मनरेगा में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने की पहल तेज, ई-KYC से जॉब कार्ड सत्यापन में आएगी तेजी
टेन न्यूज नेटवर्क
National News (21 November 2025): ग्रामीण विकास मंत्रालय महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के पारदर्शी और प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर लगातार गंभीर प्रयास कर रहा है, ताकि देशभर के ग्रामीण परिवार अधिनियम के प्रावधानों का पूर्ण लाभ उठा सकें। वर्तमान में मनरेगा का दायरा बेहद विस्तृत है—देश के 2.69 लाख ग्राम पंचायतों में 26 करोड़ से अधिक श्रमिक पंजीकृत हैं।
अधिनियम के अनुसूची-II के पैरा 2 के अनुसार ग्राम पंचायत का दायित्व है कि आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर जॉब कार्ड जारी करे। जॉब कार्ड में विशिष्ट जॉब कार्ड नंबर, पंजीकरण संख्या, बीमा पॉलिसी संख्या और आधार संख्या (यदि उपलब्ध हो) दर्ज करना अनिवार्य है। वहीं, पैरा 3 के अनुसार जॉब कार्ड का नवीनीकरण हर पाँच वर्ष में सत्यापन प्रक्रिया के बाद किया जाता है। जॉब कार्ड जारी करना, सत्यापन और नवीनीकरण राज्य सरकारों तथा पंचायती राज संस्थाओं की जिम्मेदारी है।
मंत्रालय ने राज्यों को सलाह दी है कि वे एनएमएमएस (राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली) ऐप में उपलब्ध ई-KYC सुविधा का उपयोग जॉब कार्ड सत्यापन और निर्धारित प्रक्रिया के तहत नवीनीकरण के लिए प्राथमिकता से करें। ई-KYC प्रक्रिया में ग्राम रोजगार सहायक, कार्यस्थल पर्यवेक्षक, मेट या अन्य पंचायत स्तरीय अधिकारी एनएमएमएस ऐप के माध्यम से श्रमिक की वास्तविक समय की फोटो लेकर उसे आधार विवरण से डिजिटल रूप से सत्यापित करते हैं। यह संपूर्ण प्रक्रिया एक मिनट से भी कम समय में पूरी हो जाती है। केंद्र ने राज्यों से नेटवर्क कनेक्टिविटी समेत सभी तकनीकी समस्याएँ दूर करने और शिविरों या कार्यस्थलों पर ई-KYC सुचारू रूप से संचालित करने के निर्देश दिए हैं। अभी तक देशभर में 56 प्रतिशत से अधिक सक्रिय श्रमिकों का ई-KYC पूरा किया जा चुका है।
मंत्रालय का कहना है कि 99.67 प्रतिशत सक्रिय श्रमिकों के आधार पहले ही जुड़े हुए हैं, इसलिए ई-KYC जॉब कार्ड सत्यापन का सरल, विश्वसनीय और प्रभावी तरीका बनकर उभर रहा है। मंत्रालय यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि जमीनी स्तर के सभी कार्मिकों को आवश्यक प्रशिक्षण और संवेदनशीलता प्रदान की जाए ताकि प्रक्रिया बिना बाधा के संचालित हो सके।
जॉब कार्ड हटाने (डिलीशन) को लेकर भी मंत्रालय ने 24 जनवरी 2025 को विस्तृत एसओपी जारी की थी। इसमें राज्यों के लिए स्पष्ट, पारदर्शी और एकरूप दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए हैं, जिससे गलत या मनमाने हटाने की घटनाओं को रोका जा सके। श्रमिकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एसओपी में पर्याप्त सुरक्षा उपाय शामिल किए गए हैं, और मंत्रालय इसके पालन की कड़ी निगरानी कर रहा है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने दोहराया है कि मनरेगा में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता सर्वोच्च प्राथमिकता है। मंत्रालय प्रतिबद्ध है कि हर वास्तविक श्रमिक को उसका वैधानिक रोजगार और मजदूरी बिना किसी व्यवधान के मिलती रहे और किसी भी इच्छुक ग्रामीण परिवार को अपने अधिकार प्राप्त करने में कोई कठिनाई न आए।
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