Bihar News (05 November 2025): बिहार की राजनीति में औरंगाबाद लोकसभा सीट हमेशा से सत्ता संतुलन का अहम केंद्र रही है। वर्तमान में इस सीट से राजद के अभय कुशवाहा सांसद हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो यहां का राजनीतिक समीकरण एक बार फिर महागठबंधन के पक्ष में झुका हुआ दिखाई दे रहा है।
औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जो दो जिलों औरंगाबाद एवं गया में विभाजित हैं। औरंगाबाद ज़िले की तीन सीटों में औरंगाबाद से आनंद शंकर सिंह (कांग्रेस), रफीगंज से मोहम्मद निहालुद्दीन (राजद) और कुटुंबा से राजेश कुमार (कांग्रेस) विधायक हैं। वहीं गया ज़िले की तीन सीटों गुरुवा से विनय यादव (राजद), इमामगंज से दीपा मांझी (हम) और टिकारी से अनिल कुमार (हम) का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
इस प्रकार, फिलहाल 6 में से 4 सीटें महागठबंधन (राजद+कांग्रेस) के पास हैं, जबकि 2 सीटें एनडीए घटक हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के कब्जे में हैं। इस अनुपात से स्पष्ट है कि महागठबंधन का जनाधार इस क्षेत्र में अभी भी मजबूत बना हुआ है।
परिसीमन (Delimitation) के बाद इस सीट के राजनीतिक समीकरणों में अहम बदलाव देखने को मिला है। नई सीमांकन प्रक्रिया के तहत औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से तीन सीटें काटकर काराकाट लोकसभा में जोड़ दी गईं, जिससे इस क्षेत्र में राजपूत मतदाताओं की संख्या घटी है। अब भूमिहार और दलित मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। भूमिहार समुदाय आम तौर पर एनडीए (विशेषकर बीजेपी) का समर्थन करता है, जबकि दलित वोट बैंक पर जीतनराम मांझी की पार्टी ‘हम’ का प्रभाव कायम है।
इस बार कुटुंबा सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प माना जा रहा है, जहां कांग्रेस से प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम मैदान में हैं, जबकि एनडीए की ओर से ललन राम चुनावी जंग में हैं। दोनों ही दलों के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मौजूदा समीकरणों में महागठबंधन की स्थिति एनडीए से अधिक मजबूत दिखाई दे रही है। 6 में से 4 विधायक महागठबंधन से हैं, जिससे संगठन और स्थानीय स्तर पर समन्वय बेहतर है। दूसरी ओर, एनडीए में ‘हम’ का प्रभाव केवल दलित मतदाताओं तक सीमित है, जबकि बीजेपी और जेडीयू की पकड़ कमजोर बताई जा रही है।
स्थानीय रिपोर्ट्स और मीडिया सर्वे के मुताबिक, महागठबंधन 4 सीटों पर बढ़त बनाए रख सकता है, जबकि एनडीए 2 सीटों तक सीमित रह सकता है यानी पिछली बार की तरह 4:2 का अनुपात कायम रहने की संभावना है।
भूमिहार और दलित मतदाता इस बार भी निर्णायक भूमिका में रहेंगे। जहां भूमिहारों का झुकाव बीजेपी की ओर रहता है, वहीं दलित वर्ग अब भी ‘हम’ और महागठबंधन के साझा प्रभाव में है।
निष्कर्षतः, औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में 2025 के विधानसभा चुनाव का माहौल फिलहाल महागठबंधन के पक्ष में झुका हुआ दिखाई देता है। एनडीए में ‘हम’ की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है, लेकिन बीजेपी-जेडीयू कमजोर प्रदर्शन कर सकती हैं। संगठनात्मक मजबूती और स्थानीय जनसंपर्क के बल पर महागठबंधन अपनी मौजूदा बढ़त बनाए रखने में सक्षम नजर आ रहा है।।
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