थीम पार्क बना मासूम की कब्र: पृथ्वी की मौत से गूंजा सवाल, क्या माफी से लौटेगी बच्चे की जान?

मेघा राजपूत, संवादाता, टेन न्यूज नेटवर्क 

GREATER NOIDA News (08/07/2025): “जान एक बार जाती है, फिर लौटकर नहीं आती”,  और जब एक मासूम की जान सिस्टम की लापरवाही की बलि चढ़ जाए, तो सिर्फ संवेदना नहीं, जवाबदेही भी ज़रूरी होती है। क्या एक माँ-बाप को सात साल का बच्चा खो देने के बाद “माफ़ी” से संतोष मिल सकता है? और क्या हम सब कुछ दिनों में इस हादसे को भूल जाएंगे, जैसे पहले हुए हादसों को भूलते आए हैं? लेकिन बच्चों के मां-बाप इस हादसे को कभी नहीं भूल पाएंगे।

 

 एक पार्क जहां खेलना बना मौत 
ग्रेटर नोएडा के सेक्टर P-3 स्थित थीम पार्क में सोमवार 7 जुलाई को एक दर्दनाक हादसा हुआ। वर्षों से बंद पड़े, जलभराव से भरे एक फाउंटेन (Fountain) में छह वर्षीय मासूम पृथ्वी डूब गया।‌ वह पार्क में खेलते-खेलते फाउंटेन के पास गया और फिसलकर गिर पड़ा। जब तक लोग कुछ समझ पाते, उसकी सांसें थम चुकी थीं। अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

 

गरीब की उम्मीद बुझी, एक माँ की गोद सूनी
मृतक पृथ्वी, सुभाष कुमार का बेटा था, जो कि D-293 ब्लॉक, कंप्लीशन फ्लैट्स में रहते हैं। मूल रूप से शाहजहांपुर से आए, यह परिवार ग्रेटर नोएडा में मजदूरी कर गुज़ारा करता है।‌ जो बेटा रोज़ सुबह सबसे पहले माँ को गले लगाता था, वो अब एक तस्वीर बनकर दीवार पर रह गया है।

 

वर्षों से पड़ा था खतरनाक फाउंटेन, पर कोई कार्रवाई नहीं
सेक्टर P-3 के इस पार्क में मौजूद फाउंटेन कई वर्षों से बंद पड़ा था, और उसमें गंदा पानी भरा था। स्थानीय निवासियों और RWA प्रतिनिधियों ने अनेक बार ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater Noida Authority) से अनुरोध किया था कि इसे भरा जाए या ढंका जाए।‌ पूर्व RWA अध्यक्ष और समाजसेवी अधिवक्ता आदित्य भाटी ने भी इस मुद्दे को पूर्व CEO नरेंद्र भूषण की मौजूदगी में उठाया था। उन्हें निर्देश मिले थे, पर ज़मीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ। वहीं कई सीईओ बदले गए, किसी ने भी इस मामले को संज्ञान में नहीं लिया और आज एक छह वर्षीय बच्चे की जान लेने के बाद यह समस्या जस की तस खड़ी रही है। क्या अभी भी और जानें जाने का हम इंतजार कर रहे हैं?

 

परिवार का आक्रोश “अगर फव्वारा ढंका होता तो पृथ्वी जिंदा होता”
पृथ्वी के मामा राहुल कुमार ने भावुक होकर कहा कि हमारा बच्चा चला गया, कोई माफ़ी उसे लौटा नहीं सकती। अगर समय रहते फाउंटेन को ढक दिया गया होता, तो आज पृथ्वी हमारे बीच होता। उन्होंने मांग की है कि ऐसे खतरनाक ढांचों को तुरंत हटाया जाए या सुरक्षित किया जाए ताकि किसी और माँ की गोद सूनी न हो।

 

“कब तक लाशों के बाद जागेगा तंत्र?” अधिवक्ता आदित्य भाटी
अधिवक्ता आदित्य भाटी ने कहा कि जब फव्वारे की स्थिति की जानकारी पहले से अधिकारियों को थी, तो ठोस कदम अब तक क्यों नहीं उठाए गए?” “क्या हर बार किसी मासूम की जान जाना ज़रूरी है, तभी सिस्टम की नींद खुलेगी?”
उन्होंने लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई, और भविष्य में नीति स्तर पर सख्ती की माँग की है।

 

प्राधिकरण का जवाब माफी, क्या माफी से लौटेगी जान?
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ओएसडी गुंजा सिंह (OSD Gunja Singh) ने कहा कि P-3 के पार्क में बने फाउंटेन में डूबने से बच्चे की मौत की घटना से आहत प्राधिकरण है,”यह घटना बहुत दुखद है। पीड़ित परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। ‌ घटना के कारणों की जांच कराई जा रही है। लापरवाही करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। भविष्य में घटना की पुनरावृति न हो, इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।”
जान चली गई, माफी भी आ गई लेकिन सवाल कई अब भी खड़े हैं:
•क्या सिर्फ बयान देकर ज़िम्मेदारी खत्म हो जाती है?
•क्या सार्वजनिक स्थानों की सुरक्षा इतनी लचर हो सकती है?
•क्या बच्चों के खेलने की जगहें अब जानलेवा होती जाएंगी?

 

हमारा सवाल, आपका जवाब
अब ये सिर्फ एक खबर नहीं, एक चेतावनी है। पृथ्वी की मौत हमें झकझोरती है, चुप्पी तोड़ने को कहती है। आपकी राय क्या है? क्या दोषियों को सजा मिलनी चाहिए?
क्या हर सार्वजनिक स्थान की सुरक्षा समीक्षा होनी चाहिए? अपनी प्रतिक्रिया कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। क्योंकि अब चुप रहना गुनाह है। यह रिपोर्ट मानवता की आवाज़ है, ताकि कोई और ‘पृथ्वी’ कभी न डूबे।।

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