EPCH ने उत्तर प्रदेश निर्यात संवर्धन नीति 2025-30 का स्वागत किया, हस्तशिल्प के लिए नए विकास पथ की उम्मीद की
दिल्ली/एनसीआर, 03 सितंबर 2025 – हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) ने उत्तर प्रदेश निर्यात संवर्धन नीति 2025–30 का स्वागत किया , जो एक ऐसा बुनियादी ढांचा प्रदान करती है जो उत्तर प्रदेश की हस्तशिल्प वैल्यू चेन में क्लस्टर ईकोसिस्टम को मजबूत करने, बाजार संबंधों का विस्तार करने और अनुपालन की क्षमताओं को बढ़ाने की परिषद की दीर्घकालिक दृष्टि से मेल खाती है।
हाल ही में, ईपीसीएच के अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने ईपीसीएच के मुख्य संयोजक अवधेश अग्रवाल के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और उत्तर प्रदेश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सुझावात्मक नीतिगत हस्तक्षेपों और रणनीतियों के साथ एक उन्नत, एमएसएमई-अनुकूल निर्यात नीति का अनुरोध किया। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने कहा कि ईपीसीएच मुख्यमंत्री के दृष्टिकोण और समर्थन के लिए उनका आभार व्यक्त करता है और उत्तर प्रदेश के कारीगरों और निर्यातकों के विकास के लिए समन्वित कार्रवाई की आशा करता है।
यूपी की निर्यात संवर्धन नीति के महत्व पर प्रकाश डालते हुए ईपीसीएच अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने कहा, “वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता के इस दौर में यूपी निर्यात संवर्धन नीति 2025-30 हमारे निर्यातकों के लिए सही समय पर और व्यावहारिक सहयोग प्रदान करती है। उत्तर प्रदेश का भारत के हस्तशिल्प निर्यात में एक अहम योगदान है और ईपीसीएच ने हमेशा राज्य में क्लस्टर ईकोसिस्टम को नीतिगत समर्थन, बाजार विकसित करने और कारीगर-केंद्रित पहलों के माध्यम से सशक्त बनाने में योगदान दिया है। निर्यात नीति 2025-35 के साथ, हम निर्यात को बढ़ाने, कारीगरों की आय बढ़ाने और मुरादाबाद, सहारनपुर, आगरा, फिरोजाबाद और अन्य समूहों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने का एक स्पष्ट मार्ग देखते हैं।”
समर्थनकारी प्रावधानों का स्वागत करते हुए ईपीसीएच के महानिदेशक की भूमिका में मुख्य संरक्षक और आईईएमएल के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा, “यह नीति भारत और विदेशों में मेले में भागीदारी के लिए अतिरिक्त आर्थिक सहायता; एमआईसीई कार्यक्रमों में भागीदारी का समर्थन; आईसीडी/सीएफएस और एलसीएल शिपमेंट के माध्यम से लॉजिस्टिक्स सुविधा; ई-कॉमर्स से जुड़ने में सहायता और निर्यात ऋण बीमा (ईसीजीसी) प्रीमियम सहायता जैसी महत्वपूर्ण प्रावधानों को प्रस्तुत करती है। इसके साथ ही, इस नीति के तहत बाजार से जुड़ी सामान्य जानकारियों को जुटाने के लिए बहु/राज्य व्यापार सुविधा केंद्र (एमटीएफसी/एसटीएफसी) और एक समर्पित प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) की परिकल्पना की गई है, जिससे उत्तर प्रदेश के शिल्प से जुड़े छोटे उद्योगों (एमएसएमई) को कम लागत में काम करने, ज्यादा बाजार तक पहुंचने और जोखिम प्रबंधन में उल्लेखनीय सुधार होगा।”
ईपीसीएच के मुख्य संयोजक अवधेश अग्रवाल ने कहा कि “उत्तर प्रदेश निर्यात संवर्धन नीति 2025-30 एक आगे बढ़ने वाला कदम है जो निर्यातकों और कारीगरों की जरूरतों को सीधे तौर पर ध्यान में रखती है। यह नीति बाजार तक आसान पहुंच के साथ बेहतर आर्थिक सहायता, क्लस्टर के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और नवाचार को बढ़ावा देने जैसे उपायों के जरिए न केवल निर्यात बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि राज्य भर के हजारों कारीगरों की आजीविका को भी बेहतर बनाएगी। ईपीसीएच इस नीति को जमीनी स्तर पर सफल बनाने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”
नीति की मुख्य बातें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी कर दी गई हैं, तथापि इस मामले में अधिसूचना शीघ्र ही जारी की जाएगी।
Discover more from टेन न्यूज हिंदी
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
टिप्पणियाँ बंद हैं।