सिर्फ 2.5% वोटों से बिहार में बड़ा उलटफेर संभव! क्यों चिराग पासवान बने नीतीश कुमार की मजबूरी?
रंजन अभिषेक, संवाददाता, टेन न्यूज नेटवर्क
Bihar News (09 October 2025): बिहार की राजनीति एक बार फिर दिलचस्प मोड़ पर है। 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी RJD ने 75 सीटों, जबकि BJP ने 74 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, JDU को 15.39% वोट शेयर के साथ केवल 43 सीटें मिली थीं। इसके बावजूद नीतीश कुमार ने 16 नवंबर 2020 को छठी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। पिछले चुनाव की तुलना में JDU का वोट शेयर करीब 1.44% घटा और 28 सीटों का नुकसान हुआ। इस बार महज 2.5% वोटों का उतार-चढ़ाव कई सीटों पर समीकरण बदल सकता है।
पहली संभावना: 2.5% वोटों के फेरबदल से JDU-RJD की सीटें खतरे में
2020 के चुनाव में JDU को 23 सीटों पर 5% या उससे कम मार्जिन से जीत मिली थी। अगर इस बार महागठबंधन सिर्फ 2.5% वोट अपने पाले में खींच लेता है, तो ये सीटें JDU के हाथ से निकल सकती हैं। इसी तरह RJD को भी 27 सीटों पर 5% या उससे कम अंतर से जीत मिली थी। अगर NDA इन सीटों पर 2.5% वोट अपनी ओर कर लेता है, तो ये सीटें RJD के लिए खतरा बन सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषको के मुताबिक, “2.5% वोट का उलटफेर बिहार जैसे राज्य में बहुत बड़ा प्रभाव डाल सकता है, खासकर जब चिराग पासवान और प्रशांत किशोर जैसे नए फैक्टर मैदान में हों।”
दूसरी संभावना: 25 निर्णायक सीटें — चिराग पासवान को साधना नीतीश की मजबूरी
2020 में चिराग पासवान की पार्टी LJP ने राज्य की 134 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उन्होंने BJP के खिलाफ बहुत कम, लेकिन JDU उम्मीदवारों के खिलाफ बड़े पैमाने पर उम्मीदवार उतारे।
भले ही LJP को सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली, लेकिन उसने 25 से अधिक सीटों पर JDU को हराने में निर्णायक भूमिका निभाई। कई सीटों पर LJP को मिले वोट JDU के हार-जीत के अंतर से ज्यादा थे। यही वजह है कि इस बार नीतीश कुमार और BJP दोनों के लिए चिराग को साधना मजबूरी है। क्योंकि अगर LJP फिर से JDU के खिलाफ मोर्चा खोलती है, तो NDA को नुकसान तय है।

तीसरी संभावना: प्रशांत किशोर बन सकते हैं ‘किंगमेकर’
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी इस बार सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। “बिहार में 75-80% वोट NDA और महागठबंधन को जाते हैं, बाकी 20% फ्लोटिंग वोटर जन सुराज की ओर झुक सकते हैं।”
अगर जन सुराज को 10 से 15% वोट मिलते हैं, तो वे चुनाव के ‘किंगमेकर’ बन सकते हैं। यहां तक कि 5% वोट शेयर भी चुनावी नतीजे बदलने के लिए काफी होगा। PK का फोकस युवा, मध्यम वर्ग और असंतुष्ट वोटरों पर है जो पहले किसी स्थायी दल के साथ नहीं थे।

चौथी संभावना: बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दों से फ्लोटिंग वोट प्रभावित
बिहार में एक बड़ा तबका ऐसा है जो जाति, धर्म या समुदाय की बजाय मुद्दों पर वोट करता है। इस बार बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और शासन की थकान जैसे मुद्दे इन फ्लोटिंग वोटरों को प्रभावित कर सकते हैं। अगर इस वर्ग का सिर्फ 1-2% वोट भी इधर-उधर होता है, तो कम मार्जिन वाली सीटों पर नतीजे पूरी तरह पलट सकते हैं। प्रशांत किशोर इन मुद्दों को मजबूती से उठा रहे हैं, जिससे चुनाव में अप्रत्याशित नतीजे देखने को मिल सकते हैं।

छोटे वोट अंतर में छिपा है बड़ा राजनीतिक गणित
बिहार विधानसभा चुनावों का इतिहास बताता है कि यहां 2-3% वोटों का अंतर सत्ता की दिशा तय करता है। इस बार भी तस्वीर कुछ वैसी ही दिख रही है।
•JDU के लिए चिराग पासवान का रुख जीवन-मरण का सवाल है।
•RJD को फ्लोटिंग वोटरों की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
•प्रशांत किशोर जैसे नए खिलाड़ी चुनावी पटखनी या नया समीकरण दोनों बना सकते हैं।
बिहार की राजनीति में कहा जाता है- “यहां वोट नहीं, बारीकी से बंटा हुआ मन जीतता है।” 2025 का चुनाव इस कहावत को एक बार फिर सही साबित कर सकता है।।
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