पीएम मोदी का कार्यकाल और देश का अगला प्रधानमंत्री कौन?: प्रो. बलवंत सिंह राजपूत से विशेष बातचीत
मेघा राजपूत, संवाददाता,टेन न्यूज नेटवर्क
GREATER NOIDA News (02/08/2025): जब इतिहास करवट लेता है, तो उसकी आहट संसद के गलियारों से पहले आम जनमानस की चेतना में सुनाई देती है। 2014 में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक वापसी के साथ देश में एक नया राजनीतिक अध्याय शुरू हुआ। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री (PM Modi) बनने के बाद देश की राजनीति, नीति और दिशा तीनों में व्यापक परिवर्तन देखने को मिला।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व, कार्यशैली और उनके नेतृत्व में बदलते भारत, 2047 तक ‘विकसित भारत’ का सपना, कौन होगा अगला प्रधानमंत्री जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर टेन न्यूज़ ने देश के प्रख्यात शिक्षाविद, चिंतक और पूर्व कुलपति प्रोफेसर बलवंत सिंह राजपूत से विशेष बातचीत की।
नरेंद्र मोदी: एक प्रचारक से राष्ट्र निर्माता तक का सफर
प्रो. बलवंत सिंह राजपूत ने बातचीत की शुरुआत 1975 की इमरजेंसी से की, जब वे खुद कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में प्रवक्ता थे और इमरजेंसी (Emergency )के दौरान जेल भेजे गए। उन्होंने याद किया कि कैसे उस दौर में युवा प्रचारक नरेंद्र मोदी, जो हरियाणा में आरएसएस (RSS)के लिए कार्यरत थे, उनके परिवार की खबर लेने यूनिवर्सिटी कैम्पस तक आते थे। यहीं से उनका नाम मोदी से जुड़ गया। एक ऐसे व्यक्ति से, जो बिना दिखावे के, सेवा की नीयत से जुड़ा था। बाद में जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने जिस तरह प्रशासनिक दक्षता का प्रदर्शन किया, वह उन्हें अन्य मुख्यमंत्रियों से अलग करता था। केंद्र में कांग्रेस सरकार रहते हुए भी उन्होंने राज्य में विकास की रफ्तार को धीमा नहीं होने दिया। उन्होंने न केवल राज्य को दंगों से मुक्त रखा, बल्कि गुजरात को एक मॉडल स्टेट के रूप में स्थापित किया।

2014 में मोदी युग की शुरुआत: असंभव को संभव करने वाला नेतृत्व
प्रोफेसर राजपूत का मानना है कि नरेंद्र मोदी जब 2014 में प्रधानमंत्री बने, तब देश की जनता ने उनका दिल से स्वागत किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी नेता की शैक्षणिक डिग्री से अधिक जरूरी है उसकी राष्ट्रीय दृष्टि और सांस्कृतिक समझ। राम मंदिर निर्माण, कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति और यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) जैसे मुद्दों पर निर्णायक कार्रवाई कर मोदी ने सांस्कृतिक पुनर्जागरण और संवैधानिक सुधारों की दिशा में ठोस कदम उठाए। प्रोफेसर कहते हैं, “मैं मूर्ति पूजा का पक्षधर नहीं हूं, लेकिन राम एक सांस्कृतिक चेतना हैं, और अयोध्या में उनका मंदिर होना चाहिए। मोदी केंद्र में और योगी प्रदेश में न होते तो यह सपना साकार नहीं होता।”
विकसित भारत 2047: आत्मनिर्भरता से समृद्धि की ओर
प्रो. बलवंत सिंह राजपूत मानते हैं कि आत्मनिर्भर भारत का सपना अब सिर्फ नारा नहीं रहा। रक्षा, विज्ञान, अंतरिक्ष और तकनीक सभी क्षेत्रों में भारत ने अभूतपूर्व छलांग लगाई है। चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव पर पहुंचने से लेकर विश्वभर के सैटेलाइट भारत से प्रक्षेपित कराना, यह सब मोदी युग की उपलब्धियां हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नई शिक्षा नीति, जो दशकों से सिर्फ फाइलों में सीमित थी, अब लागू होकर सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त कर रही है। यह नीति भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र की श्रेणी में ले जाने का आधार बनेगी।

राजनीति में कोई अमर नहीं, लेकिन मोदी एक प्रेरणा हैं
प्रोफेसर बलवंत सिंह राजपूत ने स्पष्ट किया कि कोई भी राजनेता पूर्ण नहीं होता। राजनीति एक कालिख की कोठरी है, इसमें प्रवेश करने वाला कोई भी व्यक्ति दाग से अछूता नहीं रह सकता। लेकिन नरेंद्र मोदी का समर्पण, निर्णय क्षमता और राष्ट्रधर्म के प्रति निष्ठा उन्हें एक प्रेरणास्रोत बनाती है। वे कहते हैं, “हर युग में रामराज्य संभव नहीं, लेकिन राजनीति अगर सेवा का माध्यम बने, तो वह राम की राजनीति बन सकती है।”
अगला प्रधानमंत्री कौन? मोदी के बाद योगी?
प्रोफेसर बलवंत सिंह राजपूत ने कहा कि 2029 में एक बार फिर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन सकते है, लेकिन 2034 में परिस्थिति भिन्न हो सकती है। उनका मानना है कि भाजपा को मोदी के बाद की सेकंड लाइन लीडरशिप तैयार करनी चाहिए, और इसमें योगी आदित्यनाथ (CM Yogi ) एक स्वाभाविक उत्तराधिकारी के रूप में सामने आते हैं। आगे उन्होंने “भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने आप में पूर्ण नहीं है, वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजनीतिक शाखा है, और संघ के पास असीम प्रतिभाएं हैं। समय आने पर नया मोदी खड़ा हो जाएगा।”
राजनीति सत्ता की दौड़ नहीं, विचारों की धारा है, और मोदी उस धारा के एक युग हैं। लेकिन युग समाप्त नहीं होता, वह उत्तराधिकारी ढूंढ़ता है। 2029 से आगे भारत का वैचारिक भविष्य तय करेगा कि हमने मोदी को एक व्यक्ति माना, या एक विचारधारा।

जहाँ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि ‘सन्यासी प्रशासक’ की तरह उभरती है, जो संघर्ष, सेवा और सनातन के त्रिवेणी संगम के रूप में है। क्या वही आने वाले प्रधानमंत्री होंगे? क्या योगी आदित्यनाथ, नरेंद्र मोदी की वैचारिक विरासत को आगे ले जाने में सक्षम हैं? क्या भारत 2047 तक विश्वगुरु बनेगा, या फिर एक और अवसर खो देगा? इस पर अपनी राय हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।।
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