नेपाल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बैन के खिलाफ उग्र प्रदर्शन, 9 लोगों की मौत

टेन न्यूज़ नेटवर्क

Kathmandu (08/09/2025): नेपाल की राजधानी काठमांडू सोमवार को बड़े पैमाने पर युवा प्रदर्शनों से दहल उठी। भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ यह आंदोलन तब हिंसक हो गया जब प्रदर्शनकारियों ने न्यू बानेश्वर स्थित संघीय संसद पर धावा बोल दिया। पुलिस बैरिकेड्स तोड़कर संसद भवन परिसर में घुसने के बाद हालात बेकाबू हो गए। सुरक्षाबलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज, आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया। इस दौरान हुई झड़पों में नौ लोगों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों घायल हो गए।

काठमांडू जिला प्रशासन ने हालात काबू में लाने के लिए न्यू बानेश्वर और आसपास के प्रमुख इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया। मुख्य जिला अधिकारी छवि लाल रिजाल ने आदेश जारी करते हुए दोपहर 12:30 बजे से रात 10 बजे तक लोगों की आवाजाही, प्रदर्शन, बैठक और किसी भी तरह की सभा पर रोक लगा दी। प्रशासन ने साफ कहा कि इस अवधि में कोई भी व्यक्ति प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश नहीं करेगा।

हालत इस कदर बेकाबू हो गए कि सरकार को सेना तैनात करनी पड़ी। नेपाली सेना की तैनाती के बाद भी प्रदर्शनकारी पीछे हटने को तैयार नहीं थे। कई इलाकों में पुलिस और युवाओं के बीच आमने-सामने की झड़पें हुईं। स्थानीय मीडिया के अनुसार, हिंसक प्रदर्शनों में अब तक 42 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। इनमें कई पत्रकार भी शामिल हैं, जो प्रदर्शन को कवर कर रहे थे।

शुरुआत में जेनरेशन-जी (Gen Z) के नाम से मशहूर इस आंदोलन को शांतिपूर्ण बनाए रखने का संकल्प लिया गया था। लेकिन पुलिस द्वारा आंसू गैस और पानी की बौछारें किए जाने के बाद माहौल बिगड़ गया। भीड़ ने संसद भवन के पास लगे बैरिकेड्स तोड़ दिए, जिसके बाद हिंसा फैल गई। कई जगह प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और जवाब में सुरक्षा बलों ने बल प्रयोग किया।

स्थानीय रिपोर्टों में कहा गया है कि मरने वालों की संख्या पहले एक बताई गई थी, लेकिन बाद में यह छह और फिर बढ़कर नौ हो गई। न्यू बानेश्वर में गोली लगने से घायल एक प्रदर्शनकारी ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। वहीं, झापा जिले के दमक में भी हिंसक प्रदर्शन हुए। यहां प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का पुतला फूंका और नगरपालिका कार्यालय के द्वार तोड़ने की कोशिश की।

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार ने फेसबुक, व्हाट्सएप और एक्स सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाकर उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीन ली है। युवाओं का कहना है कि यह प्रतिबंध भ्रष्टाचार और असहमति की आवाजों को दबाने के लिए लगाया गया है। यही वजह है कि स्कूली छात्रों सहित हजारों लोग सड़कों पर उतर आए।।


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