सीमेंट इंडस्ट्री की ‘गीता’: “एबीसी ऑफ सीमेंट मार्केटिंग इन इंडिया” बनी दिशासूचक प्रकाश

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (03 जुलाई 2025): भारतीय सीमेंट उद्योग के परिपक्व एवं अनुभवसंपन्न विशेषज्ञ द्वारा रचित पुस्तक “एबीसी ऑफ सीमेंट मार्केटिंग इन इंडिया” न केवल विपणन (मार्केटिंग) एवं विक्रय (सेल्स) के मूलभूत सिद्धांतों का प्रामाणिक प्रस्तुतीकरण करता है, अपितु उद्योग के विविध पक्षों का सम्यक् विश्लेषण भी प्रस्तुत करता है। पुस्तक के पहले अध्याय में वैश्विक सीमेंट उद्योग का इतिहास बताया गया है, जबकि दूसरे अध्याय में भारतीय सीमेंट उद्योग का भूतकाल, भविष्य एवं वर्तमान का विश्लेषण किया गया है। तीसरे अध्याय में सीमेंट और उसके विशेषताओं को विस्तार से समझाया गया है वहीं चौथे अध्याय में सीमेंट निर्माण की तकनीक, प्रक्रिया और प्रकारों पर प्रकाश डाला गया है। पुस्तक का पांचवा अध्याय वितरण चैनल पार्टनर और वेयरहाउसिंग से जुड़ी प्रकारों पर प्रकाश डालता है। छठा अध्याय सीमेंट व्यापार में प्रचलित मूल्य निर्माण विभिन्न योजनाओं की चर्चा करता है, सातवें अध्याय में ब्रांड बिल्डिंग गतिविधियों को समझाया गया है, जो विपणन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। आठवें अध्याय में सीमेंट उद्योग से जुड़े अनियमितताओं और माल प्रैक्टिस को केस स्टडी के माध्यम से विस्तार से समझाया गया है, नवें अध्याय में सीमेंट उद्योग से जुड़े रोचक और कम जानी- पहचानी जानकारियां प्रदान करता है। दसवां अध्याय ग्राहक, शिकायत और उनके निवारण की प्रक्रिया पर केंद्रित है। ग्यारहवां और अंतिम अध्याय भारतीय सीमेंट उद्योग की चुनौतियां और संभावनाओं पर प्रकाश डालता है।

वहीं पुस्तक के लेखक डॉ कुमुद झा के विषय में बात करें तो, डॉ झा अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से स्नातकोत्तर, एमबीए (मार्केटिंग) और अर्थशास्त्र में पीएचडी हैं। उनकी पुस्तक “इकोनॉमिक्स एंड इंपैक्ट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर ऑफ़ रूरल एरिया”, “एबीसी ऑफ ब्रांड बिल्डिंग इन इंडिया” और “एबीसी ऑफ मार्केटिंग इन इंडिया” क्रमशः 1992, 2020 और 2022 में प्रकाशित हुई। डॉ झा जेपी सीमेंट में शामिल हुए, देश के पूर्वी, मध्य और उत्तरी क्षेत्र में काम किया। जेपी और कनोडिया ग्रुप में विभिन्न उत्पादों की लॉन्चिंग, ब्रांडिंग और री-ब्रांडिंग में उनका समृद्ध अनुभव है।

लेखक डॉ कुमुद नाथ झा से विशेष बातचीत

प्रश्न 1: आपको यह पुस्तक लिखने की प्रेरणा कहां से मिली?

पुस्तक के लेखक डॉ कुमुद झा ने कहा कि पिछले 32-33 वर्षों से सीमेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि उनकी यह उनकी तमन्ना रही है कि अपने अनुभवों के आधार पर एक छोटी सी पुस्तक लिखें जो सेल्स एंड मार्केटिंग के क्षेत्र में कार्यरत ग्राउंड लेवल एग्जीक्यूटिव्स और मिडिल मैनेजमेंट अधिकारियों के लिए मददगार साबित हो। यही विचार इस पुस्तक की प्रेरणा बना।

प्रश्न 2: इस पुस्तक की सीमेंट इंडस्ट्री में इतनी चर्चा क्यों हो रही है?

लेखक डॉ कुमुद झा के अनुसार, यह पुस्तक भारतीय सीमेंट इंडस्ट्री के 111 वर्षों के इतिहास में सेल्स एंड मार्केटिंग पर लिखी गई पहली पुस्तक है। 1982 में सीमेंट इंडस्ट्री के डीकंट्रोल के बाद सेल्स एंड मार्केटिंग की भूमिका तेजी से बढ़ी है। आज के दौर में, जहां प्रतिस्पर्धा अत्यधिक है, वहां सेल्स और मार्केटिंग की बारीकियों को जानना अत्यंत आवश्यक हो गया है। यह पुस्तक इसी ज्ञान को सरल भाषा में प्रस्तुत करती है।

प्रश्न 3: इस पुस्तक को आपने कितने भागों में बांटा है?

