भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र को मिला वैश्विक सम्मान: यूनेस्को इंटरनेशनल रजिस्टर में हुआ पंजीकरण

टेन न्यूज नेटवर्क

New Delhi News (31 July 2025): “भगवद्गीता 5,000 वर्षों से प्रासंगिक रही है और आने वाले सहस्राब्दियों तक रहेगी” यह कहना था केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का, जो इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। यह संगोष्ठी भगवद्गीता और भरतमुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड इंटरनेशनल रजिस्टर में शामिल किए जाने के उपलक्ष्य में आयोजित की गई।

संगोष्ठी का उद्घाटन समारोह अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, नई दिल्ली में आयोजित हुआ, जिसका विषय था — “शाश्वत ग्रंथ एवं सार्वभौमिक शिक्षाएं: यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड इंटरनेशनल रजिस्टर में भगवद्गीता एवं नाट्यशास्त्र का अंकन”। इस ऐतिहासिक अवसर पर पद्म भूषण राम बहादुर राय ने सत्र की अध्यक्षता की, जबकि विशिष्ट अतिथियों में स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज और पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह शामिल रहीं।

आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने उद्घाटन भाषण में बताया कि इन दोनों ग्रंथों के नामांकन पत्र आईजीएनसीए के विद्वानों द्वारा अत्यंत सावधानी से तैयार किए गए, जो भारतीय ज्ञान परंपरा के वैश्विक मंच पर पुनः प्रतिष्ठा का प्रतीक हैं। प्रो. (डॉ.) रमेश चंद्र गौड़ ने स्वागत भाषण देते हुए बताया कि यह समावेश भारत की प्राचीन दस्तावेजी परंपराओं की ऐतिहासिक वैश्विक पुष्टि है।

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने अपने संबोधन में कहा कि जब भारत ने नाट्यशास्त्र जैसे जटिल कलात्मक ग्रंथों की रचना की, तब शायद कई आधुनिक राष्ट्र अस्तित्व में भी नहीं थे। उन्होंने गीता को ‘सर्वभूत’ अर्थात सभी प्राणियों के लिए उपयोगी बताते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलकर अपनी सांस्कृतिक जड़ों को पहचानें और गर्व करें।

स्वामी ज्ञानानंद जी ने गीता की डिजिटल युग में प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि गीता तकनीक को सही दिशा दिखाने वाली आत्मा है। डॉ. सोनल मानसिंह ने गीता और नाट्यशास्त्र की तुलना करते हुए बताया कि दोनों ग्रंथ कर्मयोग और आत्मसमर्पण की शिक्षा देते हैं, जो कलाकार और साधक दोनों के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।

राम बहादुर राय ने कहा कि यह महज़ एक औपचारिक मान्यता नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत है। वहीं, डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने यूनेस्को में इन ग्रंथों के पंजीकरण को उनके सार्वभौमिक महत्व की स्वीकृति बताया और ‘ज्ञान भारतम्’ मिशन की भी चर्चा की।

इस अवसर पर “From Manuscript to Memory” पुस्तक का विमोचन किया गया, जिसमें गीता और नाट्यशास्त्र के अभिलेखीय और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाया गया है। साथ ही एक विशेष प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिसमें दुर्लभ पांडुलिपियाँ और ऐतिहासिक अभिलेख प्रस्तुत किए गए।

यूनेस्को, पेरिस में भारत के स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी. शर्मा ने अपने वीडियो संदेश में इस उपलब्धि के लिए आईजीएनसीए की सराहना की और इसे भारत की बौद्धिक विरासत की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रतीक बताया।

यह संगोष्ठी 31 जुलाई को समवेत सभागार, आईजीएनसीए, जनपथ में समापन समारोह के साथ समाप्त होगी, जिसमें संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल मुख्य अतिथि और केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वाराखेड़ी विशिष्ट अतिथि होंगे। समापन सत्र की अध्यक्षता डॉ. सच्चिदानंद जोशी करेंगे और डॉ. मयंक शेखर धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करेंगे।

यह आयोजन न केवल भारत की ज्ञान परंपरा का सम्मान है, बल्कि विश्व पटल पर भारतीय ग्रंथों की प्रासंगिकता और योगदान की पुनः पुष्टि भी है।


प्रिय पाठकों एवं दर्शकों, प्रतिदिन भारत सरकार , दिल्ली सरकार, राष्ट्रीय एवं दिल्ली राजनीति ,   दिल्ली मेट्रो, दिल्ली पुलिस तथा दिल्ली नगर निगम, NDMC, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र की ताजा एवं बड़ी खबरें पढ़ने के लिए hindi.tennews.in : राष्ट्रीय न्यूज पोर्टल को विजिट करते रहे एवं अपनी ई मेल सबमिट कर सब्सक्राइब भी करे। विडियो न्यूज़ देखने के लिए TEN NEWS NATIONAL यूट्यूब चैनल को भी ज़रूर सब्सक्राइब करे।

टेन न्यूज हिंदी | Ten News English | New Delhi News | Greater Noida News | NOIDA News | Yamuna Expressway News | Jewar News | NOIDA Airport News.


Discover more from टेन न्यूज हिंदी

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

टिप्पणियाँ बंद हैं।