आजम- अखिलेश की मुलाकात | समर्थकों और आलोचकों के बीच तीखी बहस

टेन न्यूज़ नेटवर्क

Uttar Pradesh News (09 October 2025): उत्तर प्रदेश की राजनीति में लंबे समय बाद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आज़म खान की जेल से वापसी ने हलचल मचा दी है। जेल से रिहा होने के बाद आज़म खान से सपा प्रमुख अखिलेश यादव Akhilesh Yadav) ने मुलाकात की, जिसने राजनीतिक गलियारों में नई सरगर्मी पैदा कर दी है। मुलाकात के बाद फेसबुक पर साझा की गई तस्वीर ने सोशल मीडिया पर भी जोरदार बहस छेड़ दी। अखिलेश यादव ने शायराना अंदाज में अपने रिश्ते को दर्शाते हुए लिखा “क्या कहें भला उस मुलाक़ात की दास्तान, जहाँ बस जज़्बातों ने खामोशी से बात की।”

इस पोस्ट के बाद प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। अमित जयशवाल नाम के एक यूजर ने तीखी टिप्पणी करते हुए लिखा कि “मैं भगवान से प्रार्थना करूंगा कि जब तक जिंदा रहो, उम्रभर विपक्ष में ही रहो और भोलेनाथ तुम्हें सद्बुद्धि दें।” वहीं, प्रिया यादव नामक यूजर ने इस मुलाकात को लेकर लिखा कि “ये तस्वीर संघियों को चैन से नहीं सोने देगी। आने वाले समय में एक मुख्यमंत्री बनेगा और दूसरा उपमुख्यमंत्री। आज जो बुल्डोजर बाबा के हाथ में है, कल वही बुल्डोजर की चाबी इन दोनों के हाथ में होगी।”

वहीं, सैयद इक़बाल नदवी ने आज़म खान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “आज़म खान साहब को अब यकीन हो गया होगा कि वक्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता। अल्लाह ने इन्हें सालों तक ओहदे से नवाज़ा था, अगर उन्होंने उसका सही इस्तेमाल किया होता तो आज मुसलमान समाजवाद में दरी नहीं बिछा रहे होते।” उनकी यह टिप्पणी समाजवादी राजनीति में मुस्लिम वर्ग की स्थिति पर भी इशारा करती दिखी।

एक अन्य यूजर अमीर किरमानी ने आज़म खान और अखिलेश यादव के रिश्ते को लेकर लिखा कि “भले ही मीडिया ने पिता-पुत्र जैसे रिश्ते में दरार की बातें उड़ाईं, लेकिन आज़म खान ने कभी अखिलेश के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा। उन्होंने हमेशा कहा कि अखिलेश उनके पुत्रवत हैं। सच यह है कि समाजवादी पार्टी बिना आज़म खान के अधूरी है।”

हालांकि सभी प्रतिक्रियाएं समर्थन में नहीं थीं। सृष्टि सिंह नामक यूजर ने बेहद आक्रामक अंदाज में लिखा कि “न्यायालय द्वारा सजा पाए अपराधी जिहादी आज़म खान से मिलने टोटी चोर गया है आज। यूपी वालों, 2027 में इस नाक टेढ़ा को तगड़ी हार का स्वाद चखा देना, ताकि मुल्लों का मूत पीने का भूत उतर जाए।” यह टिप्पणी राजनीतिक द्वेष और सांप्रदायिक विभाजन की झलक भी दिखाती है, जिसने सोशल मीडिया पर बहस को और भड़का दिया।

वहीं, विजय पंचोली नामक यूजर ने राजनीतिक स्वार्थ पर सवाल उठाते हुए लिखा कि “सब अपने निजी हितों के लिए खेल खेल रहे हैं, चाहे हिंदू हों या मुस्लिम। आम जनता बेचारी पिस रही है। आज़म खान ने अपने ही मुस्लिम सांसद से मिलने से इनकार कर दिया, जिससे साफ है कि दोनों में नफरत है। जनता अब समझ रही है कि ये नेता अपने वर्चस्व के लिए समाज को लड़ाते हैं। तौकीर रजा हो या छांगुर बाबा, सबने समाज की आड़ में करोड़ों की संपत्ति अर्जित की, लेकिन किसी गरीब मुस्लिम की मदद नहीं की।”

इस तरह, अखिलेश यादव और आज़म खान की मुलाकात ने न केवल समाजवादी पार्टी के भीतर नई हलचल पैदा की है बल्कि सोशल मीडिया पर भी समर्थकों और आलोचकों के बीच तीखी बहस छेड़ दी है। यह मुलाकात आने वाले चुनावी परिदृश्य में सपा की रणनीति और मुस्लिम नेतृत्व की भूमिका पर नए सियासी समीकरण तय कर सकती है।।


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