सामिया बिल्डर्स की लापरवाही पर आयोग सख्त, प्लॉट बुकिंग राशि लौटाने का आदेश
टेन न्यूज नेटवर्क
GREATER NOIDA (07/07/2025): ग्रेटर नोएडा स्थित जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (District Consumer Disputes Redressal Commission) ने उपभोक्ता के हित में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। यह मामला नोएडा की एक नामी रियल एस्टेट कंपनी सामिया इंटरनेशनल बिल्डर्स (Samiah International Builders) से जुड़ा है, जिसमें बिल्डर को उपभोक्ता को प्लॉट की पूरी राशि ब्याज समेत 30 दिन के भीतर लौटाने का आदेश दिया गया है।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुरी निवासी रविंद्र सिंह ने वर्ष 2008 में सामिया बिल्डर्स की एक आवासीय योजना (Residential Scheme) के तहत नोएडा में एक प्लॉट बुक कराया था। इस बुकिंग के लिए उन्होंने ₹11.60 लाख रुपये का भुगतान बिल्डर को किया था। तय शर्तों के अनुसार, प्लॉट की रजिस्ट्री के समय ₹60,000 अतिरिक्त डेवलपमेंट चार्ज (Development Charge) के रूप में देना तय था।
लेकिन समय बीतने के बावजूद न तो रविंद्र सिंह को प्लॉट का कब्जा मिला और न ही बिल्डर ने रजिस्ट्री करवाई। रविंद्र सिंह ने इस संबंध में कई बार लिखित में शिकायतें भी दर्ज कराईं, लेकिन बिल्डर की तरफ से कोई ठोस जवाब नहीं मिला और न ही राशि लौटाई गई।
लगभग 14 वर्षों तक समाधान न मिलने के बाद रविंद्र सिंह ने जिला उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया। मामले की सुनवाई आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर और सदस्य अंजू शर्मा की पीठ ने की। बिल्डर की ओर से दलील दी गई कि रविंद्र ने प्लॉट व्यावसायिक उद्देश्य (Commercial Purpose) से खरीदा था, और यह एक (immovable property) का मामला है, जिस पर केवल सिविल कोर्ट (Civil Court) को ही अधिकार क्षेत्र है, उपभोक्ता आयोग को नहीं।
हालांकि, आयोग ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि बिल्डर ने प्लॉट सौदे की तय शर्तों को पूरा नहीं किया है, जो सेवाओं में कमी (Deficiency in Service) के अंतर्गत आता है। इसलिए आयोग के पास इस मामले की सुनवाई का पूरा अधिकार है। अंततः आयोग ने बिल्डर को आदेश दिया कि वह 30 दिनों के भीतर रविंद्र सिंह को ₹11.60 लाख रुपये की मूल राशि के साथ-साथ उचित ब्याज का भुगतान करे। इसके अलावा, पीड़ित को हुई मानसिक (Mental) और आर्थिक (Financial) परेशानी के मद्देनज़र ₹5000 रुपये वाद व्यय (Litigation Cost) के रूप में अलग से दिए जाएं।
यह फैसला उन हजारों ग्राहकों के लिए एक मिसाल है, जो वर्षों से बिल्डरों की लापरवाही और धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं। यह निर्णय यह स्पष्ट करता है कि यदि बिल्डर तय शर्तों का पालन नहीं करता है तो उपभोक्ता आयोग से उन्हें न्याय मिल सकता है। यदि आप भी किसी रियल एस्टेट कंपनी द्वारा ठगी का शिकार हुए हैं, तो अपने दस्तावेज़ों के साथ उपभोक्ता मंच (Consumer Forum) या जिला आयोग (District Commission) में शिकायत दर्ज कर सकते हैं और अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।
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