EPCH ने भारतीय हस्तशिल्प निर्यात पर अमेरिका के भारी शुल्क पर चिंता व्यक्त की

दिल्ली/एनसीआर, 26 अगस्त 2025 – हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) ने 27 अगस्त, 2025 से प्रभावी हस्तशिल्प सहित भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका द्वारा पहले से लगाए गए 50% टैरिफ के साथ अतिरिक्त 25% टैरिफ पर गहरी चिंता व्यक्त की है। चूंकि अमेरिका भारत के हस्तशिल्प के लिए सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, इसलिए यह नीति निर्यातकों और 3.5 मिलियन से अधिक कारीगरों, विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों की महिलाओं पर तत्काल प्रभाव पड़ा है।

अमेरिका द्वारा टैरिफ वृद्धि ने भारतीय हस्तशिल्प निर्यातकों के लिए अभूतपूर्व चुनौतियाँ पैदा कर दी हैं, जिससे न केवल व्यापार मात्रा प्रभावित हो रही है बल्कि लाखों कारीगरों की आजीविका भी खतरे में पड़ गई है। इस टैरिफ झटके के कारण निर्यात में गिरावट, ऑर्डर रद्द होने और निर्यातकों, खासकर छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों, जो हस्तशिल्प उद्योग की रीढ़ हैं, के लिए कार्यशील पूंजी का संकट पैदा हो गया है I

डॉ. खन्ना ने आगे कहा, “हालांकि अमेरिका पारंपरिक रूप से हमारा सबसे बड़ा बाज़ार रहा है, जो कुल हस्तशिल्प निर्यात में लगभग 40% का योगदान देता है, फिर भी हम इस व्यवधान का दृढ़ता और एकजुटता के साथ सामना करेंगे। इसका तात्कालिक प्रभाव कठिन हो सकता है, लेकिन भारत की विरासत और संस्कृति में निहित एक उद्योग के रूप में, हमारी पहली ज़िम्मेदारी राष्ट्र के प्रति है और हम इस कठिन समय में सरकार के प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार हैं।”

इसी तरह की भावनाओं को व्यक्त करते हुए ईपीसीएच के महानिदेशक की भूमिका में मुख्य संरक्षक और आईईएमएल के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा “इन चुनौतियों के बावजूद, हस्तशिल्प क्षेत्र ‘नेशन फर्स्ट पॉलिसी’ के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। अमेरिका सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार होने के कारण हमारे उत्पादन और रोजगार पर गहरा असर पड़ेगा। हस्तशिल्प निर्यात का 40% अमेरिका को ही होता है। दिलचस्प बात यह है कि इसका 30% लैटिन अमेरिका को पुनः निर्यात किया जाता है (अर्थात हमारे निर्यात का 12%), जिसे सीधे लैटिन अमेरिका को निर्यात किया जा सकता है। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि उरुग्वे, चिली जैसे फ्री ट्रेड जोन्स में वेयरहाउस-कम-मार्केटिंग चैनल खोले जाएँ, ताकि लैटिन अमेरिका तक पहुँच आसान हो सके। निर्यातकों के दृढ़ता, मेहनत और धैर्य के माध्यम से, मुझे विश्वास है कि हम इन चुनौतियों का मिलकर सामना कर पाएँगे। इस समय, नए बाजारों में विविधीकरण महत्वपूर्ण है, डॉ. कुमार ने कहा।

ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने कहा कि “तत्काल कार्रवाई ज़रूरी है और ईपीसीएच सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि तत्काल राजकोषीय और गैर-राजकोषीय हस्तक्षेप सुनिश्चित किए जा सकें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे उद्योग को वैश्विक व्यापार परिवर्तनों का खामियाजा न भुगतना पड़े। बढ़ी हुई दरों के साथ मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम’ (एमईआईएस) को फिर से लागू करना, अमेरिका जाने वाले शिपमेंट के लिए लागत समकारी प्रोत्साहन, इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन स्कीम के लाभ बढ़ाना, हस्तशिल्प वस्तुओं पर आरओडीटीईपी और ड्यूटी ड्राबैक रेट्स में वृद्धि, आयकर अधिनियम की पूर्ववर्ती धारा 80एचएचसी के अनुरूप आयकर छूट और निर्यात संवर्धन मिशन योजना के तहत प्रोत्साहन योजनाओं को तेज़ी से लागू करना जैसे हस्तक्षेप शामिल हैं।”


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