दिल्ली HC से AAP को राहत, ऑफिस किराया विवाद में केंद्र को नोटिस

टेन न्यूज़ नेटवर्क

New Delhi News (08/07/2025): दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने आम आदमी पार्टी (AAP) को विट्ठल भाई पटेल हाउस स्थित पार्टी ऑफिस के किराए के मामले में बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह नोटिस AAP द्वारा दायर उस याचिका पर आया है जिसमें पार्टी ने केंद्र सरकार पर अपने अधिकारों का हनन करने और मनमाने ढंग से किराया वसूलने का आरोप लगाया है। याचिका में कहा गया है कि आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत निदेशालय ने बिना किसी नोटिस के 14 सितंबर 2024 से पार्टी का ऑफिस आवंटन रद्द कर दिया।

AAP ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें बिना किसी शो कॉज नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए आवंटन रद्द किया गया और बाद में 17 जनवरी 2025 को एक पत्र के माध्यम से इसकी जानकारी दी गई। पार्टी ने 30 अप्रैल 2025 को स्वेच्छा से परिसर का कब्जा सरकार को लौटा दिया, लेकिन इसके बावजूद 20 जून को फिर से एक रिमाइंडर भेजा गया जिसमें सितंबर 2024 से अप्रैल 2025 तक के लिए ₹8 लाख से अधिक का किराया मांगा गया। इससे पहले भी 6 मार्च और 13 मई को किराए संबंधी दो पत्र भेजे जा चुके थे।

AAP ने अदालत में यह तर्क दिया कि सरकार की यह कार्रवाई मनमानी है और उनके संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है। पार्टी के वकील ने कोर्ट से निवेदन किया कि 20 जून के किराया बिल वाले रिमाइंडर नोटिस पर तत्काल रोक लगाई जाए और साथ ही आवंटन रद्द करने के आदेश को भी खारिज किया जाए। उन्होंने कहा कि पार्टी को सुनवाई का कोई मौका नहीं दिया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

वहीं, केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि अभी तक केवल किराया संबंधी नोटिस भेजे गए हैं और कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई है, इसलिए इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। इसके बावजूद कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए केंद्र से स्पष्ट जवाब मांगा है। कोर्ट का यह रुख AAP के लिए कानूनी और राजनीतिक दोनों ही मोर्चों पर राहत माना जा रहा है।

अब नजर मामले में केंद्र सरकार के जवाब पर टिकी हैं, जो कोर्ट में आने वाले दिनों में दाखिल किया जाएगा। यह मामला न सिर्फ AAP और केंद्र के बीच टकराव को उजागर करता है, बल्कि राजनीतिक दलों को मिले सरकारी सुविधाओं और उनके उपयोग को लेकर उठते सवालों को भी रेखांकित करता है। यदि कोर्ट ने पार्टी के पक्ष में निर्णय दिया, तो यह अन्य दलों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।।


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