परंपरा से नवाचार की ओर, बुनकरों को वैश्विक मंच दिलाने की पहल: केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह

टेन न्यूज नेटवर्क

New Delhi News (07 August 2025): भारत मंडपम में आयोजित 11वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह में केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने Ten News Network से विशेष बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि देश के करोड़ों आर्टिजन और बुनकर वैश्विक बाजार से जुड़ें ताकि उनकी आय बढ़े और जीवन स्तर में सुधार हो। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को मार्केट से जोड़ना हमारी प्राथमिकता है, जिससे हथकरघा एवं हस्तशिल्प को विकास का नया आयाम मिले। उन्होंने यह भी बताया कि इस दिशा में विशेष पहल को “ ई-नर्चर” के द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है, साथ ही डॉ. राकेश कुमार जैसे विशेषज्ञों का सहयोग और EPCH के जुड़ाव का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि किस तरह से राकेश कुमार जी के नेतृत्व में विश्व भर में वेयर हाउस के माध्यम से भारतीय उत्पादों को पहुंचाया जाता है।

इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्री मीडिया से बात करते हुए हुए खादी के प्रोत्साहन की भी बात कही, उन्होंने कहा कि सभी लोगों को खादी पहनना चाहिए। और सरकार इस दिशा में कारीगरों को ई प्लेटफॉर्म से जोड़ने का भी प्रयास करेगी ताकि विदेशों में भी इसका निर्यात बढ़े।

बता दें कि, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू की गई “वोकल फॉर लोकल” मुहिम के अंतर्गत, हथकरघा क्षेत्र को नवाचारों के साथ जोड़ने की दिशा में बड़ा काम हो रहा है। 7 अगस्त 2025 को मनाया गया यह 11वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस न केवल परंपरा का उत्सव है, बल्कि आधुनिक तकनीक, डिज़ाइन, डिजिटल मार्केटिंग और युवा भागीदारी का भी प्रतीक बन गया है।

इस कार्यक्रम में 5 संत कबीर पुरस्कार और 19 राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार वितरित किए गए। ये पुरस्कार उन बुनकरों और डिज़ाइनरों को दिए गए जिन्होंने नवाचार और उत्कृष्टता के ज़रिए इस क्षेत्र में विशेष योगदान दिया। संत कबीर पुरस्कार में ₹3.5 लाख नकद, ताम्रपत्र, स्वर्ण सिक्का, शॉल और प्रमाण पत्र दिया गया, वहीं राष्ट्रीय पुरस्कार में ₹2 लाख नकद व अन्य सम्मान शामिल हैं।

हथकरघा क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए, 4 अगस्त को IIT दिल्ली में हथकरघा हैकाथॉन 2025 का आयोजन हुआ। इसकी थीम थी “सपना देखो; कर दिखाओ”। इसमें फैशन डिज़ाइनरों, छात्रों, शोधकर्ताओं और बुनकरों ने भाग लिया, और उनके विचारों को मंत्रालय ने मान्यता और कार्यान्वयन का आश्वासन दिया।

1 से 8 अगस्त 2025 तक हथकरघा सप्ताह में कई गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जैसे राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय में “अपनी बुनाई को जानें” अभियान, जनपथ हैंडलूम हाट में साड़ी महोत्सव, भारत मंडपम में फैशन शो वस्त्रवेद, अशोका होटल में ‘नाद’ सांस्कृतिक प्रस्तुति और इंडिया इंटरनेशनल हैंड-विवन एक्सपो, जिसमें अंतरराष्ट्रीय खरीदारों और निर्यातकों की भागीदारी रही।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत के हथकरघा क्षेत्र में 35 लाख से अधिक परिवार कार्यरत हैं, जिनमें से 72% महिलाएं हैं। यह क्षेत्र न केवल सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि ग्रामीण भारत की आर्थिक रीढ़ भी है। 95% वैश्विक हैंडलूम उत्पाद भारत में बनते हैं, और अमेरिका, यूएई, नीदरलैंड, फ्रांस, यूके जैसे देशों में इनकी निर्यात मांग निरंतर बढ़ रही है।

2024-25 में कुल निर्यात में सबसे बड़ा हिस्सा मेड-अप उत्पादों (42.4%) का रहा, जैसे कुशन कवर, पर्दे, टेबल लिनन आदि। इसके बाद फर्श कवरिंग (40.6%) और परिधान सहायक सामग्री (12.7%) का स्थान रहा। इससे स्पष्ट है कि भारतीय हथकरघा उत्पाद पर्यावरण-अनुकूलता, पारंपरिक सौंदर्य और उच्च गुणवत्ता के कारण वैश्विक खरीदारों को आकर्षित कर रहे हैं।

हथकरघा क्षेत्र के सशक्तिकरण हेतु भारत सरकार राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम, कच्चा माल आपूर्ति योजना, बुनकर मुद्रा योजना, मार्केटिंग सपोर्ट, हैंडलूम मार्क और इंडिया हैंडलूम ब्रांड जैसी योजनाएँ चला रही है। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी जोर दिया जा रहा है — GeM और Indiahandmade.com जैसे पोर्टल के माध्यम से बुनकर सीधे अपने उत्पाद बेच पा रहे हैं।

डिज़ाइन नवाचार, लघु क्लस्टर विकास, कौशल उन्नयन, महिला सशक्तिकरण, वित्तीय सहायता, और भौगोलिक संकेत (GI) टैग जैसी पहलों के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि भारतीय हथकरघा उद्योग न केवल जीवित रहे, बल्कि फले-फूले।

निष्कर्षतः, 11वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस केवल उत्सव नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, परंपरा से तकनीक की ओर, स्वदेशी से वैश्विक की ओर। यह पहल ‘विरासत, स्थिरता और आत्मनिर्भरता’ को समर्पित है और बुनकरों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मान देते हुए, उन्हें नवाचारों से जोड़ने का संकल्प भी दोहराती है।।


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