ऑपरेशन सिंदूर भारत की स्वदेशी शक्ति का प्रमाण: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
टेन न्यूज नेटवर्क
National News (16 October 2025): रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की बढ़ती स्वदेशी शक्ति का एक ज्वलंत प्रमाण है, जो देश में आत्मनिर्भर रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के सरकार के अथक प्रयासों का परिणाम है। वे आज पुणे स्थित सिम्बायोसिस स्किल्स एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे।
अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने विद्यार्थियों को विश्वास, दृढ़ता और नवाचार जैसे गुणों के महत्व से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि जब सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाया था, तब यह चुनौतीपूर्ण लग रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने रक्षा निर्माण के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। आज भारत न केवल अपने सैनिकों के लिए स्वदेश में निर्मित हथियार बना रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन भी कर रहा है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद लंबे समय तक भारत हथियारों के लिए अन्य देशों पर निर्भर रहा, क्योंकि उस समय हमारे पास स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देने की राजनीतिक इच्छाशक्ति और ठोस नीतियां नहीं थीं। उन्होंने कहा कि अब भारत ने परिवर्तन का संकल्प लिया है — अब हमारा लक्ष्य है कि भारतीय सैनिकों के हाथों में देश में बने हथियार हों। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान दुनिया ने भारतीय सैनिकों की वीरता और भारत निर्मित रक्षा उपकरणों की शक्ति को देखा है।

युवाओं की भूमिका पर जोर देते हुए राजनाथ सिंह ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन 46 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर रिकॉर्ड 1.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जिसमें निजी क्षेत्र का योगदान लगभग 33 हजार करोड़ रुपये है। उन्होंने वर्ष 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये के रक्षा विनिर्माण और 50 हजार करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने का विश्वास भी जताया।
राजनाथ सिंह ने विद्यार्थियों से केवल शैक्षणिक उपलब्धियों तक सीमित न रहने, बल्कि सृजनकर्ता, नवोन्मेषक और राष्ट्र निर्माण के सहभागी बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सच्ची सफलता उपाधि प्राप्त करने में नहीं, बल्कि समाज के हित में ज्ञान के उपयोग में निहित है। उन्होंने कहा कि आज का युग यह नहीं पूछता कि आप क्या जानते हैं, बल्कि यह पूछता है कि आप क्या कर सकते हैं। कौशल ही ज्ञान और कार्य के बीच की वास्तविक कड़ी है।
रक्षा मंत्री ने प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की भूमिका पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि एआई मानव श्रम की जगह नहीं लेगी, बल्कि जो लोग एआई का उपयोग करना जानते हैं, वे उन लोगों की जगह लेंगे जो इसका उपयोग नहीं करते। उन्होंने चेताया कि तकनीक को मानवीय संवेदनशीलता, मूल्यों और नैतिकता का विकल्प नहीं, बल्कि सहायक उपकरण के रूप में देखा जाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने सोशल मीडिया और बाहरी प्रभावों से उत्पन्न चुनौतियों पर ध्यान देने और युवाओं से दूसरों से तुलना करने की बजाय अपने सपनों को साकार करने का आग्रह किया।
भारत के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के संकल्प का उल्लेख करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि विद्यार्थी अपने जीवन के सबसे निर्णायक दौर में हैं। आने वाले 20-25 वर्ष न केवल उनके करियर, बल्कि राष्ट्र के भाग्य को भी नई दिशा देंगे। उन्होंने विद्यार्थियों से अपनी महत्वाकांक्षा को देश में सकारात्मक परिवर्तन का प्रेरक बनाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्कूल ऑफ डिफेंस एंड एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी का शुभारंभ भी किया। इस अवसर पर राज्य सरकार के अन्य मंत्री, विश्वविद्यालय के कुलपति और कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।।
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