बीजेपी कार्यकर्ताओं को अपनी सरकार पर नहीं है भरोसा?, डिप्टी सीएम के सामने उजागर हुआ असंतोष
मेघा राजपूत, संवाददाता, टेन न्यूज नेटवर्क
Greater Noida News (15 September 2025): राजनीतिक मंचों पर जहां तालियों की गड़गड़ाहट और आश्वासनों की गूंज सुनाई देती है, वहीं ज़मीनी हकीकत अक्सर अधूरी और अनसुलझी रह जाती है। सोमवार को गौतम बुद्ध नगर यूनिवर्सिटी में आयोजित समीक्षा बैठक में ऐसा ही नजारा सामने आया, जब उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे। बैठक के दौरान कार्यकर्ताओं ने जिले की गंभीर समस्याओं पर खुलकर अपनी बात रखी और प्रशासनिक तंत्र व अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए।
समस्याओं की बौछार
बैठक में सबसे ज्यादा गूंज बिल्डर-बायर्स की रजिस्ट्री, किसानों के मुआवज़े और आबादी भूखंडों की समस्याओं को लेकर सुनाई दी। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि इन मुद्दों पर सालों से केवल बैठकें और घोषणाएँ होती रही हैं, लेकिन आज भी हालात जस के तस हैं।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर उठे सवाल
नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी पर कार्यकर्ताओं का आरोप था कि अधिकारी न तो समय पर दफ्तर में मिलते हैं और न ही जनता की समस्याओं का समाधान करते हैं। अक्सर फाइलें अटकी रहती हैं और लोगों को बार-बार चक्कर लगाने पड़ते हैं। दिलचस्प बात यह रही कि यमुना अथॉरिटी को लेकर ऐसी कोई शिकायत नहीं उठी, बल्कि इसे तुलनात्मक रूप से अधिक सक्रिय और जवाबदेह बताया गया।

पुलिस प्रशासन भी घेरे में
पुलिस प्रशासन भी बैठक में घेरे में आया। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि थानों के अधिकारी समय पर फोन तक नहीं उठाते और कई बार भू-माफ़ियाओं को संरक्षण देते हैं। हालांकि ज़िला प्रशासन के खिलाफ कोई सीधा आरोप नहीं लगाया गया।
चौंकाने वाली शिकायतें
बैठक के दौरान एक चौंकाने वाली शिकायत भी सामने आई, जिसमें आरोप लगाया गया कि कुछ कार्यकर्ताओं के नाम पर “जनप्रतिनिधि स्तर” का टैग लगाया गया है। इसने संगठन के भीतर असंतोष और खींचतान की स्थिति को उजागर कर दिया।
हालांकि कार्यकर्ताओं ने अपनी समस्याएं विस्तार से रखीं और ज्ञापन भी सौंपे, उपमुख्यमंत्री ने गंभीरता से सुना भी, लेकिन बैठक खत्म होते ही कार्यकर्ताओं के बीच यह स्वर उभरकर सामने आया कि “ये सब मंच पर कहने के लिए होता है, वास्तव में समस्याओं का कोई हल नहीं निकलता। जैसा पहले हुआ है, वैसा ही इस बार भी होगा।”
इस समीक्षा बैठक ने साफ कर दिया कि जिले में भरोसे और असंतोष दोनों की स्थिति मौजूद है। एक ओर कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि उपमुख्यमंत्री की सीधी सुनवाई से हल मिलेगा, वहीं दूसरी ओर उन्हें आशंका है कि नतीजा हमेशा की तरह शून्य रहेगा। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या यह बैठक केवल औपचारिकता साबित होगी या फिर सरकार और संगठन मिलकर वास्तव में ज़मीनी स्तर पर ठोस बदलाव की दिशा में कदम उठाएँगे?
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