New Delhi News (31 July 2025): लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज संसद परिसर में भारतीय सूचना सेवा (आईआईएस) के 2023-24 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की लचीलेपन, नवाचार, समावेशिता और विकास की गाथाएं प्रामाणिकता और ईमानदारी से कही जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के सूचना युग में केवल सूचना देना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि उसका भरोसेमंद और पारदर्शी होना भी आवश्यक है। भारत जैसे विशाल और विविध राष्ट्र में सूचना शक्ति नहीं, बल्कि एक गंभीर ज़िम्मेदारी है।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि आईआईएस अधिकारियों की भूमिका केवल सरकारी नीतियों के संप्रेषक की नहीं, बल्कि वे राज्य और नागरिकों के बीच सेतु भी हैं। उन्होंने प्रशिक्षुओं से कहा कि वे सरकार की आवाज़ बनने के साथ-साथ नीतियों के व्याख्याकार और पारदर्शिता के रक्षक भी बनें। उन्होंने विशेष रूप से ज़ोर देकर कहा कि गलत सूचनाएं और झूठे आख्यान बहुत तेज़ी से फैलते हैं, जिनका प्रतिकार केवल तथ्यात्मक, समय पर और स्पष्ट संचार से ही संभव है।
संसदीय प्रक्रियाओं की जानकारी को सिविल सेवकों के लिए आवश्यक बताते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र के केंद्र में संसद है, जहां कानून बनते हैं और सरकार को जवाबदेह ठहराया जाता है। उन्होंने प्रशिक्षुओं से संसदीय प्रश्नों, शून्यकाल, विशेष उल्लेख, समितियों और विधायी प्रक्रिया की बारीकियों को समझने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संसदीय समितियां ‘लघु संसद’ की तरह कार्य करती हैं, जो नीतियों और विधानों को मज़बूती देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
ओम बिरला ने सूचना अधिकारियों से अपील की कि वे जटिल संसदीय चर्चाओं को सरल भाषा में जनसामान्य तक पहुंचाएं ताकि जनता न केवल समझ सके, बल्कि उस पर विश्वास भी कर सके। उन्होंने कहा कि आपके द्वारा लिखा गया हर शब्द और हर वक्तव्य राष्ट्रीय हित का भार वहन करता है। साथ ही, उन्होंने प्रशिक्षुओं से ‘विकसित भारत 2047’ के विज़न को अपनी कार्यप्रेरणा और मार्गदर्शक सिद्धांत बनाने का आग्रह किया।
तकनीकी नवाचार की आवश्यकता पर बल देते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विश्लेषण और ई-गवर्नेंस जैसी उभरती तकनीकों को दैनिक कार्यों में शामिल कर सरकारी तंत्र को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी के प्रयोग से सरकार और जनता के बीच की दूरी कम की जा सकती है तथा प्रशासनिक निर्णय प्रक्रिया को तेज़ किया जा सकता है।
कार्यक्रम के दौरान भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) की कुलपति डॉ. प्रज्ञा पालीवाल, रजिस्ट्रार डॉ. निमिष रुस्तगी, पाठ्यक्रम निदेशक श्रीमती रश्मि रोजा तुषारा एवं लोकसभा सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। प्रशिक्षु अधिकारियों ने अपने तीन दिवसीय संसद प्रवास के अंतर्गत लोकसभा की कार्यवाही को भी प्रत्यक्ष रूप से देखा, जिससे उन्हें संसदीय कार्यप्रणाली को समझने का अवसर मिला।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ने समर्पित, जागरूक और तकनीक-प्रेमी नौकरशाही की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा कि यही देश को न्यायपूर्ण, समावेशी और वैश्विक मंच पर सम्मानित विकसित भारत की दिशा में ले जाएगी।।
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