किसानों की आय दोगुनी करने हेतु सरकार की व्यापक रणनीति और योजनाएं

टेन न्यूज नेटवर्क

New Delhi News (23/07/2025): भारत सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प के साथ 13 अप्रैल 2016 को एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया था। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार ने सात प्रमुख स्रोतों की पहचान की है: फसल एवं पशुधन उत्पादकता में वृद्धि, संसाधनों के बेहतर उपयोग से लागत में कमी, फसल की सघनता, उच्च मूल्य वाली कृषि की ओर विविधीकरण, उपज पर लाभकारी मूल्य दिलाना, और अतिरिक्त श्रमिकों को कृषि से गैर-कृषि क्षेत्रों की ओर स्थानांतरित करना।

सरकार ने राज्यों के प्रयासों को सहयोग देने हेतु नीतिगत उपायों, योजनाओं और बजटीय प्रावधानों के माध्यम से अपना समर्थन बढ़ाया है। कृषि विभाग का बजट 2013-14 के ₹21,933.50 करोड़ से बढ़ाकर 2025-26 में ₹1,27,290.16 करोड़ कर दिया गया है। भारत सरकार की योजनाएं किसानों को उत्पादन में वृद्धि, प्रतिलाभ और आय सहायता प्रदान कर रही हैं। यूरोपीय संघ की कृषि नीति की तुलना में भारत की नीति अधिक समावेशी और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं जैसे खाद्यान्न आत्मनिर्भरता और किसान कल्याण पर केंद्रित है।

एमएसपी निर्धारण हेतु कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के अनुसार सभी अधिदेशित फसलों के लिए उत्पादन लागत से डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित किया गया है। प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) के अंतर्गत मूल्य समर्थन योजना (PSS), मूल्य घाटा भुगतान योजना (PDPS) और बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) को लागू किया गया है। पीएसएस के अंतर्गत राज्यों को दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद के लिए उत्पादन का अधिकतम 25% तक की मंजूरी दी जाती है, जिसे आगामी वर्षों में बढ़ाकर कुछ फसलों के लिए 100% तक किया गया है।

पीडीपीएस में किसानों को MSP और विक्रय मूल्य के बीच का अंतर सीधे भुगतान के रूप में मिलता है। वहीं MIS योजना टमाटर, प्याज, आलू जैसी नाशवान फसलों के लिए मूल्य स्थिरीकरण में सहायता करती है। यह एकीकृत दृष्टिकोण किसानों को दबाव में उपज बेचने से बचाता है और बफर स्टॉक निर्माण में भी मदद करता है।

प्रिसिशन खेती के ज़रिए बिना पर्यावरणीय नुकसान के उत्पादकता और जल दक्षता में सुधार लाया जा रहा है। समेकित बागवानी विकास मिशन (MIDH) के तहत उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना से नवीनतम तकनीकों का प्रदर्शन और प्रशिक्षण भी सुनिश्चित किया गया है। साथ ही, डिजिटल कृषि मिशन के अंतर्गत एग्रीस्टैक, निर्णय सहायता प्रणाली, मिट्टी उर्वरता मैपिंग, और आधुनिक तकनीकों जैसे AI, IoT, ब्लॉकचेन आदि का उपयोग हो रहा है, जिससे किसानों को समय पर सटीक जानकारी मिल रही है।

एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) के तहत फसलोपरांत नुकसान को कम करने और कोल्ड स्टोरेज व भंडारण इकाइयों की स्थापना में सहायता दी जा रही है। 30 जून 2025 तक 2,454 कोल्ड स्टोरेज परियोजनाओं को ₹8,258 करोड़ की मंजूरी दी जा चुकी है। MIDH के तहत फसल व बागवानी उत्पादों के लिए पैक हाउस, कोल्ड चेन, राइपनिंग चेंबर आदि के लिए भी वित्तीय सहायता दी जा रही है।

इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा लागू प्रमुख योजनाओं में पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम फसल बीमा योजना, पीएम किसान मानधन योजना, प्राकृतिक कृषि मिशन, कृषि यंत्रीकरण, परंपरागत कृषि विकास योजना, मृदा स्वास्थ्य योजना, राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन मिशन, डिजिटल कृषि मिशन, राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन, बांस मिशन, और पूर्वोत्तर जैविक मिशन आदि शामिल हैं।

कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में जानकारी दी कि इन समेकित प्रयासों से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार, कृषि क्षेत्र की मजबूती और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सशक्तिकरण हो रहा है।।


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