दिल्ली के कई इलाकों में प्रदूषित जल आपूर्ति पर हाईकोर्ट सख्त, जांच और सुधार का निर्देश
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (02 जुलाई 2025): दिल्ली के पूर्वी इलाकों में दूषित जल आपूर्ति की गंभीर समस्या को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड (DJB) पर सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जल बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह यह जांच करे कि किन-किन इलाकों में दूषित पेयजल की आपूर्ति हो रही है, और इस त्रुटि को प्राथमिकता के आधार पर तुरंत दूर किया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि डीजेबी यह सुनिश्चित करे कि दिल्ली के सभी नागरिकों को शुद्ध और सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति मिले। इस मामले की अगली सुनवाई 5 जुलाई को निर्धारित की गई है।
यह मामला तब गंभीर रूप से सामने आया जब पूर्वी दिल्ली के योजना विहार, आनंद विहार, जागृति एन्क्लेव और आसपास के इलाकों के निवासियों ने शिकायत की कि उनके घरों में कई दिनों से गंदा, काला और बदबूदार पानी आ रहा है। इस बारे में स्थानीय लोगों ने दिल्ली जल बोर्ड से बार-बार शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इस लापरवाही के बाद पेशे से वकील ध्रुव गुप्ता ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की, जिसमें दावा किया गया कि दूषित जल की आपूर्ति के कारण लोगों के स्वास्थ्य और जीवन पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
जनहित याचिका में कहा गया कि 12 जून से ही पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में नलों से मलजल मिश्रित पानी की आपूर्ति हो रही है। योजना विहार समेत पूरा विश्वास नगर निर्वाचन क्षेत्र इस प्रदूषित जल संकट से जूझ रहा है। याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष यह भी दलील दी कि जल में अत्यधिक प्रदूषण के कारण बुजुर्गों, बच्चों और रोगग्रस्त व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर बेहद गंभीर असर पड़ सकता है, जिससे एक बड़े पैमाने पर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट उत्पन्न होने का खतरा है।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने डीजेबी के वकील से कहा कि वे जल बोर्ड के संबंधित अधिकारियों से निर्देश लेकर अदालत को अवगत कराएं। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए कि जहां-जहां इस प्रकार की समस्या सामने आ रही है, वहां तत्काल भौतिक निरीक्षण किया जाए और निरीक्षण की रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए। कोर्ट ने इस पर भी बल दिया कि यदि निरीक्षण के दौरान कोई ऐसी त्रुटि सामने आती है, जिसे तत्काल सुधारने की आवश्यकता है, तो उसमें विलंब न किया जाए और तुरंत कार्रवाई की जाए।
पीठ ने यह भी कहा कि जिस तरह से नागरिकों के घरों में काले रंग का पानी आ रहा है, वह अत्यंत चिंताजनक है। यह किसी भी आधुनिक शहर के लिए शोभा नहीं देता और यह दर्शाता है कि जल आपूर्ति प्रणाली में बड़ी लापरवाही है। अदालत ने जल बोर्ड को पेयजल संबंधी समस्त शिकायतों पर गंभीरता से ध्यान देने, नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता न करने और पूरी पारदर्शिता के साथ निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि दिल्ली जल बोर्ड इस गंभीर समस्या को प्राथमिकता देगा और प्रभावित इलाकों में जल आपूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करेगा। यह मामला राजधानी में बुनियादी सुविधाओं की दुर्दशा और संबंधित विभागों की निष्क्रियता को उजागर करता है। यदि समय रहते स्थिति को नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह सिर्फ एक स्थानीय समस्या नहीं रह जाएगी, बल्कि दिल्ली के अन्य इलाकों तक फैलकर एक बड़े स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकती है। कोर्ट की सख्ती के बाद अब निगाहें 5 जुलाई की अगली सुनवाई और डीजेबी की रिपोर्ट पर टिकी हैं।
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