New Delhi News (19 August 2025): भारत सरकार निर्यात बढ़ाने और घरेलू विनिर्माण को सशक्त बनाने के लिए व्यापक कदम उठा रही है। सरकार का सतत प्रयास है कि एमएसएमई (MSME) सहित सभी क्षेत्रों की वैश्विक व्यापार में भागीदारी सुनिश्चित की जाए। इसके लिए निर्यात प्रोत्साहन, व्यापार संवर्धन कार्यक्रमों और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जा रहा है। इसी क्रम में मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) के जरिए नए बाज़ारों तक पहुंच बढ़ाने पर ज़ोर दिया जा रहा है। हाल ही में 24 जुलाई 2025 को भारत ने यूनाइटेड किंगडम के साथ कंप्रीहेन्सिव इकोनॉमिक एंड ट्रेड एग्रीमेंट (CETA) पर हस्ताक्षर किए हैं, जबकि यूरोपीय संघ के साथ समझौते को वर्ष के अंत तक अंतिम रूप देने की कोशिश जारी है।
घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और निर्यात क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम लागू की है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी हार्डवेयर, फार्मा, बल्क ड्रग्स, हाई-एफिशिएंसी सोलर पीवी मॉड्यूल, ऑटोमोबाइल, टेलीकॉम, व्हाइट गुड्स समेत 14 प्रमुख क्षेत्रों को कवर करती है। इन योजनाओं से उत्पादन, निवेश और रोज़गार में बढ़ोतरी हुई है तथा निर्यात को भी गति मिली है।
लॉजिस्टिक्स को सस्ता और तेज़ बनाने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) और पीएम गतिशक्ति योजना की शुरुआत की है। इससे माल और लोगों की आवाजाही अधिक सुगम हो रही है और मल्टीमॉडल इंफ्रास्ट्रक्चर को एकीकृत रूप से विकसित किया जा रहा है। साथ ही राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर विकास कार्यक्रम (NICDP) के माध्यम से विश्वस्तरीय औद्योगिक हब बनाए जा रहे हैं, जो भारत को वैश्विक सप्लाई चेन में मज़बूत स्थिति प्रदान करेंगे।
जमीनी स्तर पर डिस्ट्रिक्ट ऐज एक्सपोर्ट हब (DEH) और ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब्स (ECEH) जैसी पहलें एमएसएमई और स्टार्टअप्स को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भागीदारी का अवसर दे रही हैं। सभी ज़िलों में संभावित निर्यात योग्य उत्पादों की पहचान की गई है और जिला निर्यात कार्ययोजनाएं तैयार की गई हैं। वहीं, ई-कॉमर्स हब्स से कस्टम क्लियरेंस, पैकेजिंग, वेयरहाउसिंग और रिटर्न प्रोसेसिंग जैसी सुविधाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध होंगी। इसके लिए 5 पायलट प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं।
इन पहलों से भारत ने कई क्षेत्रों में आयात पर निर्भरता घटाई है और निर्यात में तेजी लाई है। उदाहरणस्वरूप, PLI स्कीम फॉर मेडिकल डिवाइसेस के तहत 21 प्रोजेक्ट्स से 54 अत्याधुनिक उपकरणों का निर्माण शुरू हुआ है। वहीं, मोबाइल फोन क्षेत्र में भारत नेट आयातक से नेट निर्यातक बन गया है। 2014-15 में मोबाइल निर्यात ₹1,500 करोड़ था, जो 2024-25 में बढ़कर ₹2 लाख करोड़ से अधिक हो गया है, जिससे भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश बन गया है। फार्मा क्षेत्र में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है और अब भारत बल्क ड्रग्स का नेट निर्यातक बन चुका है।
यह जानकारी वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने लोकसभा में लिखित उत्तर के रूप में दी।
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