क्या है बंदी छोड़ दिवस का इतिहास, सीएम रेखा गुप्ता ने दिल्ली वासियों को क्यों दी बधाई
टेन न्यूज़ नेटवर्क
New Delhi News (21 October 2025): मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बंदी छोड़ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह पावन अवसर सिखों के छठे गुरु, श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी की अदम्य वीरता, उदारता और त्याग का प्रतीक है। यह दिवस उस ऐतिहासिक क्षण का स्मरण कराता है जब गुरु जी ने न केवल अपनी स्वतंत्रता के लिए, बल्कि 52 राजाओं की मुक्ति के लिए संघर्ष किया। उनकी इस मानवीय पहल ने संसार को न्याय, दया और समानता का अमर संदेश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा “गुरु हरगोबिंद साहिब जी के उपदेश हमें सदैव अन्याय के विरुद्ध खड़े होने और मानवता की सेवा में तत्पर रहने की प्रेरणा देते हैं।”
दीपावली के साथ मनाया जाने वाला विशेष पर्व
भारत में जहां दीपावली का उत्सव जगमग रोशनी से भरपूर होता है, वहीं सिख समुदाय के लिए इसी दिन ‘बंदी छोड़ दिवस’ का भी विशेष महत्व है। यह उत्सव भी दीपावली की ही तरह मनाया जाता है। घरों और गुरुद्वारों में घी के दीये जलाकर, पटाखों और फुलझड़ियों से वातावरण को आलोकित किया जाता है। लेकिन इसका अर्थ भिन्न है, यह सिर्फ रोशनी का त्योहार नहीं, बल्कि आत्मिक आज़ादी और करुणा का प्रतीक है। सिख श्रद्धालु इस दिन गुरु हरगोबिंद साहिब जी की शिक्षाओं को याद कर दूसरों की सेवा और भलाई का संकल्प लेते हैं।
ग्वालियर किले से जुड़ी ऐतिहासिक गाथा
बंदी छोड़ दिवस का गहरा संबंध ग्वालियर शहर से भी जुड़ा है। वहां स्थित विश्वप्रसिद्ध किले के भीतर गुरु हरगोबिंद साहिब जी को मुगल शासक जहांगीर ने बंदी बनाकर रखा था। उसी स्थान पर आज एक भव्य गुरुद्वारा स्थित है, जिसे सिखों की दीपावली का प्रतीक स्थल माना जाता है। इतिहास बताता है कि उस समय 52 हिंदू राजाओं को भी कैद किया गया था। गुरु जी ने न केवल स्वयं की मुक्ति की राह खोजी, बल्कि उन सभी राजाओं को साथ लेकर आज़ाद हुए। इसी कारण इस दिन को “बंदी छोड़ दिवस” कहा गया।
करुणा और न्याय का प्रतीक दिवस
यह दिवस केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि एक सामाजिक संदेश भी देता है। यह बताता है कि सच्ची स्वतंत्रता केवल स्वयं की मुक्ति में नहीं, बल्कि दूसरों की बेड़ियाँ तोड़ने में है। गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने मानवता की एक ऐसी मिसाल कायम की, जो युगों तक प्रेरणा देती रहेगी। उनके इस कार्य ने यह भी सिद्ध किया कि सच्चा धर्म वही है जो न्याय और करुणा दोनों को साथ लेकर चलता है।
सिख समाज की एकता और प्रेरणा का पर्व
आज के दिन देशभर के गुरुद्वारों में कीर्तन, अरदास और सेवा का आयोजन होता है। श्रद्धालु दीयों से गुरुद्वारों को सजाते हैं और समुदायिक लंगर के माध्यम से समाज में समानता और प्रेम का संदेश फैलाते हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि बंदी छोड़ दिवस हमें एक बार फिर याद दिलाता है कि गुरु परंपरा का सार सेवा, त्याग और भाईचारे में है। वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह।।
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