Bihar Election से ठीक पहले मनोज तिवारी ने गृह मंत्री अमित शाह से कर दी बड़ी मांग!, अब क्या करेंगे शाह?
रंजन अभिषेक (टेन न्यूज नेटवर्क)
New Delhi News (27/07/2025): भोजपुरी के महान लोकगायक, नाटककार और समाज सुधारक भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur) को भारत रत्न देने (Bharat Ratna) की मांग एक बार फिर जोर पकड़ती दिख रही है। अब इस मांग में भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के सांसद और मशहूर भोजपुरी गायक मनोज तिवारी ‘मृदुल’ (Manoj Tiwari ‘Mridul’) का नाम भी जुड़ गया है। उन्होंने देश के गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि भिखारी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए।
मनोज तिवारी ने कर दी बड़ी मांग
अपने पत्र में मनोज तिवारी ने लिखा है कि भिखारी ठाकुर न सिर्फ एक कलाकार थे, बल्कि एक समाज सुधारक, नाटककार, गीतकार और कवि के रूप में उन्होंने भोजपुरी समाज को नई दिशा दी। उन्होंने भोजपुरी भाषा (Bhojpuri Language) और इसकी समृद्ध लोक-संस्कृति को एक नई पहचान दी। मनोज तिवारी ने भिखारी ठाकुर को “जन-जन के मन में बसे हुए कलाकार” बताया और कहा कि उन्हें भारत रत्न मिलना पूरे देश के लिए गर्व की बात होगी।
कौन हैं भिखारी ठाकुर?
भिखारी ठाकुर का जन्म 18 दिसंबर 1887 को बिहार के छपरा जिले के कुतुबपुर गांव में एक नाई परिवार में हुआ था। सीमित शिक्षा के बावजूद उन्होंने रामचरितमानस जैसे महाकाव्य को कंठस्थ कर लिया था। अपनी प्रतिभा, मेहनत और सामाजिक चेतना के कारण वे भोजपुरी का शेक्सपियर कहे जाते हैं।
कालजयी नाटक ‘ बिदेसिया’
भिखारी ठाकुर की प्रसिद्धि का आधार उनका कालजयी नाटक ‘बिदेसिया’ है, जो एक ऐसी लोकनाट्य शैली है जिसमें संगीत, नृत्य और संवाद का अद्भुत समन्वय होता है। बिदेसिया नाटक में प्रवासी पति के वियोग में तड़पती स्त्री की पीड़ा को मार्मिक रूप में दर्शाया गया है। यह शैली खास तौर पर बिहार के भोजपुरी भाषी जिलों जैसे आरा, छपरा और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में बेहद लोकप्रिय है।
भोजपुरी रंगमंच को जन – जन तक पहुंचाया
भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी रंगमंच को जन-जन तक पहुंचाया और अपने नाटकों के माध्यम से नशा, दहेज, बाल विवाह जैसे सामाजिक मुद्दों पर प्रहार किया। महान साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन ने भिखारी ठाकुर को “अनगढ़ हीरा” बताया था, जबकि जगदीशचंद्र माथुर ने उन्हें भरत मुनि की परंपरा का कलाकार कहा।
बिहार चुनाव के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण
राजनीतिक दृष्टिकोण से भी यह मांग अहम मानी जा रही है। बिहार के 38 जिलों में से 10 जिले भोजपुरी भाषी हैं, जहां भिखारी ठाकुर की गहरी सांस्कृतिक छाप है। इसके अलावा, ठाकुर का संबंध नाई समाज से है, जो बिहार में अति पिछड़ा वर्ग में आता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस मांग को आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से जोड़कर भी देखा जा रहा है, जहां भाजपा इस वर्ग और क्षेत्र में अपनी पैठ को और मजबूत करना चाहती है।
कुल मिलाकर, भिखारी ठाकुर को भारत रत्न देने की यह मांग केवल एक सांस्कृतिक सम्मान नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है।।
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