Kabul (01/09/2025): अफगानिस्तान में रविवार देर रात 6.3 तीव्रता का भूकंप आया जिसने भारी तबाही मचाई। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के मुताबिक, भूकंप का केंद्र नांगरहार प्रांत के जलालाबाद से लगभग 27 किलोमीटर पूर्व-उत्तरपूर्व में जमीन से महज 8 किलोमीटर की गहराई पर था। भूकंप स्थानीय समयानुसार रात 12:47 बजे आया और इसके झटके कई सेकंड तक महसूस किए गए। राजधानी काबुल के साथ-साथ पाकिस्तान के इस्लामाबाद और भारत के दिल्ली-एनसीआर तक झटके महसूस किए गए, जिससे लोग दहशत में घरों से बाहर निकल आए।
622 लोगों की मौत, सैकड़ों घायल
तालिबान शासित गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार, भूकंप में अब तक कम से कम 622 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 500 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है क्योंकि मलबे में कई लोग दबे हुए हैं। शुरुआती रिपोर्टों में कहा गया था कि मृतकों की संख्या 250 से अधिक है, लेकिन जैसे-जैसे राहत और बचाव कार्य आगे बढ़े, हताहतों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ।
गांवों में मची तबाही
भूकंप का सबसे ज्यादा असर कुनार, नांगरहार और नुरिस्तान प्रांतों में देखा गया है। यहां पूरे-के-पूरे गांव तबाह हो गए हैं। कई परिवारों ने अपने घर खो दिए हैं और हजारों बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग बेघर हो गए हैं। वर्दक प्रांत की पूर्व मेयर ज़रीफ़ा ग़फ़ारी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “विनाशकारी भूकंप ने कई गांवों को पूरी तरह से मिटा दिया है और तालिबान सरकार सही तरह से राहत देने में नाकाम साबित हो रही है।” उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से तत्काल मदद की अपील की है।

घरों के मलबे में दबी जिंदगियां
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भूकंप के झटकों से घरों की छतें और दीवारें गिर गईं, जिससे बच्चों समेत कई लोगों की मौत हो गई। शुरुआती घंटों में ही दो बच्चों समेत नौ लोगों की मौत और 15 से अधिक लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई थी। समय बीतने के साथ मृतकों की संख्या कई गुना बढ़ गई। ग्रामीण इलाकों में पक्के मकानों की संख्या बहुत कम है, इसलिए मिट्टी और लकड़ी से बने घरों के पूरी तरह ध्वस्त होने की वजह से नुकसान कहीं अधिक हुआ है।
प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा अफगानिस्तान
यह भूकंप उस वक्त आया है जब कुछ दिन पहले ही पूर्वी अफगानिस्तान में आई भारी बाढ़ ने पांच लोगों की जान ले ली थी और सैकड़ों परिवारों की फसलें व संपत्ति नष्ट हो गई थीं। भूगोल की दृष्टि से अफगानिस्तान भूकंप के प्रति बेहद संवेदनशील है क्योंकि यह यूरेशियन और भारतीय टेक्टोनिक प्लेटों के जंक्शन पर स्थित है। विशेष रूप से हिंदू कुश क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधियां अक्सर बड़ी तबाही मचाती हैं।

राहत कार्यों के लिए अंतर्राष्ट्रीय अपील
भूकंप से प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव अभियान जारी है, लेकिन संसाधनों की कमी और तालिबान शासन की सीमित क्षमताएं राहत कार्यों में बाधा बन रही हैं। कई मानवीय संगठन स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि दूरदराज के गांवों तक पहुंचना मुश्किल है। अफगानिस्तान एक बार फिर भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा के सामने असुरक्षित और असहाय दिखाई दे रहा है।
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