बताया कि शूटिंग से कुछ दिन पहले ही उन्हें उनकी मुख्य भूमिका से हटा दिया गया था। छह महीनों की कड़ी तैयारी के बाद मिली इस अस्वीकृति ने उन्हें अंदर तक हिला दिया था, और वे मुंबई छोड़ने का मन बना चुके थे। लेकिन निर्देशक महेश भट्ट से अंतिम मुलाकात के दौरान उनकी सच्ची प्रतिक्रिया ने भट्ट को फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया और उन्हें फिल्म में वापस ले लिया गया। खेर के अनुसार, यह घटना उनके जीवन का निर्णायक मोड़ बनी और उन्होंने यहीं सीखा कि “झटका कभी-कभी उत्थान की शुरुआत होता है।”
अनुपम खेर ने मास्टरक्लास में अपने बचपन और परिवार की यादें भी साझा कीं। 14 सदस्यों वाले एक तंग घर में पले-बढ़े खेर ने बताया कि उनके दादाजी हमेशा जीवन को हल्के-फुल्के अंदाज़ में देखते थे और छोटी-छोटी चीज़ों में खुशी ढूंढ़ते थे। उनके अनुसार, यही सीख उन्हें आज भी सकारात्मक बनाए रखती है।
उन्होंने अपने पिता का एक किस्सा भी सुनाया, जो वन विभाग में क्लर्क थे। खेर ने बताया कि एक बार जब उनके पिता को पता चला कि वे 60 विद्यार्थियों की कक्षा में 58वें स्थान पर आए हैं, तो डांटने के बजाय पिता ने कहा, “जो व्यक्ति प्रथम आता है, उसे हमेशा वही स्थान बनाए रखने का दबाव रहता है। लेकिन 58वें स्थान पर आने वाले के पास बेहतर करने के अनगिनत मौके होते हैं।” खेर ने कहा कि इस एक वाक्य ने उनकी सोच बदल दी और उन्हें सिखाया कि “असफलता एक घटना है, कोई व्यक्ति नहीं।”

उन्होंने दर्शकों को यह भी समझाया कि व्यक्तित्व का मूल अर्थ है अपने आप में सहज होना। उनकी सलाह थी कि हर व्यक्ति अपने जीवन की बायोपिक का नायक बने, क्योंकि कठिनाइयाँ ही कहानी को रोचक बनाती हैं। “जीवन आसान क्यों होना चाहिए? समस्याएँ ही आपकी कहानी को सुपरस्टार बायोपिक बनाती हैं,” उन्होंने कहा।
पूरे सत्र में खेर की ऊर्जा, हास्य और भावनाएँ दर्शकों को बार-बार प्रेरित करती रहीं। समापन में उन्होंने कहा, “हार मानना सिर्फ एक वाक्य नहीं, बल्कि कड़ी मेहनत और दृढ़ता का संकल्प है। अगर आप रास्ते में ही छोड़ देंगे, तो आपकी कहानी यहीं खत्म हो जाएगी।”
IFFI के बारे में
1952 में स्थापित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव दक्षिण एशिया का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित फिल्म समारोह है। एनएफडीसी, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और गोवा सरकार के सहयोग से आयोजित यह महोत्सव पुनःस्थापित क्लासिक फिल्मों, अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं, मास्टरक्लास, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और WAVES फ़िल्म मार्केट के ऊर्जावान माहौल के लिए जाना जाता है। 20 से 28 नवंबर तक जारी 56वां संस्करण इस वर्ष भी विविध भाषाओं, नवाचारों और नई आवाज़ों का शानदार मिश्रण प्रस्तुत कर रहा है।।.
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