दिल्ली में DTC बसों की कमी से यात्रियों को भारी असुविधा: देवेंद्र यादव, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष

टेन न्यूज़ नेटवर्क

New Delhi News (26/08/2025): दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (DPCC) के अध्यक्ष देवेंद्र यादव (Devendra Yadav) ने राजधानी में बिगड़ती सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को लेकर भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ साल में दिल्ली की सड़कों से 2400 से अधिक डीटीसी बसें गायब हो गई हैं। आरोप है कि भाजपा सरकार के सिर्फ सात महीने में ही 2217 सीएनजी बसें हटाई गईं, जिससे आम जनता को रोजाना घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। यादव का कहना है कि इस समय दिल्ली में 40 लाख से ज्यादा यात्री हर दिन बसों पर निर्भर हैं और बसों की कमी से उन्हें भारी असुविधा झेलनी पड़ रही है।

इलेक्ट्रिक बसें आईं, लेकिन घाटा और बढ़ा

देवेंद्र यादव ने कहा कि सरकार भले इलेक्ट्रिक बसें बढ़ाने की बात कर रही है, लेकिन हटाई गई बसों की संख्या उससे कहीं ज्यादा है। उन्होंने दावा किया कि अगले आठ महीनों में 1680 और बसें हटने वाली हैं, जबकि बजट में 785 इलेक्ट्रिक बसें जोड़ने का वादा किया गया था। इस साल के अंत तक कुल 2080 बसें जुड़ेंगी, लेकिन हटने वाली बसों के मुकाबले दिल्ली में 1032 बसें कम हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि नई इलेक्ट्रिक बसें भी बार-बार खराब हो जाती हैं और सड़कों पर खड़ी रहती हैं, जिससे यात्रियों की समस्या जस की तस बनी हुई है।

मास्टर प्लान 2041 से पीछे दिल्ली

कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया कि दिल्ली मास्टर प्लान 2041 में शहर की बस संख्या 18,000 से 21,000 तक बढ़ाने का लक्ष्य है, ताकि हर दस लाख आबादी पर 60-70 बसें उपलब्ध कराई जा सकें। लेकिन मौजूदा स्थिति इसके बिल्कुल उलट है। यादव ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार के दौरान भी लो फ्लोर बसों का टेंडर भ्रष्टाचार की वजह से फेल हो गया। उस दौरान 4288 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप लगे थे, जिससे दिल्ली की बस व्यवस्था और कमजोर हुई।

1000 बस घोटाले की जांच अटकी

देवेंद्र यादव ने बताया कि तत्कालीन मंत्री कैलाश गहलोत पर 1000 बस घोटाले का आरोप लगा था। कांग्रेस ने 14 जुलाई 2021 को सीबीआई जांच की मांग की थी और 16 अगस्त को डीओपीटी ने प्राथमिक जांच के आदेश दिए थे। लेकिन भाजपा ने गहलोत को अपनी पार्टी में शामिल कर जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया। उन्होंने कहा कि चार साल बीत गए, लेकिन आज तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई और न ही कोई ठोस कार्रवाई सामने आई।

सीईएसएल टेंडर और मेड इन इंडिया विवाद

यादव ने आरोप लगाया कि जब जांच से बचने की नौबत आई तो केजरीवाल सरकार ने 2022 में मोदी सरकार के सीईएसएल टेंडर में हिस्सा लिया और निजी कंपनियों से बसें खरीदीं। लेकिन इनमें आधे पुर्जे मेड इन इंडिया नहीं थे, जो टेंडर की शर्तों का उल्लंघन था। बावजूद इसके, बसों की कमी का हवाला देकर उन्हें सड़क पर उतार दिया गया। उन्होंने कहा कि यह भी भ्रष्टाचार का एक बड़ा उदाहरण है।

ऊंचे टोल ने बढ़ाया जनता का बोझ

कांग्रेस अध्यक्ष ने दिल्ली में टोल वसूली को भी बड़ा मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि पहली बार इतना ऊंचा सिंगल साइड टोल 235 रुपये तक लिया जा रहा है, जबकि मासिक पास 1505 रुपये में बेचे जा रहे हैं। असली रोड सेक्शन केवल 34.153 किलोमीटर का है, लेकिन इसे संरचनाओं के साथ जोड़कर 119.260 किलोमीटर दिखाया गया और उसी के हिसाब से टोल वसूला जा रहा है।

UER-2 पर भारी खर्च और महंगा टोल

देवेंद्र यादव ने कहा कि केवल UER-2 परियोजना पर 55.4 किलोमीटर सड़क के लिए 5580 करोड़ रुपये खर्च हुए, यानी प्रति किलोमीटर 103 करोड़ रुपये की लागत। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने इस महंगे प्रोजेक्ट का बोझ भी आम जनता पर डाल दिया है। यादव ने स्पष्ट कहा कि भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों ने मिलकर दिल्ली की परिवहन व्यवस्था को संकट में डाल दिया है और आज इसकी सबसे बड़ी कीमत हर दिन लाखों यात्रियों को चुकानी पड़ रही है।


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