इस पुस्तक को कुल 11 भागों में बांटा गया है, ताकि पाठकों को विषयवस्तु समझने में आसानी हो और रुचि बनी रहे। प्रत्येक अध्याय एक विशिष्ट पहलू को कवर करता है—जैसे वैश्विक और भारतीय सीमेंट इतिहास, सीमेंट की विशेषताएं, निर्माण प्रक्रिया, वितरण प्रणाली, मूल्य निर्धारण, ब्रांडिंग, अनैतिक गतिविधियां (केस स्टडी सहित), रोचक तथ्य, ग्राहक शिकायतें और इंडस्ट्री की संभावनाएं व समस्याएं।

प्रश्न 4: आपने केवल सेल्स-मार्केटिंग ही नहीं, बल्कि प्रोडक्शन और टेक्निकल विषयों को भी शामिल किया है, यह जानकारी कहां से मिली?

लेखक ने बताया कि वे सीमेंट इंडस्ट्री के हर पहलू का गहराई से अध्ययन करते हैं। इस पुस्तक के लिए उन्होंने तकनीकी जानकारी डॉ. के. मोहन (सीमेंट इंडस्ट्री का बड़ा नाम), आशुतोष कुमार (कनोडिया ग्रुप के टेक्निकल हेड), यूट्यूबर जेके सिंह, अपनी बेटी शैली झा, और वित्तीय जानकारी के लिए दिव्यांशी चौधरी से प्राप्त की। इसके अलावा वे विभिन्न रिसर्च एजेंसियों और इंस्टीट्यूट्स से संपर्क में रहते हैं, जिससे उन्हें अद्यतन तकनीकी ज्ञान मिलता रहता है।

प्रश्न 5: आपके अनुसार इस पुस्तक से किन-किन लोगों को लाभ मिलेगा?

लेखक के अनुसार, यह पुस्तक मुख्यतः सीमेंट इंडस्ट्री के एंट्री लेवल के सेल्स और टेक्निकल अधिकारियों तथा मिडिल मैनेजमेंट के लिए है। लेकिन इससे डीलर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स, बिज़नेस पार्टनर्स, टॉप मैनेजमेंट, सीईओ, कंसल्टेंट्स और यहां तक कि नए सीमेंट प्लांट लगाने वाले प्रमोटर्स को भी महत्वपूर्ण मार्गदर्शन मिलेगा। यह पुस्तक सभी के लिए लाभकारी सिद्ध होगी।

प्रश्न 6: इस पुस्तक को तैयार करने में आप किन लोगों को धन्यवाद देना चाहेंगे?

लेखक ने अपने कॉलेज के सीनियर-जूनियर, बिज़नेस एसोसिएट्स, रिटेलर्स, डीलर्स, सेल्स प्रमोटर्स, CFA, ट्रांसपोर्टर्स, विज्ञापन एजेंसियों, वेंडर्स और इंडस्ट्री के सभी सहयोगियों को धन्यवाद दिया है। उन्होंने “Survey of Cement Industry 2024” प्रकाशन और उन सभी इंडस्ट्री stalwarts को भी आभार व्यक्त किया जिन्होंने उन्हें प्रेरणा दी। विशेष रूप से उन्होंने विशाल कनोड़िया और डॉ. गौतम कनोड़िया का नाम लिया, जिनसे उन्हें विशेष प्रोत्साहन मिला। अंत में उन्होंने अपनी पत्नी का विशेष धन्यवाद किया, जिन्होंने घर पर इस पुस्तक को लिखने में पूरा सहयोग दिया।

प्रश्न 7: इस पुस्तक के माध्यम से आप सीमेंट इंडस्ट्री को क्या संदेश देना चाहते हैं?

लेखक ने बताया कि भले ही सीमेंट इंडस्ट्री का भविष्य आशावादी दिखता है, लेकिन 2050-55 तक डिमांड की तुलना में इंडस्ट्री की उत्पादन क्षमता कहीं अधिक होगी। कंपनियों के खर्च (विभिन्न हेड्स में) बढ़ते जा रहे हैं जबकि प्रॉफिट मार्जिन घट रहा है। कई कंपनियां घाटे में जा रही हैं या बिक रही हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इंडस्ट्री को वॉल्यूम-सेंट्रिक न रहकर EBITDA-सेंट्रिक बनना चाहिए। इससे प्रमोटर अपनी कंपनी को बेहतर तरीके से चला सकेंगे, शेयरहोल्डर्स को उचित रिटर्न मिलेगा, कर्मचारियों को नौकरी की सुरक्षा मिलेगी और वैधानिक संस्थाओं को उनका बकाया समय पर मिलेगा। उनका मानना है कि अब वॉल्यूम बनाम ईबीआईटीडीए पर गंभीरता से विचार करने का समय आ गया है।

गौरतलब हो कि, यह पुस्तक केवल एक तकनीकी दस्तावेज नहीं, बल्कि सीमेंट इंडस्ट्री के हर कर्मचारी, अफसर और लीडर के लिए एक विचारशील मार्गदर्शिका है, जो इस क्षेत्र को नई दिशा देने का सामर्थ्य रखती है।।


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