मस्जिद में राजनीतिक बैठक पर विवाद: इमाम को हटाने की मांग तेज़

टेन न्यूज नेटवर्क

New Delhi News (28/07/2025): दिल्ली स्थित एक मस्जिद में समाजवादी पार्टी की बैठक के आयोजन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। बरेली की ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने इस बैठक की निंदा करते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) को पत्र लिखा है। उन्होंने मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को तत्काल हटाने की मांग की है। बरेलवी ने आरोप लगाया कि मस्जिद जैसे पवित्र धार्मिक स्थल में राजनीतिक गतिविधि कर के न केवल इसकी गरिमा को ठेस पहुंचाई गई, बल्कि मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं का भी अपमान किया गया है।

अखिलेश यादव समेत कई नेताओं की मौजूदगी पर सवाल

मौलाना बरेलवी ने अपने पत्र में दावा किया कि 22 जुलाई को हुई इस बैठक में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के साथ सांसद धर्मेंद्र यादव, डिंपल यादव, जियाउर्रहमान बर्क समेत कई नेता मौजूद थे। उन्होंने कहा कि मस्जिद केवल अल्लाह की इबादत के लिए होती है, न कि राजनीतिक बैठक या सार्वजनिक संबोधन के लिए। बरेलवी के अनुसार, अशुद्ध और अपवित्र व्यक्ति मस्जिद में प्रवेश नहीं कर सकते, ऐसे में नेताओं की मौजूदगी ने शरीयत के नियमों का उल्लंघन किया है।

महिलाओं की मौजूदगी पर भी जताई आपत्ति

बरेलवी ने पत्र में खासतौर पर डिंपल यादव और अन्य महिलाओं की मौजूदगी को लेकर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि महिलाओं का मस्जिद में प्रवेश इस्लामिक परंपराओं के विरुद्ध है, फिर भी दो महिलाएं मस्जिद के अंदर आईं और बैठक में भाग लिया। उनके अनुसार, मस्जिद का उपयोग एक राजनीतिक मंच की तरह किया गया, ताकि यह दिखाया जा सके कि समाजवादी पार्टी मुस्लिम समाज की हितैषी है, जो कि धार्मिक स्थलों के दुरुपयोग का गंभीर उदाहरण है।

बीजेपी की अल्पसंख्यक शाखा ने भी जताई आपत्ति

इस पूरे प्रकरण पर भाजपा की अल्पसंख्यक शाखा भी सक्रिय हो गई है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर मोहिबुल्लाह नदवी को लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित करने की मांग की है। उनका कहना है कि नदवी संसद सदस्य होते हुए मस्जिद में इमाम का पद भी संभाल रहे हैं और वक्फ बोर्ड से ₹18,000 मासिक वेतन ले रहे हैं, जो ‘लाभ का पद’ की श्रेणी में आता है।

संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देकर की गई कार्रवाई की मांग

जमाल सिद्दीकी ने संविधान के अनुच्छेद 102(1)(ए) का हवाला देते हुए कहा कि चूंकि इमाम का पद दिल्ली सरकार के अधीन वक्फ बोर्ड से वित्तपोषित होता है, इसलिए यह लाभ का पद माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि नदवी का यह दोहरा पद संवैधानिक और नैतिक दोनों ही दृष्टिकोणों से अनुचित है। सिद्दीकी ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को भी पत्र भेजकर नदवी को मस्जिद के इमाम पद से हटाने की तत्काल मांग की है।

नदवी पर मस्जिद के दुरुपयोग के गंभीर आरोप

सिद्दीकी ने नदवी पर आरोप लगाया कि उन्होंने मस्जिद को अपनी निजी संपत्ति की तरह इस्तेमाल करते हुए वहां पार्टी बैठक आयोजित की, जहां नमाज़ के स्थान पर चाय-नाश्ता परोसा गया और प्रचार-प्रसार किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिद की पहली मंजिल पर महिलाओं की बैठक का इंतजाम किया गया, जबकि डिंपल यादव का पहनावा मस्जिद के आचार-संहिता के विरुद्ध था। सिद्दीकी का आरोप है कि एक सांसद और इमाम होते हुए भी नदवी ने मस्जिद को राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग किया, जो इस्लामी सिद्धांतों और सार्वजनिक आचरण के विरुद्ध है।


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