मुंबई (19/07/2025): भारत में बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूआईडी) को गुणवत्तापूर्ण और समान शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक पहल करते हुए, राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (एनआईईपीआईडी) और जय वकील फाउंडेशन (जेवीएफ) ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) के सचिव राजेश अग्रवाल भी उपस्थित रहे।
यह साझेदारी देशभर में सीडब्ल्यूआईडी के लिए संरचित, मापनीय और शोध-आधारित शिक्षा मॉडल – एनआईईपीआईडी दिशा पाठ्यक्रम – को लागू करने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है। जेवीएफ के जमीनी अनुभव और एनआईईपीआईडी की प्रशिक्षण व शोध विशेषज्ञता को मिलाकर तैयार किए गए इस मॉडल में व्यक्तिगत शिक्षा योजना (आईईपी), बहुसंवेदी पाठ्यक्रम, डिजिटल पोर्टल और व्यापक शिक्षक प्रशिक्षण शामिल हैं।
सचिव राजेश अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा कि न्यूरो-डायवर्सिटी एक जटिल और भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है, और सरकार इस दिशा में समाधान विकसित करने के लिए एनजीओ व स्टार्टअप्स के साथ सहयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि दिशा पाठ्यक्रम को सीडीईआईसी, डीडीआरएस कार्यक्रमों सहित देशभर के इच्छुक स्कूलों में तत्काल लागू किया जाएगा। सरकार ऐसे स्कूलों को नि:शुल्क सामग्री और प्रशिक्षण प्रदान करेगी।
अग्रवाल ने यह भी घोषणा की कि अब तक दृष्टिबाधित बच्चों के लिए केंद्रित विकास सुलभ शिक्षण सामग्री (डीएएलएम) योजना को अब बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चों के लिए भी विस्तारित किया जाएगा। इसके तहत बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी, मराठी सहित अन्य भाषाओं में पुन: उपयोग योग्य और मुफ्त पुस्तकें उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके साथ ही, शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को भी सीआरई मान्यता दी जाएगी ताकि उनका त्वरित और व्यापक विस्तार किया जा सके।

एनआईईपीआईडी के निदेशक डॉ. बी.वी. राम कुमार ने दिशा पाठ्यक्रम को शिक्षा के क्षेत्र में व्यवस्थित बदलाव लाने वाला मॉडल बताते हुए कहा कि संस्थान देशभर के बौद्धिक अक्षमता से ग्रस्त बच्चों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
जय वकील फाउंडेशन की सीईओ अर्चना चंद्रा ने कहा कि दिशा पाठ्यक्रम को इस तरह डिजाइन किया गया है कि वह हर बच्चे की व्यक्तिगत जरूरत, क्षमता और रुचि के अनुरूप शिक्षा प्रदान कर सके। उन्होंने इसे “एक आकांक्षा नहीं बल्कि एक वास्तविकता” बताया।
दिशा अभियान के अंतर्गत आईईपी के लिए एकीकृत मूल्यांकन चेकलिस्ट, शोध-आधारित बहुसंवेदी पाठ्यक्रम, डिजिटल पोर्टल और प्रशिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र शामिल हैं। यह मॉडल 2019 में एनआईईपीआईडी द्वारा प्रमाणित किया गया था और महाराष्ट्र सरकार के साथ साझेदारी में 453 स्कूलों में लागू हो चुका है, जहां यह 18,000 से अधिक बच्चों और 2,600 शिक्षकों तक पहुंच चुका है।

यह ऐतिहासिक समझौता भारत में समावेशी और सशक्त शिक्षा प्रणाली की नींव मजबूत करता है और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों – विशेषकर एसडीजी 4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा) और एसडीजी 10 (असमानताओं को कम करना) – के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को भी सशक्त करता है।
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