National News (23 सितम्बर 2025): भारतीय वैज्ञानिकों ने एक ऐसी क्रांतिकारी खोज की है, जो मस्तिष्क विकारों के इलाज की दिशा में बड़ा बदलाव ला सकती है। नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (INST), जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) का स्वायत्त संस्थान है, के शोधकर्ताओं ने पाया है कि ग्राफिटिक कार्बन नाइट्राइड (g-C₃N₄) नामक विशेष नैनो सामग्री बिना किसी इलेक्ट्रोड, लेजर या चुंबक के मस्तिष्क कोशिकाओं को उत्तेजित कर सकती है।
एसीएस Applied Materials and Interfaces जर्नल में प्रकाशित इस शोध के अनुसार, g-C₃N₄ मस्तिष्क की प्राकृतिक विद्युत गतिविधियों का उपयोग करके न्यूरॉन्स की वृद्धि, परिपक्वता और कार्यक्षमता को बढ़ावा देता है। उल्लेखनीय रूप से, इसने प्रयोगशाला में विकसित मस्तिष्क जैसी कोशिकाओं में डोपामाइन उत्पादन को बढ़ाया और पशु मॉडलों में पार्किंसंस रोग से जुड़े विषाक्त प्रोटीन को कम किया।
अभी तक गहन मस्तिष्क उत्तेजना (Deep Brain Stimulation-DBS) जैसे उपचारों में सर्जिकल इम्प्लांट या चुंबकीय तरंगों व अल्ट्रासाउंड जैसी आक्रामक तकनीकों की जरूरत होती थी। लेकिन INST के वैज्ञानिकों द्वारा पहचाना गया g-C₃N₄ न्यूरॉन्स को प्राकृतिक रूप से सक्रिय कर देता है। यह मस्तिष्क की वोल्टेज गतिविधियों के प्रत्युत्तर में सूक्ष्म विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है, जो कैल्शियम चैनल खोलते हैं और कोशिकाओं की वृद्धि व आपसी कनेक्शन को मजबूत करते हैं।
इस पदार्थ की खासियत यह है कि यह एक “स्मार्ट स्विच” की तरह कार्य करता है। नकारात्मक झिल्ली विभव पर सक्रिय होकर यह कोशिकाओं को उत्तेजित करता है और सकारात्मक विभव पर बंद होकर कोशिकाओं को थकान से बचाता है। वैज्ञानिकों ने व्यापक प्रयोगों में न्यूरोनल नेटवर्क गठन, परिपक्वता, जीन अभिव्यक्ति और Ca²⁺ इमेजिंग के जरिए इस परिकल्पना की पुष्टि की।
डॉ. मनीष सिंह, जिन्होंने इस अध्ययन का नेतृत्व किया, ने बताया कि यह पहला मौका है जब किसी अर्धचालक नैनोमटेरियल ने बिना बाहरी उत्तेजना के सीधे न्यूरॉन्स को नियंत्रित करने की क्षमता दिखाई है। यह शोध पार्किंसंस और अल्ज़ाइमर जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के लिए नए गैर-आक्रामक उपचार का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, यह खोज केवल चिकित्सा तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि “ब्रेनवेयर कंप्यूटिंग” जैसी भविष्य की तकनीकों के लिए भी उपयोगी होगी। वर्तमान में वैज्ञानिक ब्रेन ऑर्गेनॉइड्स—प्रयोगशाला में विकसित छोटे मस्तिष्क ऊतक—को जैविक प्रोसेसर की तरह प्रयोग कर रहे हैं। यदि इन्हें g-C₃N₄ जैसे अर्धचालक नैनोमटेरियल्स से जोड़ा जाए, तो लिविंग कंप्यूटर और अधिक प्रभावी हो सकते हैं, जिससे जैव-प्रेरित कंप्यूटिंग में नए आयाम खुलेंगे।
INST की टीम ने यह भी स्पष्ट किया है कि मानव अनुप्रयोगों से पहले और अधिक प्रीक्लिनिकल व क्लिनिकल अध्ययनों की आवश्यकता है। फिर भी, यह शोध न्यूरोमॉड्यूलेशन अनुसंधान, मस्तिष्क की चोटों के उपचार और अल्जाइमर व पार्किंसंस जैसी बीमारियों के प्रबंधन में संभावनाओं से भरा हुआ है।।
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