राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन
टेन न्यूज नेटवर्क
New Delhi News (14/08/2025): राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (Droupadi Murmu) ने 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई दी और देश की आज़ादी के लिए बलिदान देने वाले वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त हमारी सामूहिक स्मृति में गहराई से अंकित एक ऐतिहासिक दिन है, जब 78 वर्ष पहले भारत ने औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को तोड़कर स्वतंत्रता प्राप्त की थी। इस अवसर पर उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि तिरंगे को सलामी देते समय हम उन स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और संघर्ष को याद करें, जिन्होंने अपने जीवन की आहुति देकर हमें यह आज़ादी दिलाई। राष्ट्रपति ने इस दिन को केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और संकल्प का अवसर बताया, जिसमें हमें यह सोचना चाहिए कि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए कैसा भारत छोड़कर जाना चाहते हैं।
लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा का आह्वान
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने ऐसा लोकतांत्रिक ढांचा अपनाया, जिसमें सभी वयस्कों को समान मतदान का अधिकार दिया गया। उन्होंने बताया कि यह निर्णय उस समय कई अन्य देशों से अलग और साहसिक था, क्योंकि दुनिया में कई लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में अभी भी जाति, धर्म या लिंग के आधार पर मताधिकार सीमित था। उन्होंने इसे भारत के प्राचीन गणराज्य परंपरा का आधुनिक रूप बताया और कहा कि हमारा संविधान तथा लोकतांत्रिक संस्थाएं हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं। राष्ट्रपति ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का उल्लेख करते हुए उस दर्दनाक इतिहास की याद दिलाई, जब लाखों लोग विस्थापित हुए और हिंसा का शिकार बने। उन्होंने कहा कि हमें इतिहास की इन गलतियों से सबक लेकर एकजुट रहना चाहिए।
न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता पर जोर
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि हमारे संविधान के चार स्तंभ—न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता—केवल कानूनी सिद्धांत नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता के गहरे मूल्य हैं। इन मूल्यों के केंद्र में प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा का विचार है, जो यह सुनिश्चित करता है कि समाज में किसी के साथ भेदभाव न हो। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और समान अवसर तक सभी की पहुंच होना आवश्यक है, ताकि कोई भी व्यक्ति वंचित न रहे। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि जो लोग ऐतिहासिक और सामाजिक कारणों से पिछड़े रहे हैं, उन्हें विशेष सहायता की जरूरत है, ताकि वे बराबरी से आगे बढ़ सकें। राष्ट्रपति ने इन मूल्यों को भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने की आत्मा बताया।
आर्थिक प्रगति और आत्मनिर्भरता की उपलब्धियां
राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता के बाद से अब तक भारत की आर्थिक यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि देश ने गरीबी, अशिक्षा और अविकसित ढांचे की चुनौतियों के बावजूद असाधारण प्रगति की है। उन्होंने बताया कि पिछले वित्त वर्ष में भारत ने 6.5% की GDP वृद्धि दर हासिल की, जिससे वह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया। राष्ट्रपति ने इस सफलता का श्रेय किसानों और श्रमिकों की मेहनत, उद्यमियों की नवाचार भावना, सुविचारित नीतिगत सुधारों और कुशल आर्थिक प्रबंधन को दिया। उन्होंने यह भी कहा कि आत्मनिर्भर भारत के मार्ग पर देश तेजी से आगे बढ़ रहा है और अब कई क्षेत्रों में हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति स्वयं करने में सक्षम हैं।
बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी में प्रगति
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने पिछले एक दशक में हुए बुनियादी ढांचे के विकास को रेखांकित किया। उन्होंने भारतमाला परियोजना के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क के विस्तार, रेलवे के आधुनिकीकरण और नई तकनीक से युक्त ट्रेनों की शुरुआत को बड़ी उपलब्धि बताया। विशेष रूप से, उन्होंने कश्मीर घाटी को शेष भारत से रेल मार्ग द्वारा जोड़ने की ऐतिहासिक सफलता का उल्लेख किया, जिसे उन्होंने व्यापार, पर्यटन और आर्थिक संभावनाओं के नए द्वार खोलने वाला कदम कहा। राष्ट्रपति ने शहरीकरण की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए मेट्रो रेल सेवाओं के तेजी से विस्तार और ‘अमृत’ मिशन के तहत शहरों में पेयजल व सीवरेज सुविधाओं में सुधार को भी सराहा।
जल, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा योजनाएं
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार का मानना है कि स्वच्छ पानी, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रत्येक नागरिक का अधिकार हैं। उन्होंने ‘जल जीवन मिशन’ के तहत ग्रामीण घरों तक नल का जल पहुंचाने में हो रही प्रगति की सराहना की। ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत अब तक 55 करोड़ से अधिक लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा का लाभ मिल चुका है। राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि अब 70 वर्ष से अधिक उम्र के सभी वरिष्ठ नागरिक, उनकी आय चाहे जो भी हो, इस योजना का लाभ ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं से स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच में असमानता कम हो रही है और गरीब व निम्न-मध्यम वर्ग के लोगों को भी बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं।
डिजिटल क्रांति और AI मिशन
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने डिजिटल क्षेत्र में भारत की प्रगति को अभूतपूर्व बताया। उन्होंने कहा कि लगभग सभी गांवों में 4G कनेक्टिविटी उपलब्ध है और जल्द ही शेष गांव भी इससे जुड़ जाएंगे। डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में भारत दुनिया में अग्रणी बन चुका है, जहां विश्व के कुल डिजिटल लेनदेन का आधा हिस्सा होता है। उन्होंने कहा कि Direct Benefit Transfer ने कल्याणकारी योजनाओं के लाभ को पारदर्शी और तेज़ तरीके से पहुंचाना संभव बना दिया है। राष्ट्रपति ने ‘India-AI मिशन’ का भी उल्लेख किया, जिसके तहत भारत को 2047 तक ग्लोबल AI हब बनाने का लक्ष्य है, जिससे तकनीक का लाभ हर नागरिक को मिलेगा।
स्वदेशी, हथकरघा और आत्मनिर्भर भारत
राष्ट्रपति ने 7 अगस्त को मनाए गए ‘राष्ट्रीय हथकरघा दिवस’ का उल्लेख करते हुए कहा कि यह दिन हमारे बुनकरों और उनके शिल्प को सम्मान देने के लिए है। उन्होंने बताया कि यह दिवस 1905 के स्वदेशी आंदोलन की स्मृति में मनाया जाता है, जिसे महात्मा गांधी ने आगे बढ़ाया था। उन्होंने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ भी इसी स्वदेशी भावना से प्रेरित हैं। राष्ट्रपति ने देशवासियों से अपील की कि वे अधिक से अधिक देश में निर्मित वस्तुओं को खरीदें और उनका उपयोग करें, ताकि स्थानीय उद्योग और रोजगार को बढ़ावा मिले।
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