दिल्ली-एनसीआर में दमघोंटू हवा से राहत नहीं, सरकार के इंतज़ाम नाकाफी

टेन न्यूज़ नेटवर्क

New Delhi News (01 नवंबर 2025): राजधानी दिल्ली और एनसीआर के लोगों के लिए सांस लेना अब भी चुनौती बना हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) “खराब” से “बहुत खराब” श्रेणी में दर्ज किया गया है। भले ही बीते कुछ दिनों में मामूली सुधार देखने को मिला हो, लेकिन हवा में मौजूद प्रदूषक कण अब भी सामान्य स्तर से कई गुना अधिक हैं। इसका असर लोगों के स्वास्थ्य और दिनचर्या दोनों पर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है।

मौसम में ठंडक के साथ ही प्रदूषण का असर और बढ़ गया है। रात के समय तापमान में गिरावट और हवा की गति धीमी होने के कारण प्रदूषक तत्व वातावरण में जम गए हैं, जिससे घनी धुंध की परत शहर पर छा गई है। सुबह-शाम दृश्यता प्रभावित हो रही है और लोगों को आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में परेशानी जैसी समस्याएं हो रही हैं। नवंबर की शुरुआत के बावजूद राजधानी में ठंड का एहसास तो कम है, लेकिन प्रदूषण और नमी ने हवा को और भारी बना दिया है।

दिल्ली-एनसीआर के लगभग सभी इलाकों में AQI 250 से 320 के बीच दर्ज किया गया है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक स्तर है। प्रदूषण के प्रमुख कारणों में पराली जलाने की घटनाएं, वाहनों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन और निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल शामिल हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि यदि हवा की गति नहीं बढ़ी और नियंत्रण उपाय सख्ती से लागू नहीं किए गए, तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

प्रदूषण का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। दिल्ली के अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों को खास सावधानी बरतनी चाहिए। प्रदूषित हवा में लंबे समय तक रहने से श्वसन संक्रमण, सिरदर्द, थकान और आंखों की जलन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। चिकित्सक लोगों को सुबह या शाम के समय बाहर व्यायाम करने से परहेज करने की सलाह दे रहे हैं।

वहीं, प्रदूषण के असर से लोगों की दिनचर्या पर भी असर पड़ा है। पहले जहां सुबह के समय पार्कों में व्यायाम और योग करने वालों की भीड़ दिखती थी, अब वहां सन्नाटा छाया हुआ है। कई लोग अब घरों के अंदर ही फिटनेस गतिविधियाँ कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार, स्थानीय प्रशासन और नागरिक मिलकर ठोस कदम उठाएं, जैसे वाहन उपयोग कम करना, निर्माण कार्यों में नियंत्रण और पराली जलाने पर सख्ती, तो आने वाले हफ्तों में सुधार की उम्मीद की जा सकती है। फिलहाल, दिल्ली की हवा अब भी सांस लेने लायक नहीं है और सरकार के उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं।


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