फिटनेस टेस्ट पर मिलेगी राहत? ओवरएज वाहनों को लेकर क्या बोले दिल्ली सरकार के मंत्री

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (02 जुलाई 2025): दिल्ली में ओवरएज वाहनों पर लगाए गए सख्त प्रतिबंधों से परेशान लाखों वाहन मालिकों के लिए राहत की उम्मीद जगी है। दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा (Manjinder Singh Sirsa) ने बुधवार को सचिवालय में कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के सामने यह मांग रखेंगे कि यदि कोई पुराना वाहन फिटनेस टेस्ट पास करता है, तो उसे सड़कों पर चलने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि मुंबई और चेन्नई जैसे अन्य महानगरों में ऐसा कठोर प्रतिबंध नहीं है, और दिल्ली में भी व्यावहारिक समाधान की जरूरत है।

मनजिंदर सिंह सिरसा और मंत्री पंकज कुमार सिंह ( Pankaj Kumar Singh) ने आम आदमी पार्टी की पिछली सरकार को दिल्ली में बनी मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि 2015 से सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने कई बार प्रदूषण रोकने के निर्देश दिए, लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार इन्हें लागू करने में असफल रही। नतीजतन, कोर्ट को मजबूरी में पुरानी गाड़ियों पर बैन लगाने जैसा कड़ा कदम उठाना पड़ा। सिरसा ने कहा, “अगर पहले सही समय पर काम होता, तो आज जनता को यह संकट नहीं झेलना पड़ता।”

फिलहाल दिल्ली में 10 साल से अधिक पुराने डीजल और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर न केवल सड़कों पर चलने पर रोक है, बल्कि इन वाहनों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन भी नहीं दिया जा रहा। इसके लिए पेट्रोल पंपों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित निगरानी कैमरे लगाए गए हैं ताकि नियमों का उल्लंघन करने वालों को रोका जा सके। दिल्ली सरकार के इस कदम से एनसीआर क्षेत्र के करीब 62 लाख वाहन प्रभावित हो रहे हैं।

मंत्री सिरसा ने साफ कहा कि उनकी सरकार अब जनता के हित में आगे बढ़कर प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि वह अन्य राज्यों के मॉडल का अध्ययन कर सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के सामने यह मामला रखेंगे कि सिर्फ आयु के आधार पर वाहन पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि फिटनेस टेस्ट को अनिवार्य बनाकर वही गाड़ियां सड़कों पर चलें, जो प्रदूषण नियंत्रण मानकों को पूरा करें।

उन्होंने आगे कहा कि यह स्थिति किसी भी सरकार के लिए आदर्श नहीं हो सकती, लेकिन हम इसे सुधारना चाहते हैं। सिरसा के मुताबिक, यदि कोई डीजल वाहन 10 साल और पेट्रोल वाहन 15 साल से अधिक पुराना है, लेकिन वह फिटनेस टेस्ट पास करता है और प्रदूषण मानकों के अनुरूप है, तो उसे चलने दिया जाना चाहिए। इससे एक ओर जनता को राहत मिलेगी और दूसरी ओर अनावश्यक कबाड़ नीति पर रोक लग सकेगी।

इस मुद्दे पर राजनीति भी गर्म हो चुकी है। आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए मंत्री पंकज सिंह ने कहा कि पूर्व सरकार ने प्रदूषण की वास्तविक समस्या को नजरअंदाज कर दिल्ली के लाखों वाहन मालिकों की परेशानी बढ़ा दी। उन्होंने कहा कि सरकार अब अदालतों के साथ मिलकर एक संतुलित और व्यावहारिक समाधान लाने की दिशा में काम कर रही है, जिसमें पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ जनता की आजीविका का ध्यान भी रखा जाए।

मनजिंदर सिंह सिरसा के इस बयान के बाद दिल्ली-NCR के वाहन मालिकों में उम्मीद की लहर दौड़ गई है। सोशल मीडिया और नागरिक मंचों पर लोगों ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है। अब नजरें सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी और सीएक्यूएम पर हैं कि वे दिल्ली सरकार की इस नई पहल को किस रूप में स्वीकार करते हैं और क्या राजधानी के लाखों लोगों को फिटनेस टेस्ट के आधार पर राहत मिलेगी।


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