New Delhi News (16/07/2025): दिल्ली सरकार ने राजधानी की जल आपूर्ति व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव करते हुए नई जल नीति लागू कर दी है। इस नीति के तहत पूरे शहर को 8 जल सेवा जोनों में बांटा गया है और हर ज़ोन में जल, सीवरेज और रखरखाव की ज़िम्मेदारी एक-एक निजी ऑपरेटर को दी जाएगी। हालांकि सरकार ने इसे “निजीकरण” न मानते हुए इसे दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने का प्रयास बताया है।
जल मंत्री प्रवेश वर्मा (Parvesh Varma) ने स्पष्ट किया कि यह पहल पानी के निजीकरण की ओर कोई कदम नहीं है, क्योंकि जल दरें, बिलिंग और जल स्रोतों का नियंत्रण पूरी तरह से दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के ही अधीन रहेगा। निजी कंपनियों को केवल तकनीकी संचालन, वितरण, लीकेज की मरम्मत और शिकायत निवारण जैसी जिम्मेदारियाँ दी जाएंगी। उनका मकसद 24×7 जल आपूर्ति को सुनिश्चित करना और जल सेवाओं की जवाबदेही तय करना है।
नई नीति के तहत, हर ज़ोन में ऑपरेटर जल आपूर्ति, सीवरेज नेटवर्क, मीटरिंग, बिलिंग प्रणाली और नॉन-रिवेन्यू वॉटर (NRW) यानी बिना बिल वाले पानी को कम करने का कार्य देखेगा। यह मॉडल बिजली वितरण कंपनियों की तर्ज पर “एक जोन, एक ऑपरेटर” सिद्धांत पर आधारित है, ताकि संचालन में स्पष्टता और जिम्मेदारी तय की जा सके।
इस व्यवस्था की शुरुआत वजीराबाद जोन से की जा रही है, जहां लगभग 31.6 लाख की आबादी रहती है। यहां एक निजी कंपनी को पायलट प्रोजेक्ट के तहत जल वितरण और मरम्मत कार्य सौंपा जाएगा। अगर यह मॉडल सफल रहा तो इसे शेष 7 जोनों में भी लागू किया जाएगा।
दिल्ली में 15,600 किमी लंबी जल पाइपलाइन बिछी है, जिसमें से 2,800 किमी पाइपलाइन 30 साल से अधिक पुरानी है। जल बोर्ड के अनुसार, दिल्ली में कुल जल आपूर्ति का लगभग 50% हिस्सा लीकेज, चोरी और बिना मीटर वाले कनेक्शनों के चलते बर्बाद हो जाता है। इस नई नीति का उद्देश्य इस नुकसान को कम करना है।
दिल्ली की आबादी करीब 2.15 करोड़ है, लेकिन केवल 29 लाख कनेक्शन ही पंजीकृत हैं। इससे न केवल जल बोर्ड को राजस्व की हानि होती है, बल्कि जल दबाव, गुणवत्ता और आपूर्ति प्रणाली पर भी असर पड़ता है। सरकार का मानना है कि यह मॉडल जल आपूर्ति की प्रणाली को व्यवस्थित करने में मदद करेगा।
जल मंत्री ने यह भी कहा कि इस नीति के अंतर्गत जल उपभोक्ताओं की शिकायतों का समाधान, पाइपलाइन मरम्मत और मीटर रीडिंग जैसे कार्य भी तेज़ और पारदर्शी बनेंगे। उन्होंने यह दोहराया कि कोई दर वृद्धि नहीं होगी और पानी की सार्वजनिक प्रकृति में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसका उद्देश्य केवल जल वितरण को तकनीकी रूप से मज़बूत और ज़िम्मेदार बनाना है।
नई जल नीति (New Water Policy) पर सरकार की यह पहल एक बड़ा संरचनात्मक सुधार माना जा रहा है, जिससे न सिर्फ पानी की उपलब्धता में सुधार होगा बल्कि जल प्रबंधन प्रणाली अधिक सुदृढ़ और प्रभावी बन सकेगी। यदि यह मॉडल सफल रहता है, तो देश के अन्य राज्यों के लिए भी यह एक मिसाल बन सकता है।
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